स्टीपलचेज़: क्या है, कैसे तैयारी करें और भारत में इसका हाल
आपने ट्रैक एथलेटिक के इवेंट्स में स्टीपलचेज़ का नाम जरूर सुना होगा—एक ऐसी दौड़ जिसमें बाधाएँ, जल फावड़े और हाई जंप मिलते हैं। अगर आप इस ईवेंट को समझना चाहते हैं या खुद इसे आजमाना चाहते हैं, तो सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम आसान भाषा में स्टीपलचेज़ के नियम, ट्रेनिंग टिप्स और भारत की ताज़ा खबरें बताएंगे।
स्टीपलचेज़ का बेसिक फॉर्मूला
स्टीपलचेज़ आम तौर पर 3000 मीटर की दूरी पर होती है। हर लैप में चार बार बाधाएँ आती हैं, और पाँचवीं बाधा के बाद एक जल फावड़ा होता है जिससे धावकों को कूदकर पार करना पड़ता है। इस कारण दौड़ तेज़ी से थकावट लाती है, इसलिए स्टैमिना और तकनीक दोनों जरूरी होते हैं। भारत में अभी तक इसे बड़े पैमाने पर नहीं अपनाया गया, लेकिन हाल ही में कई एथलीट अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं।
भारत में स्टीपलचेज़ की प्रगति और ख़बरें
2024 के अंत में भारतीय धावक अर्जुन सिंह ने एशियन चैंपियनशिप में 8वाँ स्थान बनाया, जो इस इवेंट में भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन माना जाता है। उनके कोच ने बताया कि रोज़ाना 12 किलोमीटर रनिंग के साथ‑साथ बाधा अभ्यास से ही ये परिणाम संभव हुए। उसी साल राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्टीपलचेज़ की नई श्रेणी जोड़ी गई, जिससे युवा खिलाड़ी इस स्पेशल इवेंट को अपनाने का मौका मिला।
अगर आप खुद ट्रैनिंग शुरू करना चाहते हैं तो कुछ आसान कदम फॉलो कर सकते हैं:
- बेसिक एंड्योरेंस बनाएं: हफ्ते में कम से कम 4 बार 5‑7 किलोमीटर की रनिंग करें।
- बाधा अभ्यास: स्थानीय एथलेटिक्स क्लबस में मौजूद हाई जंप और जल फावड़े को इस्तेमाल करके हर लैप का सिमुलेशन करें।
- कोर स्ट्रेंथ: प्लैंक्स, स्क्वैट्स और लंगेस से पैर की मसल्स मजबूत होंगी, जिससे कूदते समय गिरने के चांस कम होंगे।
- स्पीड वर्क: 200 मीटर स्प्रिंट सेट बनाकर फिनिश लाइन पर तेज़ी बढ़ाएँ। यह रेज़िस्टेंस को मात देने में मदद करेगा।
ध्यान रखें, स्टीपलचेज़ में जल फावड़ा सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। इसे पार करने के लिए दो‑तीन कदम पीछे से ले कर तेज़ी से आगे कूदें और लैंडिंग पर संतुलित रहें। अगर आप इस मूवमेंट को पहले दिन नहीं सीख पाते तो घबराएँ नहीं—अभ्यास से ही फॉर्म सुधारता है।
भारत में कई स्कूल और कॉलेज अब एथलेटिक्स प्रोग्राम में स्टीपलचेज़ को शामिल कर रहे हैं, इसलिए अगर आप युवा खिलाड़ी हैं तो अपने ट्रेनर से इस इवेंट की जानकारी ले सकते हैं। कुछ प्रमुख क्लब जैसे कर्नाटक स्टेट एथलेटिक एसोसिएशन और दिल्ली एथलीटिक अकादमी में विशेष सत्र चल रहे हैं, जहाँ आप प्रोफेशनल कोचिंग पा सकते हैं।
स्टीपलचेज़ सिर्फ एक दौड़ नहीं है; यह धावकों की लचीलापन और दृढ़ता का परिचय देता है। अगर आप इसे अपनी फिटनेस रूटीन में जोड़ते हैं तो न केवल स्टैमिना बढ़ेगा, बल्कि मांसपेशियों की टोनिंग भी बेहतर होगी।
तो अब देर किस बात की? अपने निकटतम एथलेटिक क्लब से जुड़ें, बेसिक रनिंग शुरू करें और धीरे‑धीरे बाधा अभ्यास को शामिल करें। स्टीपलचेज़ के साथ आपका फिटनेस सफर मज़ेदार और चुनौतीपूर्ण दोनों बन सकता है।
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