डिएनए विश्लेषण – क्या है, कैसे काम करता है?
डिएनए (DNA) हमारे शरीर की सबसे छोटी योजना है, जो हर चीज़ तय करती है‑चाहे रंग-रूप हो या रोगों का जोखिम। जब हम डिएनए को पढ़ते हैं तो हमें पता चलता है कि जीन में क्या लिखा है और वह कैसे काम कर रहा है। इस लेख में मैं आपको बताऊँगा कि ये प्रक्रिया घर के पास ही कैसे की जा सकती है, कौन‑कौन सी टेस्टें उपलब्ध हैं और नई तकनीकों से क्या नया हो रहा है।
डिएनए विश्लेषण कैसे किया जाता है?
सबसे पहले एक नमूना लेना पड़ता है—खून, लार या कभी‑कभी बाल। ये नमूना लैब में भेजा जाता है जहाँ वैज्ञानिक डिएनए को अलग‑अलग हिस्सों में तोड़ते हैं और फिर सीक्वेंसिंग मशीन से पढ़ते हैं। पुराने समय में यह काम महंगा और धीमा था, पर अब ‘नेक्स्ट‑जनरेशन सिक्वेंसर’ (NGS) के कारण कीमत घट गई है और परिणाम कुछ दिनों में मिल जाता है।
डिएनए टेस्ट दो तरह की होती हैं: एक जीनोमिक स्क्रीनिंग जो पूरे जीन सेट को देखती है, और दूसरी टार्गेटेड टेस्टिंग जो खास रोग‑जाँच या एनीऑलॉजी (जैसे पितृत्व परीक्षण) के लिए बनाई जाती है। आपको कौन‑सी टेस्ट चाहिए, यह आपके डॉक्टर या जेनेटिक काउंसिलर की सलाह पर तय होता है।
भारत में डिएनए टेस्टिंग के विकल्प और खर्चा
अभी भारत में कई निजी लैबें – जैसे क्लिनिकाल पाथोलॉजी, थ्री‑डायमेंशन जीनोमिक्स या फॉर्मुलेआ डाइग्नोस्टिक्स – डीएनए सेवाएं देती हैं। कीमत टेस्ट की जटिलता पर निर्भर करती है; बेसिक पितृत्व टेस्ट 2-3 हजार रुपये में मिल सकता है, जबकि पूरे जीनोम सीक्वेंसिंग का खर्च 30‑40 हज़ार तक जा सकता है। कई बार सरकारी अस्पताल भी मुफ्त या कम कीमत पर काउंसलिंग के साथ टेस्ट करवाते हैं, विशेषकर अगर आपको कोई विरासत रोग पता है तो।
डिएनए रिपोर्ट पढ़ने में विशेषज्ञ की मदद लेना फायदेमंद रहता है। अक्सर लोग परिणाम देखकर घबराते हैं, जबकि सही समझ से पता चलता है कि जोखिम कितना वास्तविक है और क्या कदम उठाने चाहिए—जैसे जीवनशैली बदलना या समय पर स्क्रीनिंग करवाना।
डिएनए विश्लेषण की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजना बनाने में मदद करता है। अगर आपके परिवार में दिल, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों का इतिहास है तो जेनेटिक टेस्ट से आप जल्दी पहचान सकते हैं और रोकथाम के लिए कदम उठा सकते हैं।
भविष्य की बात करें तो CRISPR जैसे जीन‑एडिटिंग टूल्स जल्द ही क्लिनिकल सेटिंग में आएंगे, जिससे सिर्फ़ रोग का पता नहीं बल्कि उसका उपचार भी संभव हो जाएगा। अभी यह तकनीक प्रयोगशाला स्तर पर है, लेकिन भारत में कई रिसर्च सेंटर इस दिशा में काम कर रहे हैं और आने वाले वर्षों में हमें नए समाधान मिलने की उम्मीद है।
संक्षेप में, डिएनए विश्लेषण अब सिर्फ़ वैज्ञानिकों का खेल नहीं रहा; यह हर व्यक्ति के पास उपलब्ध जानकारी बन गया है जो स्वास्थ्य‑सुरक्षा को बेहतर बना सकता है। अगर आप जीन‑टेस्टिंग करने में रुचि रखते हैं तो भरोसेमंद लैब चुनें, डॉक्टर से सलाह लें और परिणाम को समझने के लिए काउंसलर की मदद जरूर ले।