छठ पूजा 2025: त्वरित जानकारी और महत्व
जब हम छठ पूजा 2025, एक प्राचीन सूर्य स्तुति पर्व है जो विशेष रूप से बिहार, उत्तराखंड और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. Also known as Chhath Puja, it brings together family, community and nature in a unique ritual of gratitude towards सूर्य देव, सूर्य को जीवन का स्रोत मानकर उसकी आराधना करने वाला प्रमुख हिन्दू देवता और गंगा नदी, वह पवित्र नदिया जिसके किनारे अर्घ्य दिया जाता है. यह परिचय आपको नीचे के लेखों में मिलने वाले विविध पहलुओं के लिए तैयार करता है।
छठ पूजा का मूल सिद्धांत धार्मिक अनुष्ठान और पर्यावरणीय जागरूकता को जोड़ना है। सूर्य के पाँचों ओर से उगते उजाले को प्रशंसा में अर्घ्य दिया जाता है, जबकि गंगा के जल में अर्पित शुद्धता का प्रतीकात्मक अर्थ निहित है। इसलिए छठ पूजा 2025 न केवल धार्मिक कारणों से, बल्कि सामाजिक और पारिस्थितिक कारणों से भी महत्वपूर्ण है।
छठ पूजा के प्रमुख पहलू
पहला चरण ‘नहाय खाय’ है, जिसमें स्नान‑व्रत‑भोजन का संयोजन होता है। यह चरण मिथिला संस्कृति, बिहार‑उत्तराखंड के सांस्कृतिक क्षेत्र जहाँ छठ पूजा की जड़ें गहरी हैं के भीतर सामाजिक एकजुटता को प्रकट करता है। अगला चरण ‘करवा काठी’ में काठी पर दुग्ध‑क्रिया की जाती है, जिससे सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह प्रक्रिया सूर्य देव को सम्मानित करने के साथ साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भी संदेश देती है।
दूसरा चरण ‘अरघ्य पद्धति’ में व्रती गंगा या चौहिटन के किनारे घंटी‑बजाते अर्घ्य देते हैं। यहाँ सूर्य के उगने और अस्त होने के दो समय को दर्शाने वाले ‘उषा’ और ‘अस्त’ अनुष्ठान होते हैं। यह दो‑दिवसीय क्रम सूर्य के जीवन‑चक्र को प्रतिबिंबित करता है, जिससे छठ पूजा 2025 के दौरान ऊर्जा और स्वास्थ्य की कामना प्रकट होती है।
तीसरा चरण ‘पररव’ है, जिसमें व्रती अपने व्रत का उलटा फसल (रात्रि) में समाप्त करके बर्तन‑बारीभुक्ति एवं पूजा‑समापन करते हैं। इस क्षण में सूर्य के साथ जुड़े सामाजिक दायित्वों का पुन:स्मरण होता है, जैसे आरती‑ध्वनि, सामुदायिक भोजन‑वितरण और पर्यावरणीय स्वच्छता।
इन सभी रीतियों में छठ पूजा 2025 की तिथियां कैलेंडर के अनुसार बदलती हैं, लेकिन अधिकांशतः कार्तिक के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से सातवें दिन तक मनाया जाता है। इस साल विशेष रूप से 30‑नवम्बर से 2‑दिसंबर तक प्रमुख रीति‑रिवाज देखे गए। समय‑सारिणी के अनुसार आप अपने स्थानीय मंडल से ताजा जानकारी ले सकते हैं।
छठ पूजा न केवल व्यक्तिगत भक्ति का मंच है, बल्कि सामाजिक सहयोग की भी गवाह है। कई गाँवों में ‘सराय’ या ‘भवन’ स्थापित किए जाते हैं जहाँ सभी मिल‑जुलकर अर्घ्य तैयार करते हैं। इस सामुदायिक सहयोग से यह स्पष्ट होता है कि बिहार, छठ पूजा का मुख्य प्रक्षेत्र जहाँ लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं में लोगों के बीच सामंजस्य और एकता की भावना कितनी गहरी है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी छठ पूजा का महत्व बढ़ा है। जल संरक्षण, प्लास्टिक‑मुक्त अर्घ्य और स्वच्छता अभियानों को इस साल विशेष रूप से लागू किया गया। गंगा किनारे कूड़ा‑कचरा न फेंकने की जागरूकता ने जल स्रोत को बचाने में मदद की। इस प्रकार, छठ पूजा 2025 में धरती‑सखा के साथ सहजीवन की एक नई परिप्रेक्ष्य उभरी।
यदि आप इस पर्व की तैयारी में हैं, तो कुछ आसान सुझाव हैं: पहाड़े‑समय पर उपवास रखें, शुद्ध जल से अर्घ्य तैयार करें, और स्थानीय प्राध्यापकों से सही विधि सीखें। साथ ही, सामाजिक दूरी के नियमों को ध्यान में रखते हुए भीड़‑भाड़ वाले मंदिर‑स्थलों पर जाँच‑पड़ताल करें। ये छोटे‑छोटे कदम आपका अनुभव सहज और सुरक्षित बना सकते हैं।
अंत में, सूर्य देव, जो जीवन‑ऊर्जा का स्रोत है, उसकी पूजा से हमें शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और गंगा नदी, पर्याप्त शुद्धता और शांती का प्रतीक है, दोनों को सम्मानित करना हमारे अस्तित्व का मूलमंत्र है. इन दो प्रमुख तत्वों के संगम से ही छठ पूजा 2025 का अद्वितीय सार उत्पन्न होता है। आप नीचे दी गई सूची में इस वर्ष के प्रमुख समाचार, कार्यक्रम अपडेट और महत्वपूर्ण नोटिस देख सकते हैं, जो आपके उत्सव को और भी सुगम बनाएंगे।