सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा पर रेस्तरां कर्मचारियों के नाम जारी करने के आदेश पर लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा पर रेस्तरां कर्मचारियों के नाम जारी करने के आदेश पर लगी रोक जुल॰, 22 2024

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित रेस्तरां और खाने-पीने की दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम और विवरण प्रदर्शित करने के सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) और अन्य याचिकाकर्ताओं, जिनमें ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के नेता और प्रोफेसर अपूर्वानंद भी शामिल हैं, की अपील पर सुनवाई के बाद आया है। यह आदेश एक व्यापक बहस का विषय बना हुआ है और इसे मुस्लिम व्यापारियों को लक्षित करने और उनके व्यापार पर असर डालने के रूप में देखा गया है।

अदालत की सुनवाई

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के सरकारी आदेशों को असंवैधानिक करार दिया और उन्हें तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी के नेतृत्व में बनी बेंच ने इन आदेशों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तिथि निर्धारित की।

रेस्तरां मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश

सरकारी आदेश के तहत कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी रेस्तरां और खाने-पीने की दुकानों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम और विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। ऐसा माना जा रहा था कि यह आदेश मुस्लिम व्यापारियों को लक्षित करके उनके व्यापार पर असर डालने के लिए दिया गया था।

राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया

इस आदेश पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रियाएँ दीं। उन्होंने कहा कि यह आदेश धर्म और जाति के आधार पर भेदभावपूर्ण है और संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है। तृणमूल कांग्रेस के नेता और वकील अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह आदेश व्यापारियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।

कांवड़ यात्रा और धार्मिक आयोजन

कांवड़ यात्रा और धार्मिक आयोजन

कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो हर साल सावन महीने में आयोजित की जाती है। इस दौरान हजारों शिव भक्त गंगाजल लाने के लिए हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं। यह यात्रा 22 जुलाई से शुरू होकर 2 अगस्त को समाप्त होने वाली है। इस यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से होकर गंगाजल लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

खान-पान और सेवाएं

यात्रा के दौरान राह में खाने-पीने की व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन रास्तों पर स्थित रेस्तरां और ढाबे यात्रियों को भोजन, पेय, और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं। इन व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकार का व्यवधान या ट्रैफिक नियमित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों का पालन आवश्यक होता है।

अदालती आदेश का प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इसके कारण व्यापारियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। अब से रेस्तरां मालिकों को केवल भोजन के प्रकार की जानकारी प्रदर्शित करनी होगी, न कि अपने और अपने कर्मचारियों के नाम। इससे उनके व्यापार पर व्यर्थ का प्रभाव नहीं पड़ेगा और वे निरंतर अपने व्यापार को जारी रख सकेंगे।

यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा

कांवड़ यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दी जाती है। इस बार भी सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय किए हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती, चिकित्सा सेवाएं और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण संकेत है कि संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए न्यायालय सदैव तत्पर है। यह व्यापारियों और आम जनता को आश्वस्त करता है कि उनके अधिकार सुरक्षित हैं और उनमें किसी भी प्रकार की भेदभावपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ वे न्याय प्राप्त कर सकते हैं।