NTA ने केंद्र और शहरवार NEET-UG परिणाम किए घोषित: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नए प्रारूप में

NTA ने केंद्र और शहरवार NEET-UG परिणाम किए घोषित: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नए प्रारूप में जुल॰, 20 2024

NEET-UG परिणामों का नए प्रारूप में प्रकाशन

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद NEET-UG मेडिकल प्रवेश परीक्षा के केंद्र और शहरवार परिणामों को जारी किया है। इस निर्णय का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि क्या कथित रूप से समझौता किए गए केंद्रों से अभ्यर्थियों ने अन्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक अंक हासिल किए हैं। पहले यह परिणाम 5 जून को घोषणा की गई थी, लेकिन अब इसे नए प्रारूप में पुनः प्रकाशित किया गया है।

लाखों विद्यार्थियों ने दी परीक्षा

NEET-UG परीक्षा का आयोजन 5 मई को हुआ था, जिसमें 24 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। यह परीक्षा 4,750 केंद्रों में विभिन्न शहरों में आयोजित की गई थी। इन शहरों की संख्या 571 थी, जिनमें 14 अंतरराष्ट्रीय स्थान भी शामिल थे। इतने बड़े पैमाने पर आयोजित इस परीक्षा में लाखों छात्रों की आशाएं जुड़ी हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट करेगा आगे की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई अनेक याचिकाओं की सुनवाई अभी भी जारी है। इनमें कथित अनियमितताओं के कारण परीक्षा रद्द करने, पुनः परीक्षा आयोजित करने और परीक्षा की निगरानी करने वाले एक विशेष जांच दल की नियुक्ति की मांग की गई है। 22 जुलाई को अदालत आगे की सुनवाई करेगी और देखेगी कि इस परीक्षा की निष्पक्षता पर क्या प्रभाव पड़ा है।

परिणामों का पुनः प्रकाशन क्यों?

परिणामों का पुनः प्रकाशन क्यों?

परीक्षा परिणामों को केंद्र और शहरवार प्रारूप में पुनः प्रकाशित करने का उद्देश्य उन केंद्रों पर अनुसंधान करना है, जिनके बारे में शिकायतें हुई थीं। यह देखना आवश्यक है कि उन केंद्रों के विद्यार्थियों ने कहीं अनुचित ढंग से अधिक अंक तो हासिल नहीं किए। यह भी ध्यान में रखना होगा कि जांच के दौरान किसी भी निर्दोष छात्र को अन्याय न हो।

विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाएं

इस नए प्रारूप में परिणामों के प्रकाशन पर विद्यार्थियों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ का मानना है कि यह निर्णय न्याय संगत है ताकि परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बनी रहे। वहीं, कुछ विद्यार्थियों को यह निर्णय अनुचित लग रहा है क्योंकि इस जांच के चलते उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है।

एनटीए का उद्देश्य

एनटीए का कहना है कि परिणामों को इस नए प्रारूप में प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर विद्यार्थी को दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके। प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिल सके।

पुनः परीक्षा की मांग

पुनः परीक्षा की मांग

कुछ याचिकाकर्ताओं ने पुनः परीक्षा की मांग की है। उनका दावा है कि जब तक परीक्षा की पुनः जांच नहीं की जाती, तब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि परिणाम सही और निष्पक्ष हैं। इसके चलते न्यायालय को यह तय करना है कि क्या पुनः परीक्षा कराना उचित होगा या नहीं।

अंतरराष्ट्रीय केंद्रों पर प्रभाव

भारत के बाहर के केंद्रों पर भी इस निर्णय का असर पड़ा है। वहां के विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें इस समस्या के कारण बिना वजह परेशान होना पड़ रहा है। इसलिए वे भी अधिक हाथ-पर-हाथ बैठकर इंतजार कर रहे हैं कि अदालत का अंतिम निर्णय क्या होगा।

आगे का रास्ता

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही आगे की राह साफ होगी। न्यायालय को यह तय करना होगा कि क्या इस परीक्षा की निष्पक्षता पर कोई संदेह है, और यदि हां, तो उसे कैसे समाधान किया जा सकता है। तब तक सभी विद्यार्थी और उनके माता-पिता तनाव में हैं, और इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय का निर्णय उनके पक्ष में जाए।

18 टिप्पणि

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    SHIKHAR SHRESTH

    जुलाई 21, 2024 AT 04:52
    ये नया प्रारूप तो बहुत अच्छा है। अब हर केंद्र का डेटा देखकर हम सच्चाई पता लगा सकते हैं। बस इतना ध्यान रखें कि कोई निर्दोष छात्र नुकसान न उठाए।
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    amit parandkar

    जुलाई 22, 2024 AT 00:48
    ये सब बकवास है... NTA और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही बस दिखावा कर रहे हैं... असली चालाक तो अभी भी बाहर हैं... जिनके पास ब्रेन ट्रांसमिटर हैं... और ये सब बस धुंधला धुंध है... 😏
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    Annu Kumari

    जुलाई 23, 2024 AT 16:28
    मुझे लगता है कि ये निर्णय सही है... बहुत सारे बच्चे अपना भविष्य खोने वाले हैं... अगर कोई धोखा हुआ है, तो उसे सुधारना जरूरी है... बस इतना ध्यान रखें कि कोई बेगुनाह न परेशान हो... 😔
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    venkatesh nagarajan

    जुलाई 24, 2024 AT 10:24
    जब तक हम शिक्षा को एक बाजार नहीं समझेंगे... तब तक ये नाटक चलता रहेगा... जीवन एक परीक्षा नहीं है... ये सिर्फ एक बार का ट्रैफिक लाइट है... जिसे लाल होने पर रुकना पड़ता है... लेकिन रास्ता तो अभी भी लंबा है...
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    Drishti Sikdar

    जुलाई 26, 2024 AT 07:33
    क्या आपने देखा कि अंतरराष्ट्रीय केंद्रों में जो बच्चे हैं... वो भी इस गड़बड़ में फंस गए हैं? वो तो बस भारतीय शिक्षा का हिस्सा हैं... उनके लिए भी एक फैसला चाहिए!
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    indra group

    जुलाई 27, 2024 AT 17:01
    ये सब अंग्रेजों की साजिश है! वो चाहते हैं कि हमारे बच्चे विदेश जाएं... और यहां के डॉक्टर बनने से डर जाएं! भारत की शिक्षा दुनिया की सबसे ताकतवर है! कोई भी गड़बड़ नहीं हुई! ये सब जाल है!
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    sugandha chejara

    जुलाई 28, 2024 AT 01:43
    हर बच्चे के पास एक सपना होता है... और ये परीक्षा उसका दरवाजा है... अगर दरवाजा थोड़ा टेढ़ा है, तो ठीक कर देना चाहिए... बस इतना ही... आप सब तनाव में हैं... मैं समझती हूं... लेकिन धैर्य रखें... सब ठीक हो जाएगा... 💪❤️
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    DHARAMPREET SINGH

    जुलाई 28, 2024 AT 12:34
    NTA का ये नया प्रारूप बस एक डिजिटल ड्रामा है... बिल्कुल जैसे Netflix का कोई रियलिटी शो... लोग देख रहे हैं... बस इतना ही... असली गड़बड़ तो वो है जो आधिकारिक रिपोर्ट में नहीं आती... अब तो हर केंद्र का बार-बार चेक करना पड़ेगा... ये तो अब एक फुल-टाइम जॉब बन गया है!
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    gauri pallavi

    जुलाई 30, 2024 AT 05:12
    मतलब अब हर शहर के बच्चों के अंकों को एक-एक करके चेक करना है? तो फिर पहले क्यों नहीं किया? अब जब बहुत सारे बच्चे खुश हो चुके हैं, तो अचानक ये सब शुरू हो गया? मजाक है या सच?
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    Agam Dua

    जुलाई 31, 2024 AT 23:01
    ये निर्णय बेकार है... कोई नहीं जानता कि कौन धोखा दे रहा है... अगर तुम्हें लगता है कि ये सब निष्पक्ष है... तो तुम बहुत बेवकूफ हो... ये तो बस एक शो है... जिसमें सब अभिनय कर रहे हैं... और तुम बस दर्शक हो...
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    Gaurav Pal

    अगस्त 2, 2024 AT 16:01
    ये तो बहुत अच्छा है... लेकिन अगर ये सब जांच बस एक बहाना है तो? अगर कोई असली धोखा हुआ है तो उसे तो जेल में डालना चाहिए... न कि ये सब निर्णय लेना... अब तो लोगों का दिमाग ही घूम रहा है...
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    sreekanth akula

    अगस्त 4, 2024 AT 13:29
    इस तरह की परीक्षा तो दुनिया में कहीं नहीं है... हमारे देश में तो एक बच्चे के लिए ये जीवन-मरण का मुद्दा है... और अब इसके लिए शहरवार डेटा चाहिए? ये तो अपने आप में एक नए अध्ययन का विषय है... शिक्षा समाजशास्त्र का नया अध्याय...
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    Sarvesh Kumar

    अगस्त 5, 2024 AT 01:35
    हमारे देश में ये सब बकवास होती रहती है... अगर तुम विदेश जाते हो तो ये सब नहीं होता... वहां तो बस एक टेस्ट होता है... और वो भी अच्छा... यहां तो हर चीज पर शक होता है... अब तो ये निर्णय भी एक शक का नतीजा है...
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    Ashish Chopade

    अगस्त 5, 2024 AT 13:14
    सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अत्यंत उचित है। शिक्षा की निष्पक्षता के लिए यह आवश्यक कदम है। इसका समर्थन करते हुए सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं।
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    Shantanu Garg

    अगस्त 7, 2024 AT 02:33
    मुझे लगता है कि ये जांच जरूरी है... लेकिन बस जल्दी कर दें... बच्चे तो इंतजार कर रहे हैं... अब तो तीन महीने हो गए... और अभी तक कुछ नहीं हुआ... बस एक नया प्रारूप बना दिया...
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    Vikrant Pande

    अगस्त 7, 2024 AT 13:03
    ये सब बस एक बड़ा नाटक है... असली चालाक तो वो हैं जिन्होंने इस पूरे सिस्टम को बनाया... अब तो वो खुद जांच दल बन गए हैं... ये तो बहुत ही बुद्धिमानी से किया गया है... जिसे तुम लोग न्याय समझ रहे हो... बस इतना ही...
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    Indranil Guha

    अगस्त 7, 2024 AT 19:27
    हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को कोई नहीं तोड़ सकता... ये सब विदेशी शक्तियों की साजिश है... जो चाहती हैं कि हमारे बच्चे विदेश जाएं... और हमारे डॉक्टर बनने से डर जाएं... ये परीक्षा बहुत निष्पक्ष है... और इसे बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है!
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    srilatha teli

    अगस्त 9, 2024 AT 16:44
    हर बच्चे का भविष्य महत्वपूर्ण है... और इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्याय की आवाज़ बुलंद हो रही है... यह एक शुभ संकेत है... कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए तैयार हैं... आशा है कि अगला कदम भी इसी दिशा में होगा... और हर बच्चे को उसका अधिकार मिलेगा... बिना किसी डर के...

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