MSMEs ने बजट 2024 में निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के कोष की मांग की
जुल॰, 3 2024MSMEs ने बजट 2024 में निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के कोष की मांग की
भारत की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSMEs) अब आगामी केंद्रीय बजट 2024 में अपनी निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार से 5,000 करोड़ रुपये के समर्पित कोष की मांग कर रही हैं। यह अनुरोध एक महत्वपूर्ण समय पर आया है जब इस क्षेत्र को पिछली चुनौतियों से उबरने और नए अवसरों का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
MSMEs का भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान करता है और कुल निर्यात का लगभग 40% हिस्सा है। लेकिन आज यह क्षेत्र ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो उसकी निर्यात क्षमता को बढ़ाने में बाधा बन रही हैं। इनमें से प्रमुख हैं क्रेडिट तक सीमित पहुंच, उन्नत तकनीक की कमी और बुनियादी ढांचे का अभाव।
सरकार से अपेक्षित समर्थन
MSMEs का मानना है कि अगर सरकार इन समस्याओं का समाधान करने के लिए समर्पित कोष आवंटित करती है, तो वे उन्नत तकनीक का उपयोग कर सकेंगे, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार ला सकेंगे और वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकेंगे। इस कोष का उपयोग अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए भी किया जा सकता है, जो नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करेगा।
कानूनों में सरलता और टैक्स प्रणाली में सुधार
इसके अलावा, MSMEs ने कुछ उत्पादों पर वस्तु और सेवा कर (GST) की दर को कम करने, अनुपालन बोझ में कमी लाने और एक सरल टैक्स प्रणाली की मांग भी की है। MSMEs का मानना है कि अगर टैक्स और अनुपालन प्रक्रिया सरल हो जाती है, तो यह उनके लिए व्यापार करना आसान बनाएगा और उन्हें अपनी पूरी ध्यानक्षमता पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देगा।
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने MSMEs के निर्यात में 20% वृद्धि की क्षमता पर जोर दिया, अगर उन्हें आवश्यक समर्थन प्रदान किया जाए। भारद्वाज ने यह भी कहा कि MSMEs के विशेष चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक समर्पित निर्यात नीति की आवश्यकता है।
आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
MSMEs का यह भी मानना है कि अगर उन्हें अनुसंधान और विकास के लिए तकनीकी और वित्तीय समर्थन मिलता है, तो वे नए और नवाचारी उत्पादों का निर्माण कर सकेंगे, जो न केवल घरेलू बाजार में बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना सकेंगे। यह भारत को वैश्विक प्रतियोगिता में एक मजबूत स्थिति में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अंततः, MSMEs को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेगी और उन्हें आवश्यक समर्थन प्रदान करेगी, जिससे वे अपने निर्यात में वृद्धि कर सकेंगे और देश की आर्थिक वृद्धि में अधिक योगदान कर सकेंगे। यह कदम न केवल MSMEs के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि MSMEs का समर्थन करना सीधे तौर पर युवाओं के रोजगार सृजन से भी जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर होते हैं, और अगर इसे अपेक्षित समर्थन मिलता है, तो यह और अधिक रोजगार उत्पन्न कर सकता है, जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है।
MSMEs के समक्ष चुनौतियाँ
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि MSMEs को अपने व्यवसाय संचालन के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से प्रमुख हैं स्थान की कमी, अधूरी वित्तीय सहायता और नीतिगत प्रक्रियाओं की जटिलता। इन समस्याओं का समाधान करके ही MSMEs अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकते हैं और देश की आर्थिक मजबूती में अपना योगदान दे सकते हैं।
व्यापार युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय बाजार
आज का व्यापार वातावरण अधिक प्रतिस्पर्धात्मक हो चुका है। व्यापार युद्ध और विभिन्न देशों के बीच की व्यापारिक तनाव ने इसे और जटिल बना दिया है। ऐसे में MSMEs को अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ बना सकें और आर्थिक क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ सकें।
सरकार ने अब तक MSMEs के विकास और उनके समर्थन में कई प्रकार की योजनाएं और नीतियों की घोषणा की है। परंतु, उन नीतियों का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे MSMEs को वास्तविक समर्थन प्राप्त हो सके।
आशाजनक भविष्य
MSMEs का यह भी मानना है कि अगर उन्हें लक्ष्य-उन्मुख कोष और नीतिगत समर्थन मिलता है, तो वे आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर मजबूत आर्थिक स्थिति हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि वे MSMEs के महत्व को समझें और उनके विकास में हर संभव सहायता प्रदान करें। यह न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और रोजगार सृजन के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है।
इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगामी केंद्रीय बजट में सरकार MSMEs के लिए किस प्रकार के समर्थन का प्रावधान करती है और उनके निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय उठाती है।