केरल के वायनाड ज़िले में भूस्खलन से 100 से अधिक लोगों की मौत, बचाव कार्य जारी
जुल॰, 30 2024
केरल के वायनाड ज़िले में भूस्खलन से 100 से अधिक लोगों की मौत
केरल के वायनाड ज़िले में भारी बारिश के कारण भयानक भूस्खलन हुआ है, जिसमें 106 लोगों की मौत हो गई है और 100 से अधिक लोग लापता हैं। यह आपदा पश्चिमी घाट क्षेत्र के हिलॉक्स के धंसने के कारण हुई, जिससे नदियाँ और झरने उफान पर आ गए। इस आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में मेप्पडी, मुंडक्काई टाउन और चूरालमाला शामिल हैं, जो कि कालपेत्ता और सुलतान बाथेरी के पास स्थित हैं।
राहत और बचाव कार्यों में जुटी टीमों के सामने कई कठिनाइयाँ आ रही हैं, क्योंकि उफान पर आई नदियाँ रास्ता अवरुद्ध कर रही हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), सेना और नौसेना की टीमें क्षेत्र में लगी हुई हैं, लेकिन नौसैनिक और सैनिक दलों को पहुँचना बेहद मुश्किल हो रहा है। ताजाप्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बताया कि अब तक 34 शवों की पहचान हो चुकी है और 18 शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।
भूस्खलन की विस्तृत घटना
पहला भूस्खलन मुंडक्काई टाउन में रात 2 बजे हुआ, जिसमें कई लोग मलबे के नीचे दब गए और गहरे पानी के धाराओं में बह गए। दूसरी घटना चूरालमाला स्कूल के पास हुई, जो कि एक अस्थायी शेल्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। इस भूस्खलन ने स्कूल और आसपास के घरों और दुकानों को बाढ़ में डुबो दिया। चूरालमाला गाँव में चालियार नदी से 16 शव बरामद किए गए हैं। कुल मिलाकर स्थिति अत्यंत गंभीर है।
इस आपदा के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री विजयन से बात की और केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री विजयन ने पांच मंत्रियों की एक टीम बनाई है, जो राहत कार्यों की निगरानी कर रही है। तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य भी इस आपदा में केरल की मदद कर रहे हैं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी सहायता की पेशकश की है। भारतीय सेना ने डीएससी केंद्र, कन्नूर से चार कॉलम्स को राहत कार्यों के लिए तैनात किया है और भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट के लिए हेलीकॉप्टर प्रदान किए हैं। इस आपदा से उबरने के लिए और लापता लोगों को खोजने के लिए काम अभी भी जारी है।
राहत और बचाव कार्य की चुनौतियाँ
राहत और बचाव कार्यों में कई चुनौतियाँ आ रही हैं, विशेषकर उफनती नदियों के कारण। टीमों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचने में मुश्किलें हो रही हैं। डॉक्टर और मेडिकल टीमें भी संबंधित अस्पतालों में तैनात की गई हैं और बचे हुए 125 से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक भी सक्रिय रूप से राहत कार्यों में योगदान दे रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए लगाई गईं बसों और गाड़ियों का उपयोग किया जा रहा है। भोजन और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है।
आधिकारिक प्रतिक्रिया और सहयोग
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने आपदा स्थल का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने आधिकारिक बयान जारी कर लोगों से शांत और सतर्क रहने की अपील की और सभी विभागों को राहत कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह ने स्थिति का मुआयना करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें कीं।
यह एक बड़ी प्राकृतिक आपदा है जिसने वायनाड ज़िले के निवासियों को झकझोर दिया है। इस आपदा से उबरने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही हैं और परिस्थिति को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
Manoranjan jha
अगस्त 1, 2024 AT 19:17ये भूस्खलन सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि दशकों के अनियोजित विकास का नतीजा है। हिलॉक्स के आसपास बिना किसी अध्ययन के रोड बनाए गए, जंगल काटे गए, और नदियों के किनारे घर बनाए गए। अब जब बारिश हुई, तो प्रकृति ने अपना बदला ले लिया। अगली बार कोई और जगह ये गलती दोहराएगा।
Pallavi Khandelwal
अगस्त 3, 2024 AT 03:15ये जो लोग बोल रहे हैं कि सरकार ने कुछ नहीं किया... बस एक चिपकी हुई चिप्पी हैं। जब आप एक जंगल के बीच में एक स्कूल को शेल्टर बना देते हैं, तो आप जानते हैं कि ये खतरनाक है। अब आप लोग नेताओं को दोष दे रहे हैं? जिन्होंने अपने घर के बाहर लकड़ी की दीवार बनवाई थी, वो अब दुनिया को बता रहे हैं कि आपदा कैसे आई?
Pradeep Talreja
अगस्त 3, 2024 AT 11:2034 शवों की पहचान हुई है। 18 परिजनों को सौंप दिए गए। बाकी के लिए अभी डीएनए टेस्ट चल रहे हैं। ये आंकड़े अपडेट होते रहेंगे। कोई भी अंदाजा लगाना बेकार है। बचाव टीमें भी बहुत मुश्किल में हैं। नदियाँ बह रही हैं, सड़कें बह गई हैं। अब जो बातें बाहर आ रही हैं, वो सिर्फ अफवाहें हैं।
ayush kumar
अगस्त 4, 2024 AT 10:20मैं वायनाड से हूँ। मेरे दोस्त का घर चूरालमाला के पास है। वो अभी तक लापता है। मैंने आज सुबह एक वीडियो देखा-एक बच्चा अपनी माँ के हाथ से चिपका हुआ था, और फिर वो दोनों बह गए। अब मैं रो रहा हूँ। कोई बताए कि ये कैसे हुआ? हमारे जैसे लोगों को क्या गलती हुई?
Soham mane
अगस्त 6, 2024 AT 07:44हम लोगों ने ये सब देखा है। बारिश होती है, भूस्खलन होता है, फिर बारिश होती है। हम बस इंतजार करते हैं कि कौन सा गाँव अगला होगा। अब तो लोग भी इसे नॉर्मल समझने लगे हैं। ये दर्द नहीं, ये जीवन है।
Chandni Yadav
अगस्त 7, 2024 AT 12:10सरकार के बयानों में बहुत धुंधलापन है। लापता व्यक्तियों की संख्या को अभी तक स्थानीय प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है। जब तक डेटा वेरिफाइड नहीं होता, तब तक अनुमानित आंकड़े गलत निष्कर्ष निकालने का कारण बनते हैं। जनता को असली तथ्यों की आवश्यकता है, न कि भावुक बयानों की।
Raaz Saini
अगस्त 8, 2024 AT 01:22ये सब तो बस एक बड़ी बारिश थी। लेकिन इसके पीछे क्या है? आपने कभी सोचा कि ये लोग कितने दिनों से यहाँ रह रहे हैं? उनके पास कोई विकल्प नहीं था। वो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल के पास रहते थे। और अब वो मर गए। आप लोग इसे आपदा कहते हैं? ये तो अपराध है।
Kamal Sharma
अगस्त 9, 2024 AT 21:52हमारे पास ये सब तो अब तक नहीं हुआ था। हम लोग जंगलों के साथ रहते थे, नदियों के साथ। अब लोगों ने बाँध बनाए, रोड बनाए, और फिर ये हुआ। हमारे पूर्वजों ने हमें सिखाया था कि जमीन को छूने के लिए बिना अनुमति के नहीं जाना चाहिए। अब वो बातें भूल गए।
Himanshu Kaushik
अगस्त 11, 2024 AT 02:07बचाव कार्य चल रहे हैं। लोग मदद कर रहे हैं। बस इतना ही चाहिए। अब नेता बातें नहीं करें। बस लोगों को भोजन और दवा दो। बाकी सब बाद में।
Sri Satmotors
अगस्त 12, 2024 AT 12:23हम सब एक साथ हैं। ये दर्द हम सबका है। बस एक दूसरे के साथ रहो।
Mishal Dalal
अगस्त 12, 2024 AT 19:17अगर आप ये कह रहे हैं कि ये आपदा है, तो आप बेवकूफ हैं! ये तो अपराध है! जिन लोगों ने ये घर बनवाए, जिन्होंने जंगल काटे, जिन्होंने नदी के किनारे बस्ती बसाई-वो सब अपराधी हैं! और अब जो लोग राहत दे रहे हैं, वो उनकी गलती को छुपा रहे हैं! भारत ने अपने आप को बर्बाद कर दिया है! ये आपदा नहीं, ये शर्म का मुद्दा है!
Dinesh Bhat
अगस्त 13, 2024 AT 09:19मैंने एक अस्पताल वाले से बात की। वो बता रहा था कि एक बच्ची अपने पापा के नाम को बार-बार दोहरा रही थी, और फिर चुप हो गई। उसकी माँ का शव तीन दिन बाद मिला। अब वो बच्ची एक अनजान घर में रह रही है। लोग बोल रहे हैं कि सरकार ने कुछ नहीं किया। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि बच्ची को अब कौन प्यार देगा?
Neev Shah
अगस्त 15, 2024 AT 03:46इस आपदा के पीछे एक गहरी दार्शनिक व्याख्या छिपी है। यह एक निर्माण के अंतिम चरण का प्रतीक है-जहाँ मानवीय अहंकार ने प्रकृति के अनुकूल जीवन को विस्थापित कर दिया। हम ने भूमि को एक संपत्ति के रूप में देखा, न कि एक जीवित अस्तित्व के रूप में। इस विचार के बिना, भूस्खलन केवल एक घटना है। लेकिन इसका अर्थ है: हम अपने आप को नष्ट कर रहे हैं।
Sohan Chouhan
अगस्त 15, 2024 AT 18:14लोग बस इतना ही बोलते हैं कि ये आपदा है... लेकिन ये तो हमारे नेताओं की बेकारियों का नतीजा है! जिन्होंने इतने सालों तक इस जगह को बर्बाद किया और अब जब लोग मर रहे हैं, तो वो टीवी पर बैठे हैं और बोल रहे हैं कि हम सब मिलकर लड़ेंगे! ये बातें करने की जगह अपने घर के बाहर जाकर देखो कि लोग कैसे मर रहे हैं!
SHIKHAR SHRESTH
अगस्त 16, 2024 AT 11:16स्थिति बहुत गंभीर है। बचाव टीमें अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। लेकिन एक बात याद रखो-हर एक बचा हुआ जीवन, हर एक शव, हर एक रात का इंतजार... ये सब हमारे सामाजिक चेतना का टेस्ट है। अगर हम इसे भूल गए, तो अगली बार भी यही होगा।
Rahul Kaper
अगस्त 18, 2024 AT 10:53मैंने एक राहत कार्यकर्ता से बात की। उसने कहा, 'हम लोग नहीं रो रहे हैं, हम बचाने के लिए चल रहे हैं।' उसकी आँखों में दर्द था, लेकिन उसकी आवाज़ में शांति। शायद इस दुनिया में अभी भी कुछ ऐसे हैं जो दर्द को देखते हैं, और फिर भी आगे बढ़ते हैं।