भारत और कनाडा के बीच तनाव: भारतीय सरकार ने 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया
अक्तू॰, 15 2024भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक तनाव ने एक नया रूप ले लिया है जब भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह कहा गया है कि इन राजनयिकों को 19 अक्टूबर, रात 11:59 बजे तक देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है। इस कदम को दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद की नवीनतम कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों के बीच यह तनाव कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस आरोप के बाद उभरा कि भारतीय अधिकारियों का हाथ कनाडा में सक्रिय एक सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में हो सकता है।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कनाडा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित किया और इसके प्रतिउत्तर में भारत ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बाहर का रास्ता दिखाया। ताजा घटनाक्रम में कनाडा ने भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। भारतीय सरकार ने इन राजनयिकों की कूटनीतिक प्रतिरक्षा हटाने का निर्णय लिया था, जिसे कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय कानून और जिनेवा संधि के उल्लंघन के रूप में देखा। इन कार्यवाहियों ने दोनों देशों में रहने वाले नागरिकों को प्रभावित करने वाले सरोकारों को बढ़ावा दिया है।
भारत और कनाडा, दोनों देशों के नागरिकों के लिए प्रभावी दूतावास सेवाओं में गतिरोध देखने को मिल रहा है। कनाडा ने भारत के तीन प्रमुख शहरों में अपनी इन-पर्सन सेवाएं बंद करने की घोषणा की है जिससे नागरिकता संबन्धी प्रक्रियाओं, वीज़ा आवेदन और अन्य कांसुलर सेवाओं में देरी की संभावना है। दूतावास संबंधी यह संघर्ष दोनों देशों में कारोबारी वाणिज्यिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
भारत और कनाडा के बीच इस प्रकार का राजनयिक विवाद इस बात का प्रतीक है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में व्यक्तिगत घटनाएं बड़े राजनीतिक मुद्दों का कारण बन सकती हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है, और इन तनावपूर्ण परिस्थितियों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी राजनयिक को निष्कासित करने का निर्णय एक गंभीर मामला होता है और इसे बहुत सोच-समझकर लिया जाता है।
इस मुद्दे के समधान के लिए राजनयिक प्रयास जारी हैं, लेकिन इससे पहले कि दोनों देशों के बीच कोई सुलह हो सके, इन हालातों का और अधिक गंभीर होना संभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि सामरिक बातचीत और निवारक कूटनीतिज के माध्यम से इन मुद्दों को सुलझाया जा सकता है। दोनों देशों को चाहिए कि वे जनभावनाओं का ख्याल रखते हुए एक सकारात्मक और प्रगतिशील संवाद कायम करें, जो लंबे समय तक टिक सके।
यह भी महत्वपूर्ण है कि इस तरह के विवादों का प्रभाव दोनों देशों के आम नागरिकों पर न पड़े। क्योंकि दूतावास सेवाओं में आने वाले व्यवधान उनके दैनिक जीवन पर सीधे प्रभाव डाल सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में, कभी-कभी छोटे मुद्दे भी बड़े कारण बन जाते हैं, और उनका समाधान निकालना अनिवार्य होता है।