मोदी और पुतिन की दोस्ती: क्या है इसके पीछे का कारण?

मोदी और पुतिन की दोस्ती: क्या है इसके पीछे का कारण? जुल॰, 10 2024

जुलाई 8 और 9, 2024 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की। यह मुलाकात रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से मोदी की पहली रूस यात्रा थी, और इसने एक बार फिर यह सवाल उठाया कि आखिर मोदी और पुतिन की दोस्ती का मूल क्या है। इस दौरे के दौरान मोदी ने पुतिन की नीतियों की आलोचना नहीं की, बल्कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रणनीतिक और आर्थिक संबंधों पर जोर दिया। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है, खासकर जब वह अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।

मजबूत ऐतिहासिक संबंध

भारत और रूस के बीच के संबंध दशकों पुरानी मित्रता पर आधारित हैं। सोवियत संघ के समय से ही दोनों देशों के बीच गहरे और व्यापक व्यापारिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं। इन संबंधों ने समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में अपने स्वरूप बदलते रहे हैं, जैसे कि रक्षा, ऊर्जा, और अंतरिक्ष अनुसंधान। मोदी और पुतिन की बातचीत का एक बड़ा हिस्सा इन ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने पर केंद्रित था। विशेष रूप से, रक्षा सहयोग में बढ़ोतरी पर जोर दिया गया। भारत एक प्रमुख रक्षा उपकरण खरीदार है और रूस से उसकी महत्वपूर्ण भागीदार है।

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से बड़ी मात्रा में तेल और गैस खरीदा है, जो उसके ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, मोदी का दौरा न केवल सामरिक, बल्कि व्यावसायिक हितों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था। हालांकि, पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूसी ऊर्जा स्रोतों के साथ अपने संबंध बरकरार रखे हैं।

संवेदनशील कूटनीतिक स्थिति

संवेदनशील कूटनीतिक स्थिति

भारत की यह यात्रा महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह उस समय पर हुई जब पश्चिमी जगत रूस के विरुद्ध कड़ा रुख अपना रहा था। ऐसे में मोदी का यह दौरा यह संकेत देता है कि भारत अपने पारंपरिक सहयोगियों के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि भारत चीन के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित है और व्यापक कूटनीतिक विकल्पों पर विचार कर रहा है।

कूटनीति के क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण कदम यह भी है कि वह यूक्रेन संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से परहेज कर रहा है। इसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह संदेश भेजा है कि भारत अपने निर्णय स्वयं लेने के पक्ष में है और किसी भी प्रकार के दबाव से प्रभावित नहीं होता।

नैटो और अमेरिकी जुड़ाव

नैटो और अमेरिकी जुड़ाव

मोदी की यह यात्रा तब संपन्न हुई जब वाशिंगटन में नैटो की बैठकों का आयोजन हो रहा था। ऐसे समय पर मोदी का रूस जाना इस बात को दर्शाता है कि भारत अपनी स्वतंत्र कूटनीतिक नीतियों पर कायम है और वह अपने दीर्घकालिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मोदी और पुतिन की मुलाकात का मुख्य उद्देश्य रक्षा सहयोग में वृद्धि और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा करना था। इस दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जैसे कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद और व्यापार संबधित अन्य मुद्दे। यह सभी तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि भारत और रूस के बीच की कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों की गर्मजोशी आने वाले समय में और भी बढ़ेगी।

संक्षेप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा ने इस बात पर जोर डाला कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आए बिना अपने पारंपरिक सहयोगियों के साथ संबंध बनाए रखने में विश्वास रखता है। यह यात्रा परिणामस्वरूप, विश्व स्तर पर भारत की कूटनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगी और साथ ही अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख शक्तियों के साथ इसके संतुलित संबंधों को भी सुनिश्चित करेगी। यह दौरा विशेष रूप से रूस-चीन संधियों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण था, जिसमें भारत और रूस के बीच के संबंधों की नई दिशा देने की कोशिश की गई।