विक्रम मित्री बने नए विदेश सचिव; विनय क्वात्रा होंगे अमेरिका में भारतीय राजदूत
जून, 29 2024
विक्रम मित्री बने नए विदेश सचिव
भारतीय सरकार ने डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) विक्रम मित्री को 15 जुलाई से नया विदेश सचिव नियुक्त किया है। विक्रम मित्री, जो 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं, इससे पहले चीन के साथ पूर्वी लद्दाख संकट के दौरान अपनी भूमिका के कारण चर्चा में आए थे। उन्होंने इस संकट के दौरान भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरोसा मिला।
चीन के साथ इस संवेदनशील मसले पर बातचीत में उनकी कुशलता और दक्षता ने उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की सराहना प्राप्त की। विक्रम मित्री ने तीन भारतीय प्रधानमंत्रियों — आई.के. गुजराल, मनमोहन सिंह, और नरेंद्र मोदी — के निजी सचिव के रूप में भी काम किया है। उनकी यह बहुमुखी यात्रा और अनुभव ने उन्हें इस नई जिम्मेदारी के लिए तैयार किया है।
विनय क्वात्रा होंगे अमेरिका में नए भारतीय राजदूत
वर्तमान विदेश सचिव विनय क्वात्रा, जो 1988 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं, को अमेरिका में अगला भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया है। विनय क्वात्रा के पास 34 से अधिक सालों का विस्तृत राजनयिक अनुभव है और उन्होंने अप्रैल 2022 से अपने वर्तमान पद पर रहते हुए भारत के विदेशी संबंधों को मुश्किल मसलों के बीच निपटाया है।
क्वात्रा के कार्यकाल में उनसे कई जटिल मुद्दों का सामना करना पड़ा, जिनमें भारत-फ्रांस के बीच राफाल लड़ाकू विमान सौदा भी शामिल है। उन्होंने अगस्त 2017 से फरवरी 2020 तक फ्रांस में भारत के राजदूत के रूप में इस डील को सफलता पूर्वक लागू किया था। अमेरिका में इस नई भूमिका में, उनके सामने कई चुनौतियाँ होंगी, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दे और गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कथित हत्या की साज़िश शामिल है।
अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ
अभी की एक महत्वपूर्ण अटकल यह है कि फ्रांस में वर्तमान में तैनात राजदूत जावेद अशरफ, विक्रम मित्री के स्थान पर डिप्टी एनएसए बन सकते हैं। अशरफ ने राफाल विमानों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और तथा उनका अनुभव बहुत व्यापक है। उन्होंने पहले भी भारत के राजदूत के रूप में सिंगापुर और पीएमओ में संयुक्त सचिव के रूप में काम किया है।
अभी हाल ही में एक और महत्वपूर्ण नियुक्ति में, रविश कुमार को चेक गणराज्य में भारत का नया राजदूत नियुक्त किया गया है। रविश कुमार की यह नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है जब चेक गणराज्य से भारतीय मूल के निखिल गुप्ता, जो पन्नू की हत्या की साज़िश के आरोप में थे, को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया है। यह घटनाएं इन कूटनीतिक भूमिकाओं की आपस में जुड़ी हुई महत्वता को और भी स्पष्ट करती हैं।
नए बदलाव और चुनौतियाँ
इन नियुक्तियों के साथ, भारत की कूटनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। विक्रम मित्री और विनय क्वात्रा का अनुभव और उनकी नई भूमिकाएँ दोनों ही आने वाले समय में भारत के विदेशी संबंधों को और मजबूती प्रदान करेंगी। ये नियुक्तियाँ ऐसे समय में हो रही हैं जब दुनियाभर में भू-राजनैतिक परिस्थितियाँ बदल रही हैं और भारत को अपनी स्थिति को और मजबूत करना जरूरी है।
इन बदलावों के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि विक्रम मित्री, विनय क्वात्रा और जावेद अशरफ जैसे कुशल अधिकारी अपनी नई जिम्मेदारियों को कैसे संभालते हैं और भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कैसे आगे बढ़ाते हैं।
venkatesh nagarajan
जून 30, 2024 AT 16:14इस तरह की नियुक्तियाँ तब होती हैं जब अनुभव और निष्पक्षता का मिश्रण होता है। विक्रम मित्री ने चीन के साथ उस तनाव को नियंत्रित किया जिसे कोई और नहीं संभाल सकता था। ये आदमी शांति के लिए काम करता है, न कि आग लगाने के लिए।
कभी-कभी शक्ति का इस्तेमाल बातचीत से होता है, न कि ताकत से।
Drishti Sikdar
जुलाई 1, 2024 AT 01:00अरे भाई, विनय क्वात्रा को अमेरिका भेज दिया? वहाँ तो अब हर दूसरा भारतीय गुरुपतवंत सिंह पन्नू का नाम लेता है। ये राजदूत बनने के बजाय एक अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियान चलाने जा रहे हैं।
indra group
जुलाई 2, 2024 AT 20:45अरे यार, ये सब नियुक्तियाँ बस एक बड़ा नाटक है! चीन के साथ बातचीत करने वाला विक्रम मित्री? वो तो बस एक अच्छा बातचीत करने वाला लड़का है, न कि कोई रणनीतिक जीनियस।
और विनय क्वात्रा? राफाल डील तो उसने बेच दी थी, न कि बनाई। अब अमेरिका में उसका क्या करना है? अमेरिकी संसद को भारत के बारे में एक बेहतरीन TED Talk देना?
और जावेद अशरफ? वो तो फ्रांस में भी बस अपने बारे में बात करते रहे। ये सब नियुक्तियाँ बस एक नए दौर की शुरुआत है - जहाँ राजनयिक अपनी बात बाहर नहीं, बल्कि अंदर बोलते हैं।
sugandha chejara
जुलाई 3, 2024 AT 12:09ये सब नियुक्तियाँ बहुत अच्छी हैं। विक्रम मित्री का अनुभव चीन के साथ बातचीत में बहुत मददगार होगा, और विनय क्वात्रा का अमेरिका में काम भी बहुत जरूरी है।
ये लोग अपने काम को बहुत गंभीरता से लेते हैं, और उनकी शांत दृष्टि आज के तनावपूर्ण वातावरण में बहुत जरूरी है।
मुझे लगता है कि ये नियुक्तियाँ भारत के लिए एक नई ऊँचाई की ओर ले जाएंगी।
हमें इन लोगों को समर्थन देना चाहिए - न कि उनके बारे में बेकार की बातें करना।
हर दूत एक देश का प्रतिनिधि होता है, और ये लोग बहुत अच्छे प्रतिनिधि हैं।
DHARAMPREET SINGH
जुलाई 3, 2024 AT 15:32अरे भाई, ये सब नियुक्तियाँ तो बस एक बड़ा पीएमओ रिक्रूटमेंट ड्रामा है। विक्रम मित्री? ओके, चीन के साथ बातचीत करने वाला आदमी - लेकिन उसके बाद क्या? क्या वो अब अमेरिका के लिए भी एक टेक्निकल डिफेंस डिक्शनरी बन जाएगा?
विनय क्वात्रा के लिए तो राफाल डील अब एक फ्रेंच लाइसेंस की तरह है - बस एक बड़ा बैंगनी डॉक्यूमेंट जिसे किसी ने अंग्रेजी में लिख दिया।
और जावेद अशरफ? उसका नाम सुनकर लगता है जैसे कोई फ्रांस के एक बैंक में ग्राहक है।
ये सब नियुक्तियाँ बस एक बड़ा ब्यूरोक्रेटिक लॉटरी है - जहाँ जिसका नाम ऊपर आता है, वो जाता है।
कोई नहीं जानता कि असली रणनीति क्या है।
gauri pallavi
जुलाई 5, 2024 AT 10:37विनय क्वात्रा को अमेरिका भेजा गया... अरे भाई, वहाँ तो अब भारतीय राजदूत का काम ये है कि वो अमेरिकी टीवी पर जाकर बताए कि हम नहीं चाहते कि कोई हमारे देश के नागरिकों को गिरफ्तार करे।
बस अब देखना है कि कौन ज्यादा बोलता है - क्वात्रा या अमेरिकी टीवी होस्ट।
Agam Dua
जुलाई 6, 2024 AT 05:50इन नियुक्तियों में एक बड़ी बात छिपी है - जो भी चीन के साथ बातचीत करता है, उसे विदेश सचिव बना दिया जाता है, और जो राफाल डील करता है, उसे अमेरिका भेज दिया जाता है।
ये तो एक बड़ा अनुभव बेचने का खेल है।
क्या कोई जानता है कि इन लोगों के अलावा कोई और नहीं था? या ये सब बस एक नियमित गोल राउंड है?
भारत की विदेश नीति अब एक फॉर्मल फॉर्म पर चल रही है - न कि किसी विचार पर।
इसलिए अगर आप चाहते हैं कि भारत दुनिया को दिखाए कि वो क्या है, तो इन लोगों को बस एक टेक्स्ट बुक दे दो।
Gaurav Pal
जुलाई 7, 2024 AT 19:36विक्रम मित्री ने चीन के साथ बातचीत की - ठीक है, लेकिन उसने क्या बनाया? एक शांति समझौता? नहीं। एक टाइमिंग डिले।
विनय क्वात्रा ने राफाल डील की - बहुत अच्छा, लेकिन वो डील अभी भी फ्रांस के बैंक में बंद है।
अब जावेद अशरफ को डिप्टी एनएसए बनाने की बात है? वो तो फ्रांस में भी बस एक बड़े बाजार में चलता रहा।
ये सब नियुक्तियाँ बस एक बड़ा नाटक है - जहाँ असली नीति तो बाहर है, और अंदर बस नाम बदल रहे हैं।
भारत को अब एक नई नीति की जरूरत है - न कि एक नया नाम।
sreekanth akula
जुलाई 9, 2024 AT 04:42इन नियुक्तियों में एक बड़ी बात है - भारत अपने राजनयिकों को अपने इतिहास के अनुसार नहीं, बल्कि उनके अनुभव के आधार पर चुन रहा है।
विक्रम मित्री की चीन से बातचीत की क्षमता, विनय क्वात्रा की अमेरिका के साथ रिश्ते की गहराई, जावेद अशरफ की फ्रांस में निर्माण योग्यता - ये सब एक नए दौर की शुरुआत है।
हम अब बस नाम नहीं देख रहे, बल्कि उनके कार्य को देख रहे हैं।
यही तो वास्तविक राजनयिक नेतृत्व है - जहाँ नाम नहीं, बल्कि कार्य मायने रखता है।
ये नियुक्तियाँ भारत के लिए एक नए आत्मविश्वास का प्रतीक हैं - जहाँ हम दुनिया के साथ बातचीत करते हैं, न कि उसके ऊपर बोलते हैं।
ये बदलाव बहुत बड़े हैं - और ये बदलाव सिर्फ नियुक्तियों से नहीं, बल्कि हमारी सोच से आ रहे हैं।
हम अब एक देश हैं जो अपने लोगों पर भरोसा करता है - और ये बहुत बड़ी बात है।