वर्षा पूर्वानुमान क्या है और क्यों जरूरी है?
जब मौसम बदलता है तो खेती‑बाड़ी, यात्रा या सिर्फ रोज़मर्रा की योजना बनाना आसान हो जाता है। इसी लिये हर साल IMD (इंडियन मेथियोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट) भारत के अलग‑अलग ज़िलों के लिए वर्षा का अनुमान लगाता है। ये पूर्वानुमान सिर्फ आंकड़े नहीं होते, बल्कि किसानों को बीज बुवाई‑समय तय करने में, शहर वालों को जल आपूर्ति की तैयारी में और यात्रियों को सफ़र सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं।
आप भी अगर इस साल के बारिश के पैटर्न को समझना चाहते हैं तो नीचे दिए गए सेक्शन पढ़ें। हर भाग में सरल भाषा में बताया गया है कि कब, कहाँ, और कितनी बारिश हो सकती है और उसके लिए क्या तैयारी करनी चाहिए।
IMD की भविष्यवाणी प्रक्रिया कैसे काम करती है?
IMD के वैज्ञानिक कई डेटा स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करते हैं – सैटेलाइट इमेज, मौसम स्टेशन, समुद्री तापमान और वायुमंडलीय दबाव। इन सबको एक साथ मिलाकर कंप्यूटर मॉडल बनाते हैं जो अगले कुछ हफ्तों से लेकर पूरे साल तक की बारिश का अनुमान लगाते हैं। हर महीने के अंत में वे ‘सालाना जलवायु रिपोर्ट’ जारी करते हैं, जिसमें न केवल कुल वर्षा बल्कि उसका वितरण भी दिखाया जाता है।
अगर आप स्थानीय मौसम स्टेशन या IMD की आधिकारिक वेबसाइट पर देखें तो आपको एक ग्राफ मिलेगा जो बताता है कि पिछले 30 सालों में आपकी जगह कितनी बार भारी बारिश हुई है और इस साल का अनुमान कैसे बदल रहा है। इससे पता चलता है कि कहीं बाढ़ के खतरे तो नहीं बढ़ रहे, या सूखे का जोखिम तो नहीं है।
क्षेत्र‑वार वर्षा का अनुमान और तैयारियां
उत्तर भारत (जैसे पंजाब, हरियाणा) – इस साल इन क्षेत्रों में मॉनसून की शुरुआत अक्टूबर के अंत से हो सकती है, पर बारिश का स्तर पिछले वर्षों से हल्का कम रहने की संभावना है। किसान फसल चुनते समय धान के बजाय गेंहू या जौ को प्राथमिकता दे सकते हैं। घर वाले भी पानी बचाने के लिए टैंक लगवाना शुरू कर दें।
पूर्वोत्तर (असम, मेघालय) – ये इलाके हमेशा अधिक वर्षा देखते आते हैं। 2025 में भी भारी बारिश की संभावना है, खासकर जुलाई‑अगस्त में। बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिये निचले इलाकों से ऊपर वाले क्षेत्रों में घर बनाना और निकास रास्ते साफ रखना जरूरी होगा।
दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु) – यहाँ साल भर बरसात होती है, पर अगस्त‑सितंबर में सबसे ज्यादा बारिश आती है। अगर आप यहाँ रहते हैं तो छत की लीकेज चेक कराएं और ड्रेनेज सिस्टम ठीक रखें। खेती वाले लोग नारियल या कोको जैसी फसलें बो सकते हैं जो अधिक पानी सहन करती हैं।
पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गोवा) – इस साल महाराष्ट्र में जून‑जुलाई तक हल्की बारिश हो सकती है, फिर अगस्त में तीव्र बाढ़ की संभावना बनी रहेगी। मुंबई जैसे बड़े शहरों में जल निकासी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना चाहिए।
इन सभी क्षेत्रों के लिए एक सामान्य टिप यह है कि आप अपने घर के आसपास पानी जमा होने वाले जगहों को खाली रखें और हर महीने कम से कम एक बार नल या पाइप की लीकेज चेक कर लें। अगर आपको खेती करनी है तो बीज खरीदते समय स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क करके सालाना बारिश रिपोर्ट दिखवाएं, इससे सही फसल चुनने में मदद मिलेगी।
आख़िर में याद रखें कि मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ अनुमान है, लेकिन IMD की जानकारी पर भरोसा करने से आप कई अप्रिय स्थितियों से बच सकते हैं। इस साल के बारिश के पैटर्न को समझ कर अपना दिन‑दिन बेहतर प्लान करें और सुरक्षित रहें।