उत्तराखंड मौसम: ताज़ा जानकारी और आसान सलाह
उत्तराखंड की पहाड़ी हवा, घाटियों की धुंध और कभी‑कभी तेज़ बौछारों का माहौल सबको आकर्षित करता है। साल भर बदलते मौसमी पैटर्न को समझना जरूरी है, खासकर जब आप ट्रेकिंग या यात्रा की योजना बना रहे हों। नीचे हम सरल शब्दों में मौसम के मुख्य पहलुओं को बताते हैं जिससे आपका सफर सुरक्षित और आरामदायक बने।
विभिन्न क्षेत्रों में अलग‑अलग जलवायु
पूरा राज्य तीन मुख्य इलाकों में बाँटा गया है: पहाड़ी, मध्यहills और तराई. पहाड़ों में सर्दियों में तापमान -5°C तक गिर सकता है, जबकि निचले इलाकों में 10‑15°C रहता है। बरसात के मौसम में ऊँचाई पर तेज़ बारिश और बर्फबारी दोनों हो सकती हैं, इसलिए एक हल्का रेनकोट और गरम जॅकेट साथ रखें।
आज का पूर्वानुमान और कब देखें अपडेट
इंस्टिट्यूट ऑफ मेेटीओरोलॉजी (IMD) के आधिकारिक ऐप या वेबसाइट से हर घंटे की जानकारी मिलती है। आम तौर पर शाम को अगले 24‑घंटे का अनुमान सटीक रहता है, इसलिए यात्रा से पहले दो‑तीन बार जांचें। अगर आप ग्रीष्मकाल में बौछार वाले इलाके में जा रहे हैं तो अलर्ट सेट कर लेना बेहतर रहेगा।
अब बात करते हैं मौसमी बदलाव की. जून‑जुलाई में उत्तराखंड के उत्तर भाग में गर्मी का असर कम रहता है, लेकिन दक्षिणी घाटियों में तापमान 30°C से ऊपर चढ़ सकता है। इस अवधि में धूप तेज़ होती है, इसलिए सनग्लास और टोपी अवश्य रखें। अगर आप शिमला या नैनीताल जैसे हिल स्टेशन पर हैं तो शाम को हल्की ठंड का अनुभव करेंगे; एक स्वेटर handy रखें।
सर्दियों में (दिसंबर‑फरवरी) बर्फबारी अक्सर आती है, विशेषकर चमोली और अल्मोड़ा में। सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं, इसलिए ड्राइविंग के समय धीरे चलाएँ और टायर की स्थिति जांचें। ट्रेकर्स को एंटी‑स्लिप शूज़ और गर्म ग्लव्स साथ ले जाने का सलाह दिया जाता है।
बारिश का मौसम (अक्टूबर‑नवम्बर) अक्सर अचानक शुरू होता है, खासकर गढ़वाल के भागों में. बाढ़ की संभावना कम नहीं रहती, इसलिए नदी किनारे रहने वाले गाँवों से दूर रहें और स्थानीय प्रशासन की चेतावनियों को सुनें।
अगर आप पहाड़ी यात्रा की योजना बना रहे हैं तो सुबह जल्दी निकलें, क्योंकि दोपहर तक धुंध या बादल छा सकते हैं जो दृश्यता कम कर देते हैं। रास्ते में छोटे‑छोटे चौकी पर रेस्ट एरिया होते हैं; पानी और स्नैक्स साथ रखें।
जिन्हें स्वास्थ्य की चिंता है, उन्हें ऊँचाई के असर (एयरलेट) से बचने के लिए धीरे‑धीरे चढ़ना चाहिए। पहले दो-तीन दिन कम मेहनत करें, फिर शरीर को ऐडजस्ट करने दें। अगर सिर में दर्द या उल्टी हो तो तुरंत नीचे उतरें और डॉक्टर से मिलें।
आखिर में एक आसान टिप: स्थानीय लोगों से पूछें कि कौन सा रास्ता सुरक्षित है और कब बंद रहता है। उनका अनुभव अक्सर मौसम रिपोर्ट से ज़्यादा भरोसेमंद होता है। इन साधारण उपायों को अपनाकर आप उत्तरी भारत की सुंदरता का पूरा लुत्फ़ उठा सकते हैं, बिना किसी परेशानी के।