निवेश जोखिम: क्या है, क्यों होते हैं और कैसे बचें?
आप ने कभी सोचा है कि आपका पैसा एक ही दिन में क्यूँ घट सकता है? अक्सर ऐसा तब होता है जब हम निवेश के जोखिम को सही से नहीं समझते। यहाँ पर हम आसान भाषा में बताएँगे कि कौन‑कौन से जोखिम होते हैं और उन्हें कम करने के लिये क्या‑क्या कदम उठा सकते हैं।
निवेश जोखिम के मुख्य प्रकार
बाजार जोखिम: शेयर, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड जैसी चीज़ों की कीमतें मार्केट के उतार‑चढ़ाव से बदलती रहती हैं। अगर बाजार गिरता है तो आपका पोर्टफोलियो भी नीचे जा सकता है।
क्रेडिट जोखिम: जब आप किसी कंपनी या सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं, तो उनके डिफॉल्ट करने का खतरा रहता है। खासकर छोटे‑मोटे कंपनियों के बॉण्ड में यह जोखिम ज्यादा होता है।
लिक्विडिटी रिस्क: कभी‑कभी आप चाहते हैं कि आपका पैसा जल्दी निकले, लेकिन कुछ एसेट्स जैसे रियल एस्टेट या प्राइवेट इक्विटि तुरंत नहीं बेच पाते। इससे फंडिंग की जरूरत पड़ने पर परेशानी हो सकती है।
मुद्रा जोखिम: अगर आप विदेशी निवेश कर रहे हैं तो डॉलर, यूरो आदि की कीमतें बदलने से आपका रिटर्न घट सकता है। खासकर जब INR कमजोर हो।
विनियम जोखिम: सरकार के नए नियम या टैक्स में बदलाव भी आपके रिटर्न को असर डाल सकते हैं। उदाहरण के लिये, अगर एक नया कर लगाया गया तो आपकी कमाई कम होगी।
जोखिम कम करने के आसान कदम
पहला कदम है डायवर्सिफिकेशन. अपना पैसा कई एसेट क्लास में बांटे‑बांटे करके आप एक ही सेक्टर की गिरावट से बच सकते हैं। जैसे 30% शेयर, 30% बॉन्ड, 20% गोल्ड और बाकी नकदी या म्युचुअल फंड में रखें।
दूसरा है टाइम होराइजन सेट करना. यदि आपके लक्ष्य पाँच साल के भीतर हैं तो आप लंबी अवधि वाले निवेश चुनें जो अल्पकालिक उतार‑चढ़ाव को सहेज सके। छोटा‑छोटा समय में निकासी की योजना बनाते रहें तो अचानक गिरावट का असर कम रहेगा।
तीसरा, रिस्क प्रोफाइल समझें. अपनी आयु, आय स्तर और बचत लक्ष्य के हिसाब से तय करें कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं। युवा निवेशक आम तौर पर अधिक रिस्क ले सकते हैं जबकि रिटायरमेंट वाले को सुरक्षित विकल्प चुनने चाहिए।
चौथा, नियमित पोर्टफोलियो रीव्यू. हर 6‑12 महीने में अपने एसेट्स की समीक्षा करें और जरूरत पड़े तो रीबैलेंसिंग करके सही अनुपात बनाये रखें। इससे आप लाभ को लॉक कर सकते हैं और नुकसान से बच सकते हैं।पाँचवा, फंडामेंटल रिसर्च. जिस कंपनी या फंड में पैसा लगाते हैं, उसकी वित्तीय स्थिति, प्रबंधन टीम और उद्योग की संभावनाओं को देखें। भरोसेमंद डेटा स्रोतों जैसे SEBI, Moneycontrol आदि से जानकारी लें।
अंत में एक बात याद रखें – निवेश कोई जुगार नहीं है, यह एक योजना बनाकर किया गया कदम है। यदि आप जोखिम को समझते हैं और ऊपर बताये गये साधनों को अपनाते हैं तो आपका पैसा सिर्फ बचत नहीं बल्कि बढ़ती हुई संपत्ति बन सकता है।
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