ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है?
जब किसी चीज़ की कीमत सामान्य बाजार से ज़्यादा हो, तो उसे हम ‘प्रीमिक्स’ कहते हैं। ग्रे मार्केट में यह प्रीमिक्स अक्सर काली या अनौपचारिक लेन‑देन की वजह से बनती है। सरल शब्दों में, आप वही चीज़ आधिकारिक कीमत पर नहीं, बल्कि ऊँची दर पर खरीद रहे होते हैं क्योंकि वह वैध तरीके से उपलब्ध नहीं है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम क्यों बढ़ता है?
पहला कारण सप्लाई की कमी है। अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट या दवा सरकार के नियामक द्वारा प्रतिबंधित हो, तो लोग उसे ब्लैक‑मार्केट से लाते हैं और कीमत तेज़ी से बढ़ती है। दूसरा कारन है जल्दी पैसा कमाने की लालसा – कुछ ट्रेडर सीमित जानकारी का उपयोग करके प्राइसेस को हेर-फेर कर देते हैं। तीसरा, अक्सर टैक्स या कस्टम ड्यूटी बचाने के लिए लोग अनौपचारिक मार्ग अपनाते हैं और इससे कीमत में जोड़ बन जाता है।
इन सबके अलावा, आर्थिक अस्थिरता भी प्रीमिक्स को बढ़ा देती है। जब बाजार में भरोसा कम होता है, तो खरीदार सुरक्षित विकल्पों के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं, भले ही वह कीमत औपचारिक मार्केट से कई गुना अधिक हो।
बचाव के आसान उपाय
सबसे पहला कदम है भरोसेमंद स्रोत चुनना। यदि आप कोई प्रोडक्ट ऑनलाइन या ऑफ़लाइन खरीद रहे हैं, तो आधिकारिक डीलर या प्रमाणित स्टोर से लेन‑देन करें। दूसरा, कीमत की तुलना करना न भूलें – एक ही आइटम के लिए कई जगहों पर रेट चेक करने से आपको असामान्य प्रीमिक्स दिखेगा।
तीसरा, सरकारी नियमों और टैक्स के बारे में जागरूक रहें। अगर किसी चीज़ की वैधता या कस्टम ड्यूटी स्पष्ट नहीं है, तो उसे खरीदने से बचें। चौथा, वित्तीय सलाहकार या अनुभवी ट्रेडर्स से चर्चा करके जोखिम को कम किया जा सकता है।
अंत में यह याद रखें कि ग्रे मार्केट प्रीमिक्स सिर्फ अतिरिक्त लागत नहीं, बल्कि संभावित धोखाधड़ी का संकेत भी हो सकता है। सावधानी बरतें, सही जानकारी रखें और अपने निवेश को सुरक्षित बनाएं।