देवशयनि एकादशी 2025: तिथि, उपवास और अनुष्ठान
अगर आप हिन्दू कैलेंडर में किसी खास दिन की तलाश में हैं तो देवशयनि एकादशी आपके लिए अहम हो सकती है। यह व्रत अक्सर शौचीन्य, पवित्रता और आत्म‑संतुलन से जुड़ा माना जाता है। इस लेख में हम बताएँगे कब पड़ती है ये तिथि, क्यों रखा जाता है उपवास और घर में कौन‑से पूजा‑पद्धति अपनानी चाहिए। पढ़ते ही आप तैयार हो जाएंगे।
देवशयनि एकादशी कब है?
2025 में देवशयनि एकादशी कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अंतीम तिथि पर पड़ती है, यानी 27 अक्टूबर को। यह दिन कृष्णा जी के जन्मदिवस से लगभग दो हफ्ते बाद आता है और कई लोग इसे वैराग्य‑व्रत का दिन मानते हैं। इस तारीख को पंचांग में "एकादशी" लिखा जाता है क्योंकि शुक्ल पक्ष के नौवें दिन के बाद एक ही दिन पर दो बार एकादशी आती है, इसलिए इसे "देवशयनि" कहा गया।
उपवास और पूजा विधि
इस व्रत का मुख्य उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना है। उपवास में आमतौर पर फल, दूध, घी, नारियल पानी और हल्का कच्चा भोजन लिया जाता है। चावल या आटा वाले पकवान से बचना चाहिए क्योंकि ये पाचन को भारी बनाते हैं। व्रति लोग सुबह उठकर नीरज जल (शुद्ध जल) पीते हैं, फिर सूर्य नमस्कार करके मन को शांत करते हैं।
पूजा के लिए घर में एक छोटा अल्मारी या साफ़ जगह तैयार करें। उसमें शिवलिंग, काली माँ की प्रतिमा या कोई भी देवता रख सकते हैं। दो कप शुद्ध जल, पुदीने का जल और दही के साथ थोड़ा‑थोड़ा घी डालें। फिर हल्दी, चन्दन, तुलसी के पत्ते और फूल छिड़कें। दीप जलाने के बाद "ओम् नमः शिवाय" या आपके पसंदीदा मंत्रों का जाप करें। अंत में प्रसाद में मीठा फल या नारियल दे सकते हैं।
भोजन में हल्दी, काली मिर्च और जीरा जैसे तीखे मसालों से बचें; ये पाचन को बिगाड़ते हैं। यदि आप कामकाजी हैं तो व्रत के बाद दो घंटे तक हल्का भोजन रखें – दही या फल का जूस सबसे बेहतर रहेगा। शाम को फिर से दीप जलाकर भगवान की आरती करें और दिन भर का धन्यवाद कहें।
ध्यान रखें कि इस एकादशी पर कोई भी शराब, मांस, अंडा या तेज़ मसालेदार चीज़ न खाएँ। अगर आप स्वास्थ्य कारणों से पूरी तरह व्रत नहीं रख पाते तो कम से कम दो‑तीन घंटे के लिए हल्का भोजन करें और शुद्ध जल पीते रहें। इस प्रकार आपका शरीर और मन दोनों ही साफ़ रहेंगे और त्यौहार की ऊर्जा भी सही दिशा में प्रवाहित होगी।
सारांश में, देवशयनि एकादशी 2025 में 27 अक्टूबर को आती है, इसका उद्देश्य पवित्रता और आत्म‑निरीक्षण है। उपवास सरल रखें, पूजा विधियों का पालन करें और दिन भर शांति बनाए रखें। इस तरीके से आप न केवल व्रत पूरा करेंगे बल्कि अपने जीवन में भी सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे।