अस्थिरता – भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है?
आख़िरी कुछ महीनों में समाचार साइटों पर "अस्थिरता" शब्द बहुत बार सुनने को मिल रहा है। आप भी अक्सर सोचते होंगे कि यह अस्थिरता क्यों बढ़ रही है, किस चीज़ से असर पड़ रहा है और हम क्या कर सकते हैं। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि आज के भारत में किन‑किन पहलुओं में अस्थिरता दिख रही है और इसके पीछे कौन‑से कारण काम कर रहे हैं।
राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा की चुनौतियाँ
सबसे पहले बात करते हैं राजनीति की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कई देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, लेकिन साथ ही कश्मीर‑आतंकवाद पर भारत का संदेश भी दबी नहीं रहा। यह दिखाता है कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों में तनाव मौजूद है। इसी तरह, हालिया क्रिकेट मैचों में डकिंग‑लुईस‑स्टर्न (DLS) नियम के कारण इंग्लैंड की महिला टीम ने भारत को बराबर किया – खेल में बदलाव से भी जनता का ध्यान अस्थिरता की ओर जाता है।
राजनीतिक अस्थिरता सिर्फ विदेश नीति तक सीमित नहीं, बल्कि घरेलू स्तर पर भी दिखती है। विभिन्न राज्य‑स्तरीय लॉटरी परिणाम या चुनावी घोषणा अक्सर लोगों के मन में आशा‑डर को बढ़ाते‑घटाते हैं। इन घटनाओं से जनता का भरोसा कभी‑कभी हिल जाता है और इस वजह से सामाजिक माहौल थोड़ा अस्थिर हो जाता है।
आर्थिक उतार‑चढ़ाव और बाजार की अनिश्चितता
अब बात करते हैं अर्थव्यवस्था की। सोने की कीमत ने अप्रैल 2025 में ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची, क्योंकि अमेरिका‑चीन के बीच व्यापार तनाव, रूसी‑यूक्रेन जंग और डॉलर्स का कमजोर होना सभी मिलकर निवेशकों को सुरक्षित माना जाने वाले सोने की ओर धकेल रहा है। जब सोना महंगा हो जाता है तो आम लोगों के लिए खर्चा बढ़ता महसूस होता है और आर्थिक अस्थिरता की भावना गहरी होती है।
इसी तरह, एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों ने तिमाही में रिकॉर्ड मुनाफा दिखाया, लेकिन साथ ही शेयर बाजार में अचानक उछाल आया। ऐसी तेज़ी‑धीमी का असर छोटे निवेशकों पर पड़ता है; कभी‑कभी लाभ तो मिलता है, तो कभी नुकसान। जब वित्तीय आँकड़े लगातार बदलते रहते हैं तो आम नागरिक भी यह सोचने लगते हैं कि आगे क्या होगा।
इन आर्थिक बदलावों को समझना आसान नहीं लगता, लेकिन कुछ बुनियादी चीज़ें मदद कर सकती हैं – जैसे नियमित रूप से भरोसेमंद समाचार स्रोत पढ़ना, निवेश में विविधता लाना और बचत के लिए आपातकालीन निधि बनाकर रखना। ये कदम अस्थिर समय में स्थिरता की नींव रख सकते हैं।
समाप्त करने से पहले यह याद रखें कि अस्थिरता हमेशा बुरा नहीं होती। कभी‑कभी बदलाव नया अवसर भी लेकर आता है – चाहे वह नई नौकरी, नई निवेश रणनीति या सामाजिक पहल के रूप में हो। इसलिए खबरों को सिर्फ डराने वाला नहीं, बल्कि समझने का जरिया बनाएं और खुद को अपडेट रखें। यही तरीका है अस्थिरता के दौर में संतुलन बनाए रखने का।