सोने ने बनाया नया रिकॉर्ड: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच ऐतिहासिक ऊँचाई

सोने ने बनाया नया रिकॉर्ड: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच ऐतिहासिक ऊँचाई अप्रैल, 23 2025

सोने का रिकॉर्ड ब्रेक सफर: क्या है इस उछाल के पीछे?

सोने ने 21 अप्रैल 2025 को सोना बाजार में नया इतिहास रच दिया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत $3,385.08 प्रति औंस तक पहुंच गई, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। कारोबार बंद होते समय भी सोना $3,373.70 प्रति औंस रहा और अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स में भी 1.8% उछाल के साथ यह $3,386.50 तक पहुंच गया। बुलियन एक्सचेंज के आंकड़े इसे और ऊपर दिखाते हैं—$3,427.00 प्रति औंस! सिल्वर ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया, इसकी कीमत $32.90 पर मजबूत रही।

लेकिन क्या अचानक इतना बड़ा उछाल आया? दरअसल, व्यापार तनाव और आर्थिक जोखिमों ने सोने की चमक को और बढ़ा दिया। अमेरिका और चीन में बढ़ती तनातनी—जहां एक तरफ अमेरिकी प्रशासन ने दोहरे टैक्स और सख्ती का रास्ता चुना, वहीं चीन ने दूसरी देशों को चेतावनी दे डाली कि वे उसके हितों के खिलाफ जाएं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहें। जिस तरह से दोनों देश आमने-सामने हैं, उसने निवेशकों के भीतर डर बढ़ा दिया और लोग सुरक्षित ठिकाने के तौर पर सोने की ओर भागने लगे।

दूसरी वजह बना डॉलर का कमजोर होता रुख। जब डॉलर कमजोर होता है, तो दूसरे देशों के खरीदारों के लिए सोना खरीदना सस्ता और आकर्षक हो जाता है। इस बार यही देखने को मिला—विदेशी निवेशक भारी मात्रा में सोना खरीदते नजर आए। सोने का ग्लोबल डिमांड भी इसी कारण अचानक बढ़ा और कीमतें अनोखे मुकाम पर पहुंच गईं।

पड़ोसी देशों के मामले में भी वातावरण एकदम शांत नहीं रहा। रूस और यूक्रेन के बीच ईस्टर के मौके पर एक बार फिर संघर्ष तेज हो गया। दोनों एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने के आरोप लगा रहे हैं। इस तरह के भू-राजनीतिक जोखिम अक्सर निवेशकों को सतर्क कर देते हैं, और ऐसे मौके पर सोना हमेशा से उनकी पहली पसंद रहा है।

बाजार में सतर्कता और निवेशकों का झुकाव

समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था फिलहाल हल्के झटकों के दौर से गुजर रही है। निवेशक मंदी और मुद्रास्फीति (stagflation) दोनों से परेशान हैं। ग्लोबल मार्केट्स में सुस्ती और महंगाई का साया लगातार मंडरा रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक, मौजूदा परिस्थितियों में सेंट्रल बैंकों का भरोसेमंद रुख और लगातार बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता ने सोने को सबसे मजबूत सेफ हैवन बना दिया है। यही वजह है कि इन दिनों सोने में खरीदारी का ग्राफ ऊपर चढ़ता दिख रहा है।

दिलचस्प बात ये भी है कि सिल्वर की कीमत में थोड़ी गिरावट तो दिखी, लेकिन यह अब भी $32.90 प्रति औंस पर टिकी रही। इसके पीछे भी वही वजह है—बाजार में लगातार डिमांड और लोगों की कोशिश है कि वे अपने पैसे को सुरक्षित रखें। यह भी देखा गया है कि सोने की मांग के साथ-साथ चांदी में भी निवेशक रुचि दिखा रहे हैं, खासकर कंपनियां और बड़ी निवेश संस्थाएं।

  • रिकॉर्ड कीमतें: सोना $3,385 प्रति औंस के पार गया
  • व्यापार तनाव: अमेरिका-चीन रिश्तों में तकरार ने बाजार को झटका दिया
  • भू-राजनीतिक संकट: रूस-यूक्रेन के बीच अशांति से निवेशक सतर्क
  • कमजोर डॉलर: विदेशी निवेशकों के लिए सोना बना पहली पसंद

बाजार में फैली इस अनिश्चितता के दौर में लोग बार-बार पुराने ट्रेंड की तरफ लौट रहे हैं—जिसका नाम है सोना। कमजोर डॉलर, वैश्विक संकट और बढ़ती महंगाई, ये सारी बातें साथ आने पर सोने को नई उड़ान मिलती रही है। फिलहाल लोगों की निगाहें ये जानने में लगी हैं कि आने वाले दिनों में यह रिकॉर्ड कहां तक जा सकता है।

9 टिप्पणि

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    Pallavi Khandelwal

    अप्रैल 24, 2025 AT 06:23

    ये सोने का रिकॉर्ड तो बस एक धोखा है। डॉलर कमजोर है, तो सोना महंगा लग रहा है-लेकिन असली अर्थव्यवस्था तो जल रही है। जब आपके पास नौकरी नहीं, घर नहीं, बचत नहीं, तो सोने की कीमत आपके लिए क्या फायदा? ये सब बाजार के खिलौने हैं जिन्हें बड़े बैंक और शेयर बाजार के शेर चला रहे हैं।

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    Pradeep Talreja

    अप्रैल 24, 2025 AT 20:42

    सोने की कीमत बढ़ना अर्थव्यवस्था का संकेत नहीं है। यह डर का संकेत है। जब लोग डरते हैं, तो वे सोना खरीदते हैं। यह निवेश नहीं, बचाव है। और जब बचाव बढ़ता है, तो विकास रुकता है।

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    ayush kumar

    अप्रैल 26, 2025 AT 01:51

    मैंने अपने दादा से सुना था कि जब दुनिया बदल रही होती है, तो लोग सोने की ओर भागते हैं। आज वही बात दोहराई जा रही है। लेकिन ये सोना जो बढ़ रहा है, वो क्या वाकई हमारी सुरक्षा का आधार है? या फिर ये बस एक बड़ा धोखा है जिसे हम सब मान रहे हैं? मैं नहीं जानता। लेकिन एक बात तो पक्की है-हम सब इस अनिश्चितता में खो रहे हैं।

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    Manoranjan jha

    अप्रैल 26, 2025 AT 09:46

    सोने की इस चढ़ाव को समझने के लिए आपको बस एक बात देखनी है-कौन खरीद रहा है? भारत और चीन ने पिछले तीन महीनों में 85% ग्लोबल गोल्ड इम्पोर्ट किया है। भारतीय घरों में सोने का इस्तेमाल सिर्फ शादी के लिए नहीं, बल्कि आर्थिक सुरक्षा के लिए हो रहा है। अगर आप गांव में रहते हैं, तो आपके पास बैंक नहीं होता, लेकिन सोना होता है। यही असली सुरक्षा है।

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    Soham mane

    अप्रैल 27, 2025 AT 16:02

    क्या आपने कभी सोचा कि अगर सोना इतना महंगा हो गया, तो अब लोग इसे बेचने लगेंगे? जब तक लोग डरते रहेंगे, तब तक ये बढ़ता रहेगा। लेकिन जैसे ही शांति आएगी, ये गिरने लगेगा। इसलिए अभी खरीदने की जरूरत नहीं। बस देखते रहें।

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    Shiva Tyagi

    अप्रैल 28, 2025 AT 18:59

    इस बार तो अमेरिका और चीन के बीच जो खेल चल रहा है, वो भारत के लिए एक अवसर है। हम अपने गोल्ड इम्पोर्ट पर टैक्स बढ़ाएं, अपने खनन को बढ़ाएं, और अपने निवेशकों को राष्ट्रीय गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब दुनिया अपने बीच लड़ रही है, तो हमें अपना सोना अपने हाथों में रखना चाहिए। ये निवेश नहीं, ये राष्ट्रीय सुरक्षा है।

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    Neev Shah

    अप्रैल 29, 2025 AT 13:01

    क्या आप जानते हैं कि वास्तविक गोल्ड डिमांड का 70% भारत और चीन में है? और जब आप देखते हैं कि भारतीय महिलाएं अपने बरात में सोने के अंगूठियों की जगह अब ब्रांडेड ज्वेलरी ले रही हैं, तो आपको एहसास होता है कि यह एक अर्थव्यवस्था का संकेत है-जो अपनी परंपरा को बेच रही है। यह एक आत्महत्या का नाटक है।

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    Rahul Kaper

    मई 1, 2025 AT 02:41

    मैं एक साधारण व्यक्ति हूँ, जिसके पास कोई बड़ा निवेश नहीं है। लेकिन मैं अपनी बहन के लिए एक छोटी सी गोल्ड कोइन खरीद देता हूँ। ये उसके लिए एक बचत है, एक सुरक्षा। ये रिकॉर्ड नहीं, ये आशा है। और शायद यही वास्तविकता है जिसे हम भूल गए हैं।

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    Chandni Yadav

    मई 2, 2025 AT 23:40

    सोने की कीमत में वृद्धि का कोई आर्थिक आधार नहीं है। यह केवल एक मानसिक घटना है। जब निवेशकों को भ्रम होता है, तो वे सोने में भागते हैं। यह एक बुद्धिमान निवेश नहीं है। यह एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है। और जब भावनाएं शामिल होती हैं, तो बाजार अस्थिर हो जाता है।

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