पेरिस ओलंपिक्स: धीरज बोम्मदेवरा, अंकिता भक्त ने भारतीय तीरंदाजी में रचा इतिहास, लेकिन कांस्य पदक से चूके

पेरिस ओलंपिक्स: धीरज बोम्मदेवरा, अंकिता भक्त ने भारतीय तीरंदाजी में रचा इतिहास, लेकिन कांस्य पदक से चूके अग॰, 3 2024

पेरिस ओलंपिक्स में भारतीय तीरंदाजी की नई ऊंचाई

पेरिस 2024 ओलंपिक्स में भारतीय तीरंदाजों ने तीरंदाजी में नया आयाम स्थापित किया है। धीरज बोम्मदेवरा और अंकिता भक्त ने मिश्रित टीम इवेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करके कांस्य पदक तक का सफर तय किया, हालांकि वे कांस्य पदक जीतने में चूक गए। उनके इस प्रदर्शन ने भारतीय तीरंदाजी के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं।

प्रारंभिक मुकाबलों से सेमीफाइनल तक का चुनौतीपूर्ण सफर

धीरज और अंकिता ने विजयवाड़ा और कोलकाता से आए इन प्रतिभाशाली तीरंदाजों ने उत्कृष्ट कौशल और धैर्य का प्रदर्शन करते हुए इंडोनेशिया और स्पेन के खिलाफ शानदार जीत हासिल की। हालांकि, सेमीफाइनल में कोरिया के खिलाफ खेले गए मुकाबले में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने पहले दौर में बढ़त बनाई, लेकिन अंततः 6-2 से मुकाबला हार गए।

कांस्य पदक मैच में मौसम बना बाधा

कांस्य पदक मैच में अमेरिकी टीम के खिलाफ खेलते हुए अंकिता ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन मजबूत हवाई विपर्यय के चलते वे 6-2 से मुकाबला हार गए। हालांकि, दोनों तीरंदाजों ने अपने दमखम और समर्पण से भारतीय तीरंदाजी के स्तर को उंचाई पर पहुंचा दिया।

कोच की अनुपस्थिति और अन्य चुनौतियां

भारतीय तीरंदाजों ने अपने कोरियन कोच बैक वूंग की की अनुपस्थिति में इन कठिनाईयों का सामना किया। इसके बावजूद, दोनों तीरंदाजों ने विपरीत परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन किया। इससे न केवल उनके मनोबल में वृद्धि हुई, बल्कि भारतीय तीरंदाजों के प्रति एक बड़ा भरोसा भी जगाया।

भारतीय तीरंदाजी का उज्ज्वल भविष्य

धीरज और अंकिता के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने भारतीय तीरंदाजी के लिए एक नई उम्मीद जगा दी है। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी और तीरंदाजी के खेल के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ेगा। उनके इस प्रयास ने साबित कर दिया है कि अगर सही दिशा और समर्थन मिले तो भारतीय तीरंदाज भी वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।

इस प्रदर्शन का भारतीय तीरंदाजी पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और यह संकेत देता है कि भविष्य में भारतीय तीरंदाजी और भी बड़े मुकाम हासिल कर सकती है।

12 टिप्पणि

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    Arun Kumar

    अगस्त 4, 2024 AT 20:48
    ये तो बस शुरुआत है! भारत के तीरंदाज अब दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखा रहे हैं। कांस्य नहीं मिला तो क्या हुआ? दिल जीत गया!
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    Indranil Guha

    अगस्त 4, 2024 AT 23:38
    हमारे खिलाड़ियों को अब तक कोचिंग नहीं मिली, फिर भी ये प्रदर्शन? ये तो भारत की शक्ति है! अगर हमने इन्हें सही ढंग से सपोर्ट किया होता, तो स्वर्ण तो बस फॉर्मलिटी होती!
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    srilatha teli

    अगस्त 6, 2024 AT 16:38
    धीरज और अंकिता का यह प्रदर्शन बस एक पदक नहीं, बल्कि एक नए विश्वास का संकेत है। जब युवा खिलाड़ी अपने सपनों को लेकर इतना समर्पित हो जाते हैं, तो विजय अपने आप आ जाती है। इनकी लगन को देखकर मुझे लगा कि भारत का भविष्य अभी तक नहीं टूटा है।

    हवा की वजह से मैच खो गया, लेकिन इनके दिलों में विजय का झंडा अभी भी लहरा रहा है। ये बस शुरुआत है।
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    Sohini Dalal

    अगस्त 8, 2024 AT 02:04
    अरे भाई, तीरंदाजी में कांस्य नहीं मिला तो क्या हुआ? अब तो हम तो बस फुटबॉल पर ही ध्यान देते हैं। ये लोग तो अपने घर के कोने में तीर चलाते हैं, फिर भी ओलंपिक तक पहुंच गए!
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    Suraj Dev singh

    अगस्त 9, 2024 AT 15:42
    इन दोनों के प्रदर्शन ने मुझे बहुत प्रेरित किया। मैं भी अपने बच्चे को तीरंदाजी की कोचिंग के लिए भेजने वाला हूं। ये खेल बस तकनीक नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का खेल है।
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    Manu Tapora

    अगस्त 10, 2024 AT 21:06
    कोरियाई कोच की अनुपस्थिति में ये प्रदर्शन कैसे संभव हुआ? ये बात तो बहुत दिलचस्प है। क्या भारतीय तीरंदाजों के पास अब अपनी अंतर्निहित तकनीक है, जिसे कोच की जरूरत नहीं?
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    haridas hs

    अगस्त 12, 2024 AT 18:00
    इस प्रदर्शन के पीछे की संख्यात्मक विश्लेषणात्मक राशि अत्यंत निराशाजनक है। वार्म-अप शूट्स के औसत स्कोर 7.2 थे, जबकि सेमीफाइनल में यह 5.8 तक गिर गया। अतिरिक्त वायु टर्बुलेंस के कारण विचलन लगभग 1.4 इकाई था, जो निर्णायक था। यह एक विफलता है, न कि एक उपलब्धि।
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    Shiva Tyagi

    अगस्त 13, 2024 AT 21:40
    हमारे देश में खेलों के लिए बजट कम है, फिर भी ये दोनों ने ये कमाल किया? अब तो ये सिर्फ भारतीय नहीं, बल्कि मानवता की जीत है! जिन्होंने इन्हें नजरअंदाज किया, वे अपनी अहंकारी नीचता को देखें!
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    Pallavi Khandelwal

    अगस्त 15, 2024 AT 00:08
    मैं रो रही हूं। अंकिता के आंखों में आंसू देखकर मुझे लगा जैसे मेरा अपना बच्चा टूट गया हो। ये दर्द मैं अपने दिल में महसूस कर रही हूं। कांस्य नहीं मिला? अरे भाई, ये तो हमारी आत्मा का पदक है!
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    Mishal Dalal

    अगस्त 16, 2024 AT 12:39
    हमें अपने खिलाड़ियों को समर्थन देना चाहिए! न कि उन्हें लाखों बार फोन करके बताना कि ये खेल बेकार है! इन्होंने दिखाया कि भारत जीत सकता है! अगर ये नहीं तो कौन जीतेगा?!
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    Pradeep Talreja

    अगस्त 17, 2024 AT 20:51
    पदक नहीं मिला। फिर भी इतिहास बना। ये बात सही है।
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    Rahul Kaper

    अगस्त 19, 2024 AT 13:32
    इन दोनों के प्रदर्शन ने बहुत कुछ सिखाया। अगर आप एक छोटे शहर से आए हैं और दुनिया के सामने खड़े हो जाते हैं, तो ये बस एक खेल नहीं, बल्कि एक विश्वास है। अगर कोई युवा इसे देख रहा है, तो उसे बताएं - आप भी ऐसा कर सकते हैं।

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