पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को 2002 रणजीत सिंह हत्याकांड में किया बरी
मई, 29 2024पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 28 मई को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और चार अन्य को 2002 के रणजीत सिंह हत्या मामले में बरी कर दिया। रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के पूर्व प्रबंधक थे और उनकी हत्या 10 जुलाई 2002 को की गई थी। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राम रहीम और अन्य पर हत्या का आरोप लगाया था। माना जा रहा था कि रणजीत सिंह ने एक पत्र को वितरित किया था जिसमें राम रहीम की अनुयायियों के साथ यौन शोषण की सूचना दी गई थी।
सीबीआई कोर्ट का फैसला व उच्च न्यायालय का निर्णय
अक्टूबर 2021 में सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम और चार अन्य को इस मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया। ताकि न्याय की परिपूर्णता सुनिश्चित की जा सके, हाई कोर्ट ने इस मुकदमे के सारे तथ्यों का नए सिरे से मूल्यांकन किया और गवाहों के बयान को ध्यानपूर्वक सुना।
गुरमीत राम रहीम की मौजूदा स्थिति
गुरमीत राम रहीम वर्तमान में हरियाणा के रोहतक जिले के सुनारिया जेल में बंद हैं। उन्हें दो साध्वियों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में 20 साल की सजा हुई है। इसके अलावा, उन्हें एक पत्रकार की हत्या के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। राम रहीम को लेकर विवाद हमेशा से समय-समय पर सुर्खियों में रहता है, और उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे हैं।
रणजीत सिंह हत्याकांड का विवरण
रणजीत सिंह, डेरा सच्चा सौदा के एक महत्वपूर्ण सदस्य और प्रबंधक थे, और उनकी हत्या 10 जुलाई 2002 को कर दी गई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि रणजीत सिंह ने एक पत्र जारी किया था जो डेरा के अंदर महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन शोषण को उजागर करता था। इस पत्र की वजह से राम रहीम और उनके सहयोगियों ने उनकी हत्या कर दी थी।
न्याय प्रणाली के सामने सवाल
गुरमीत राम रहीम पर अदालत के फैसलों से लेकर जनता के बीच आक्रोश है। जहां एक तरफ उन्होंने बड़ी संख्या में अनुयायियों को आकर्षित किया है, वहीं उनके खिलाफ लगे आरोप और सजा ने कई सवाल खड़े किए हैं। रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी होने के बाद अब यह देखना होगा कि न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था को लेकर लोग क्या रुख अख्तियार करते हैं।
तथ्यों का पुनः मूल्यांकन
हाई कोर्ट ने इस मामले में सभी गवाहों के बयान और सबूतों का पुनः मूल्यांकन किया। इन गवाहों के बयानों से स्पष्ट हुआ कि कुछ बयानों में अंतर्विरोध थे। इसलिए, हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि पर्याप्त सबूत नहीं हैं, सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
भविष्य की दिशा
गुरमीत राम रहीम के खिलाफ अब और क्या अभियोग लगाए जाएंगे, यह आने वाले समय में पता चलेगा। अगर उनके खिलाफ नए सिरे से कोई सबूत सामने आता है, तो उन पर पुनः मुकदमा चलाया जा सकता है। फिलहाल, उनके अनुयायियों के बीच इस फैसले को लेकर खुशी की लहर है।