पधुआ में श्री बला जी मंदिर में कबड्डी टूरनामेंट का भव्य उद्घाटन

पधुआ में श्री बला जी मंदिर में कबड्डी टूरनामेंट का भव्य उद्घाटन सित॰, 26 2025

उद्घाटन समारोह की मुख्य बातें

रविवार की दोपहर, श्‍री बला जी महराज मंदिर के शांतिपूर्ण माहौल में कबड्डी टूरनामेंट का उद्घाटन हुआ। समाजवादी पार्टी (एसपीए) के प्रमुख नेता चौधरी हिमांशु पटेल ने पहले रिबन काटा, फिर अनगिनत दर्शकों को खेल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से एक संक्षिप्त भाषण दिया। उन्होंने कहा, "खेल न केवल शारीरिक तंदुरुस्ती बढ़ाता है, बल्कि टीमवर्क और सामाजिक एकजुटता को भी मजबूत करता है।"

समारोह में मंदिर के प्रमुख पुजारी, स्थानीय प्राधिकारी और कई सम्मानित व्यक्तियों का उपस्थिति रहा। मुख्य अतिथि के अलावा, मैनज पाण्डे, पूर्व प्रधान बनारस कश्यप, राजेन्द्र यादव और जिला पंचायत सदस्य अबरार अहमद जैसे कई नामी चेहरे भी सम्मिलित हुए। सभी ने इस मंच को स्थानीय युवाओं को सकारात्मक दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर माना।

टूरनामेंट में भागीदारी, टीमें और आगे की योजना

टूरनामेंट में भागीदारी, टीमें और आगे की योजना

श्री बला जी कबड्डी क्लब के समन्वय में यह टूरनामेंट आयोजित किया गया है, जिसमें कुल मिलाकर बारह से अधिक टीमें भाग ले रही हैं। प्रमुख भागीदारों में पधुआ अकादमी, परगना ए, बला जी कबड्डी क्लब, जय बला जी और राज कबड्डी क्लब शामिल हैं। प्रत्येक टीम ने अपने खिलाड़ियों का तैयार किया है, जो क्षेत्रीय स्तर पर कई बार जीत दर्ज कर चुके हैं।

टूरनामेंट को दो चरणों में विभाजित किया गया है: प्रारंभिक लीग मैच और अंतिम फाइनल स्वरूप। पहला चरण अगले सप्ताह से शुरू होकर चार दिनों तक चलेगा, जबकि फाइनल का एंकॉउन्टर दो हफ्ते बाद निर्धारित किया गया है। विजेता टीम को नकद पुरस्कार, सन्मान बैनर और जिला स्तर के आगे के प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा।

टूरनामेंट के आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि गांव के युवाओं को खेल के माध्यम से सामाजिक भागीदारी की भावना देना है। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि हर बच्चे को कबड्डी जैसी पारम्परिक खेल में अवसर मिले, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिले।"

इस आयोजन में स्थानीय व्यापारियों और विद्यालयों ने भी अपना समर्थन दर्शाया। कई धान्य, खाद्य पदार्थ और उपकरणों का प्रायोजन किया गया, जिससे कार्यक्रम की लागत अधिकतम हद तक कम हुई। कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को बहु-ग्रुप प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव भी रखा, जिससे भविष्य में इस तरह के आयोजन और बढ़ेंगे।

20 टिप्पणि

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    Sohan Chouhan

    सितंबर 27, 2025 AT 10:05
    ये सब नाटक क्यों करते हो? खेल का मतलब है खेलना, न कि रिबन काटना और भाषण देना। इन नेताओं को बस फोटो खिंचवानी होती है, बाकी सब फेक है।
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    SHIKHAR SHRESTH

    सितंबर 27, 2025 AT 22:31
    इस तरह के आयोजन बहुत जरूरी हैं... गाँव के बच्चों को टीवी और मोबाइल से बाहर लाने का एकमात्र तरीका है। श्री बला जी के मंदिर के आसपास का माहौल बिल्कुल सही है।
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    amit parandkar

    सितंबर 28, 2025 AT 23:04
    क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब किसके पैसे से हो रहा है? स्थानीय व्यापारी? नहीं... ये सब सरकारी फंड से है... और फिर ये लोग बाहर जाकर कहते हैं कि गाँव के लोग बेकार हैं।
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    Annu Kumari

    सितंबर 30, 2025 AT 02:50
    मैंने अपने भाई को इस टूर्नामेंट में शामिल होते देखा... वो पहले घर पर बैठा रहता था, अब रोज़ जिम जाता है। ये खेल बदल देता है जिंदगी।
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    haridas hs

    अक्तूबर 1, 2025 AT 03:00
    इस टूर्नामेंट के आयोजन में सामाजिक-आर्थिक उप-संरचना का स्पष्ट अवलोकन संभव है। जिला पंचायत के सदस्यों की उपस्थिति, प्रायोजकों का समावेश, और स्थानीय संस्थाओं का सहयोग-ये सब नियंत्रण के एक विस्तृत नेटवर्क का संकेत है।
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    Shiva Tyagi

    अक्तूबर 2, 2025 AT 09:32
    हमारी संस्कृति में खेल का स्थान सबसे ऊपर है। आजकल लोग फुटबॉल और क्रिकेट को ही खेल मानते हैं, पर कबड्डी हमारी जड़ है! ये आयोजन भारतीय गर्व का प्रतीक है।
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    Pallavi Khandelwal

    अक्तूबर 2, 2025 AT 18:57
    मैंने एक लड़के को देखा जिसका घर बारिश में ढह गया था... फिर भी वो टूर्नामेंट में खेल रहा था। इस दुनिया में ऐसे लोग ही असली हीरे हैं। इनकी आँखों में जो चमक है, वो कोई फिल्म नहीं दे सकती।
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    Mishal Dalal

    अक्तूबर 4, 2025 AT 14:27
    ये सब बहुत अच्छा है, पर क्या हम अपने बच्चों को खेल के बजाय नौकरी के लिए तैयार कर रहे हैं? खेल एक जीवन शैली है, न कि एक रोज़गार।
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    Pradeep Talreja

    अक्तूबर 4, 2025 AT 20:11
    अच्छा हुआ।
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    Rahul Kaper

    अक्तूबर 5, 2025 AT 23:53
    मैंने पधुआ के युवाओं के साथ काम किया है। इस तरह के टूर्नामेंट उन्हें अपने आत्मविश्वास का एहसास दिलाते हैं। बस इतना चाहिए-एक मैदान, एक गेंद, और एक अवसर।
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    Manoranjan jha

    अक्तूबर 6, 2025 AT 05:48
    मैंने 2010 में इसी मंदिर के पास कबड्डी टीम बनाई थी। तब कोई नहीं समझता था। आज ये टूर्नामेंट हो रहा है। ये बदलाव आम लोगों की मेहनत से हुआ है।
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    ayush kumar

    अक्तूबर 6, 2025 AT 06:57
    जब मैंने पहली बार कबड्डी खेली तो मैं बस भाग रहा था... अब मैं अपने बच्चों को सिखा रहा हूँ। ये खेल सिर्फ शक्ति नहीं, दिमाग का खेल है। और हाँ, जब तुम जीतते हो तो वो जश्न बहुत अलग होता है।
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    Soham mane

    अक्तूबर 8, 2025 AT 06:42
    इस तरह के आयोजन देश को बचाएंगे। युवाओं को बाहर निकालो, उन्हें एक लक्ष्य दो, और देखो कैसे वो बदल जाते हैं। बस इतना करो।
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    Neev Shah

    अक्तूबर 10, 2025 AT 06:38
    क्या ये टूर्नामेंट असली लोकतंत्र का अभिव्यक्ति है? या फिर एक नियंत्रित सांस्कृतिक निर्माण का उदाहरण? क्या ये खेल वास्तविकता है, या बस एक निर्मित सामाजिक नाटक? क्या हम खेल रहे हैं, या खेल के नाम पर खेल रहे हैं?
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    Chandni Yadav

    अक्तूबर 12, 2025 AT 04:16
    आयोजन के लिए अनुमोदन प्राप्त होना आवश्यक है। इस मामले में, जिला पंचायत के सदस्यों की उपस्थिति ने नियमों का पालन सुनिश्चित किया है। इसके अलावा, प्रायोजकों का चयन सामाजिक विषमता को बढ़ा सकता है।
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    Raaz Saini

    अक्तूबर 12, 2025 AT 04:53
    मैंने इस टूर्नामेंट के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र देखा है। ये सब तो युवाओं को नियंत्रित करने के लिए है। उन्हें खेल में व्यस्त रखो, ताकि वो सवाल न पूछें। और देखो, बस इतना ही काफी है।
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    Dinesh Bhat

    अक्तूबर 13, 2025 AT 02:30
    क्या कोई बता सकता है कि फाइनल मैच कहाँ होगा? मैं अपने दोस्तों के साथ जाना चाहता हूँ। और क्या कोई टीमों का शेड्यूल शेयर कर सकता है? मैं अपने भाई के लिए टिकट बुक करना चाहता हूँ।
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    Kamal Sharma

    अक्तूबर 15, 2025 AT 00:58
    मैंने अपने दादा के साथ कबड्डी खेली थी। वो बोलते थे, "ये खेल हमारे खून में है।" आज जब मैं इस टूर्नामेंट को देख रहा हूँ, तो मुझे लगता है कि वो गलत नहीं थे।
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    Himanshu Kaushik

    अक्तूबर 16, 2025 AT 20:06
    बहुत अच्छा हुआ। बच्चों को खेलने दो। वो बाहर आएंगे, तो अच्छा होगा।
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    Sri Satmotors

    अक्तूबर 17, 2025 AT 15:35
    ये बहुत खुशी की बात है। मुझे लगता है कि ये शुरुआत है कुछ बड़े की।

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