नरायण जगेदीसन: लिस्ट‑ए में 277 रन का रिकॉर्ड‑ब्रेकर, ट्रिपल सेंचुरी के बाद भारत की नई आशा

रिकॉर्ड‑बद्ध प्रदर्शन और लगातार धुरंधरता
जब भी भारतीय घरेलू क्रिकेट की बात आती है, तो नरायण जगेदीसन का नाम सुनते ही दिल धड़कता है। 24 दिसंबर 1995 को जन्मे यह विकेटकीपर‑बेट्समैन ने सिर्फ 20 की उम्र में रणजी ट्रॉफी 2016‑17 में पहला शतक बनाया और ही मैच‑ऑफ़ को जीत की सौगात दी। यह शुरुआती सफलता उनके रिकॉर्ड‑भरे करियर की बुनियाद बन गई।
2022 में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 277 रन बनाकर उन्होंने लिस्ट‑ए के सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का विश्व‑रिकॉर्ड अपना लिया। 141 गेंदों में 25 चौके और 15 छक्के मारना आसान नहीं, लेकिन जगेदीसन ने 196.45 की स्ट्राइक‑रेट के साथ यह सब कर दिखाया। इस पारी ने न केवल विरोधी गेंदबाज़ों को घबरा दिया, बल्कि भारत की लिस्ट‑ए इतिहास में नया अध्याय लिखा।
रिकॉर्ड के बाद, उन्होंने फिर एक नया आंकड़ा स्थापित किया – लगातार पाँच लिस्ट‑ए शतक। यह क्रमिकता उनकी मानसिक ताकत और रन‑खाने की भूख को बयां करती है। हर शतक में उन्होंने अपनी तकनीकी सॉलिडिटी को बनाए रखकर गेंदबाज़ों को निराश किया।
2023‑24 के रणजी ट्रॉफी में उन्होंने कोयंबटूर के घरेलू मैदान पर 321 रन का ट्रिपल सेंचुरी बनाया। यह स्कोर तमिलनाडु के पिछले 36‑वर्षीय रिकॉर्ड को तोड़ गया, जो पहले डब्ल्यूवी रामन के नाम था। इस पारी में उन्होंने न केवल तेज़ी से रन बनाए, बल्कि खेल की दिशा भी बदल दी, जिससे टीम को बड़ी जीत की राह मिली।
- पहले‑श्रेणी में 50+ मैचों में 3,000+ रन, औसत 47+
- लिस्ट‑ए में 64 मैचों में 2,700+ रन, औसत 46.23 और 9 शतक
- IPL में 2020‑2024 में 13 मैचों में 162 रन, मुख्यतः चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेला
- जुलाई 2025 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में रिषभ पैंट के स्थान पर पहले अंतरराष्ट्रीय कॉल‑अप

अंतरराष्ट्रीय बुलंदियों की ओर कदम
IPL में निरंतर मौके नहीं मिलने के बावजूद, जगेदीसन का घरेलू प्रदर्शन उनकी गुणवत्ता को साबित करता रहा। जब 2025 में रिषभ पैंट की चोट ने टीम को वैकल्पिक विकेटकीपर की आवश्यकता में डाल दिया, तो जगेदीसन को तुरंत याद किया गया। यह चयन सिर्फ एक अवसर नहीं, बल्कि उनके निरंतर कठोर परिश्रम का प्रतिफल था।
उनका खेलने का अंदाज़ दो पहलुओं में खास है – आक्रमणकारी हिटिंग और तकनीकी सॉलिडिटी। जब टीम को तेज़ रफ़्तार से रन चाहिए होते हैं, तो वह जल्दी से स्कोर बढ़ा देते हैं, लेकिन जब स्थिति को स्थिर करने की जरूरत होती है, तो वह संजीदा ढंग से खेलते हैं। साथ ही, उनका विकेट‑कीपिंग कौशल टीम को अतिरिक्त विकल्प प्रदान करता है, जिससे कप्तान को लचीलापन मिलता है।
जगेदीसन के पिता, सी.जे. नरायण, ने बचपन से ही उन्हें क्रिकेट की मूलभूत बातों से परिचित कराया। कठिन ट्रेनिंग, लंबे घंटे और लगातार सुधार की इच्छा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। अब सवाल यही रहता है – क्या वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उतना ही प्रभावशाली खेल पाएँगे जितना उन्होंने घरेलू स्तर पर दिखाया है?
उनके अगली पारी में क्या नई रिकॉर्ड टूटेंगे, कौन-से बड़े खेल उनके सामने आएँगे, ये सब भविष्य ही बताएगा। लेकिन एक चीज़ साफ़ है – नरायण जगेदीसन का नाम अब भारतीय क्रिकेट के उन दिग्गजों में गिना जाएगा, जो रिकॉर्ड तोड़ने और टीम को जीत दिलाने में माहिर हैं।