मुकेश अंबानी ने लगातार चौथे वर्ष कंपनी से वेतन नहीं लिया

मुकेश अंबानी ने लगातार चौथे वर्ष कंपनी से वेतन नहीं लिया अग॰, 8 2024

मुकेश अंबानी ने चौथे वर्ष लगातार नहीं लिया वेतन

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने लगातार चौथे वर्ष अपने कंपनी से कोई भी वेतन नहीं लिया है। इस कदम के द्वारा उन्होंने यह साबित किया कि कंपनी के हित सबसे ऊपर हैं। अंबानी ने COVID-19 महामारी के उपरांत स्वेच्छा से अपने वेतन को निलंबित कर दिया था और जबतक कंपनी और सभी व्यवसाय पूर्णतया अपनी कमाई की क्षमता में वापस नहीं आ जाते, तबतक वे वेतन नहीं लेंगे। यह जानकारी कंपनी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में दी गई है।

2020 से पहले अंबानी का वेतन

2020 से पहले मुकेश अंबानी का वार्षिक वेतन 15 करोड़ रुपये था, जो कि कंपनी द्वारा तय किया गया था। महामारी के बाद, उन्होंने अपने वेतन को छोड़ने का निर्णय लिया। यह निर्णय सिर्फ वेतन ही नहीं, बल्कि उनके भत्ते, विशेष सुविधाएं और सेवानिवृत्ति लाभों पर भी लागू होता है। वित्त वर्ष 2023-24 में, अंबानी ने 'निल' वेतन प्राप्त किया, यानी उन्होंने कोई वेतन, भत्ता या निवृत्ति लाभ नहीं लिया।

इसके बावजूद, व्यवसायिक यात्राओं के दौरान हुए खर्चों की पूर्ति की जाएगी और उन्हें कार और संचार सुविधाओं की व्यवस्था दी जाएगी।

पारिवारिक भूमिका और पुरस्कार

मुकेश अंबानी के बच्चे इशा, आकाश और अनंत भी रिलायंस के बोर्ड में नियुक्त हैं और उन्हें बैठकों में शामिल होने के लिए प्रति बैठक 4 लाख रुपये की फीस और 97 लाख रुपये की कमीशन दी जाती है। अन्य गैर-कार्यकारी निदेशक 2.25 करोड़ रुपये की कमीशन और बैठकों में शामिल होने के लिए फीस प्राप्त करते हैं।

इसके अलावा, कार्यकारी निदेशक पीएमएस प्रसाद का वेतन बढ़कर 17.93 करोड़ रुपये हुआ। हालाँकि मुकेश अंबानी ने अपने वेतन को निलंबित किया है, लेकिन उनके नेटवर्क की दृष्टि से वह दुनिया के 11वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी संपत्ति लगभग 109 बिलियन डॉलर है।

आरआईएल की वृद्धि और सुरक्षा सुविधाएं

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले कुछ वर्षों में अद्वितीय वृद्धि अनुभव की है। कंपनी मुकेश अंबानी और उनके परिवार के लिए सुरक्षा प्रदान करती है, जो कि कंपनी के परिधानों में शुमार नहीं होती।

मुकेश अंबानी ने जनवरी 1977 में रिलायंस के बोर्ड में शामिल होने के बाद से कंपनी की कई प्रमुख परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। 2002 में अपने पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद, उन्होंने कंपनी के चेयरमैन का पदभार संभाला और कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

उनकी नेतृत्वशीलता, नवप्रवर्तन और कठिन समयों में लिए गए निर्णय आज रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे प्रतिष्ठित और सफल कंपनियों में से एक बनाते हैं। स्वास्थ्य संकट के समय में उन्होंने अपने कर्मचारियों और कंपनी की लाभदायकता को प्राथमिकता दी, जो उनके समर्पण और सामाजिक जिम्मेदारी का एमजूद उदाहरण हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

मुकेश अंबानी का यह निर्णय प्रबंधन के एक प्रभावी सिद्धांत को दर्शाता है, जहाँ एक नेता खुद के हितों को पीछे रखकर कंपनी और इसके कर्मचारियों के हितों को प्राथमिकता देता है। यह न केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए एक बड़ी प्रेरणा है, बल्कि उन सभी उद्यमियों के लिए एक मिसाल है जो अपने व्यवसाय को सही दिशा देने के लिए तत्पर हैं।