महाराष्ट्र चुनाव में BJP का एनसीपी नेता नवाब मलिक को समर्थन न देने का निर्णय
अक्तू॰, 30 2024महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी का नवाब मलिक को समर्थन न देना
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक गहमागहमी अपने चरम पर है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) दोनों ही राज्य में एक दूसरे के सहयोगी दल हैं, लेकिन इस बार चुनाव में एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह स्थिति नवाब मलिक के मामले के कारण उभरी है, जिसे और भी संवेदनशील बना दिया है।
नवाब मलिक, एनसीपी के लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार हुए थे। यह मामला कुख्यात अपराधी दाऊद इब्राहिम से जुड़ा है, जो लंबे समय से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नज़र में है। फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था और मई 2022 में उन्हें जमानत मिल गई। हालांकि वे जमानत पर बाहर हैं, लेकिन बीजेपी ने निर्णय लिया कि वे उनके लिए प्रचार नहीं करेंगे।
बीजेपी की रणनीति और घोषणा
बीजेपी के मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार ने यह घोषणा की है कि नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं किया जाएगा। इसके पीछे बीजेपी ने अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति का हवाला दिया। शेलार का कहना है कि उनके लिए भ्रष्टाचार और आतंकवाद की कोई जगह नहीं है, और नवाब मलिक पर लगे आरोपों के कारण बीजीपी उनके पक्ष में प्रचार नहीं करेगी।
एनसीपी का विचार और आलोचना
एनसीपी ने बीजेपी के इस निर्णय की आलोचना की है। पार्टी के प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो का मानना है कि बीजेपी का यह कदम नवाब मलिक और उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश है। क्रेस्टो का कहना है कि मलिक को किसी अदालत से दोषी नहीं ठहराया जा सका है और बीजेपी का निर्णय अनुचित है। हालांकि इससे बीजेपी की स्थिति साफ हो गई है लेकिन गठबंधन के भीतर कुछ मतभेद भी सामने आए हैं।
नवाब मलिक की बेटी सना मलिक, इस बार अनुषक्ति नगर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं, जो उनके पिता की पुरानी सीट है। हालांकि बीजेपी ने नवाब मलिक का समर्थन नहीं किया, वे सना मलिक का समर्थन करते हुए चुनाव में अपने उम्मीदवार को नहीं खड़ा करेंगे। यह इस सीट पर सना मलिक को मजबूत स्थिति में लाएगा, खासकर तब जब यह सीट एनसीपी की मानी जाती है।
राजनीतिक समीकरण और चुनावी संभावना
महाराष्ट्र में चुनावी समीकरण दिलचस्प होते जा रहे हैं। नवाब मलिक ने 2019 में अनुषक्ति नगर सीट बड़े मतों से जीती थी। उनका नाम भले ही विवादों में हो, लेकिन उनकी लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। उनकी यह लोकप्रियता उनकी बेटी सना मलिक के मददगार साबित हो सकती है।
बीजेपी और एनसीपी का यह गठबंधन अपने आप में विरोधाभास भरा है। जहां एनसीपी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी केवल चुनाव पूर्व राजनीति कर रही है, वहीं बीजेपी का यह दावा कायम है कि उन्होंने हमेशा अपने सिद्धांतों को प्राथमिकता दी है। बीजेपी का यह निर्णय गठबंधन की जटिलताओं को सामने लाता है और पर्यवेक्षकों का मानना है कि इससे चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
समाप्ति विचार
किसी भी चुनावी सरकार के लिए यह मामला ऐसा है जो गठबंधन की सीमाओं और सिद्धांतों की जांच करता है। हालांकि बीजेपी ने इसमें अपना पक्ष साफ किया है लेकिन इसने राजनीति के धुरंधरों के बीच शक्ति संतुलन का नया समीकरण खड़ा कर दिया है। देखते हैं आगामी चुनावी परिणाम किस दिशा में जाएंगे और राजनीति में कौन ऊपरी हाथ साबित होगा। यह एक ऐसा समय है जब हर राजनीतिक दल को अपने सिद्धांतों की स्पष्टता के साथ जनता के बीच जाना होगा।