कुवैत आग: आईएएफ विमान तैयार, 40 मृत भारतीयों के अवशेष लाने की तैयारी
जून, 13 2024
दक्षिण कुवैत में विनाशकारी आग का कहर
दक्षिण कुवैत के मंगाफ इलाके में लगी एक विनाशकारी आग में करीब 49 लोगों की मौत हो गई, जिसमें से 40 भारतीय नागरिक थे। इस दर्दनाक घटना ने न केवल स्थानीय लेकिन वैश्विक स्तर पर भी सभी का ध्यान खींचा है। मृतकों में अधिकतर भारतीय श्रमिक थे, जो बेहतर आजीविका की तलाश में वहां गए थे।
ह्रदयविदारक आग श्रमिक आवास में लगी थी जहां बड़ी संख्या में भारतीय कामगार रहते थे। आग इतना अचानक फ़ैल गई कि कई लोग बचने का प्रयास भी नहीं कर सके। कुवैती अधिकारियों के अनुसार, आग का कारण धुएं का सांस में समाना माना जा रहा है। इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि कई मृतकों में केरल के निवासी शामिल थे। हादसे का वजह अस्वास्थ्यकर आवासीय स्थिति और भवन मालिकों की लापरवाही को बताया जा रहा है।
भारतीय सरकार की त्वरित कार्रवाई
भारतीय सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए कुवैत में फंसे भारतीय नागरिकों को मदद पहुंचाई। इस संदर्भ में, भारतीय वायुसेना (IAF) ने एक विमान को तैयार रखा है ताकि मृतकों के अवशेष जल्द से जल्द भारत लाए जा सकें। इसके अलावा, भारतीय राजदूतावास कुवैत में भी सक्रिय रूप से कार्यरत है।
केंद्रीय मंत्री किर्ती वर्धन सिंह को हालात की निगरानी के लिए कुवैत भेजा गया है। उनकी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि सरकार ना केवल रेस्क्यू ऑपरेशन में बल्कि आश्रितों को भावनात्मक और वित्तीय सहारा देने में भी जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी व्यक्तिगत रूप से स्थिति की समीक्षा की और प्रभावितों के परिवारों को दो लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हस्तक्षेप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति की व्यापक समीक्षा की और विभिन्न उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ बातचीत की। इसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विनय क्वात्रा और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा शामिल थे। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और विश्वास दिलाया कि सरकार हर संभव मदद देने को प्रतिबद्ध है।
कुवैत के डिप्टी प्रधानमंत्री का बयान
कुवैत के डिप्टी प्रधानमंत्री शेख फहद यूसुफ सऊद अल-साबा ने इस हादसे की वजह 'भूमि जालसाजों' की लालच को बताया है। उन्होंने कहा कि अस्वास्थ्यकर और अत्यधिक भीड़भाड़ वाले आवासीय स्थिति ने इस त्रासदी को बढ़ावा दिया। वह इस बात पर भी जोर दिया कि संबंधित प्रशासन इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे।
इस घटना ने न केवल भारतीय समाज में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी आक्रोश पैदा किया है। इस मामले में तात्कालिक मदद, राहत और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सही दिशा में एक कदम है।
समर्थन और प्रतिक्रिया
मृतकों के परिवारों के साथ भारतीय समाज और सरकार ने अपनी पूर्ण सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया है। कुवैत में रहने वाले भारतीय समुदाय ने भी स्वेच्छा से आगे बढ़कर सहायता प्रदान की है और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी मदद के हाथ बढ़ाए हैं। इस पूरे घटना के मद्देनजर भारतीय और कुवैती सरकार दोनों ही आने वाले समय में बेहतर आवासीय सुविधाओं और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने में जुटी हुई हैं।
इस प्रकार की घटनाएं अक्सर प्रवासी कामगारों की दुर्दशा को उजागर करती हैं। इस बात की आवश्यकता है कि स्थायी समाधान के रूप में प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्यगत सुविधाओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। भविष्य में सभी प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि इस तरह की ह्रदयविदारक घटनाएँ ना दोहराई जाएं।
Arun Kumar
जून 15, 2024 AT 12:46ये आग बस एक आग नहीं है... ये तो उन लोगों के जीवन का अंत है जिन्होंने बस एक रोटी के लिए अपना देश छोड़ दिया। कुवैत में भारतीय श्रमिकों के लिए जो आवास हैं, वो जंगली जानवरों के लिए भी अस्वीकार्य हैं। कोई नहीं सुनता, कोई नहीं देखता... और फिर आग लग जाती है।
Manu Tapora
जून 16, 2024 AT 07:54आग का कारण धुएँ का सांस में घुलना है? ये बात तो बिल्कुल बेकार है। असली कारण तो भवन मालिकों की लापरवाही है, जो अनुमति के बिना बिल्डिंग में अतिरिक्त महल बना रहे हैं। ये जगहें आग के लिए बनाई गई हैं, न कि रहने के लिए।
haridas hs
जून 17, 2024 AT 21:31इस घटना का सामाजिक-आर्थिक अध्ययन करने पर यह पाया जाता है कि श्रमिक आवासीय असमानता की बुनियादी रचना में लापरवाही और नियामक असफलता का संयोजन एक अपराधी निकाय के रूप में कार्य करता है। भारतीय श्रमिकों के लिए आवासीय अधिकारों का अभाव एक संरचित विश्वासघात है।
Shiva Tyagi
जून 18, 2024 AT 06:49हम अपने बाहर जाने वालों की तरफ नहीं देखते, और फिर जब बड़ा हादसा होता है तो राजदूतावास और IAF बचाव का नाटक करते हैं। ये सिर्फ एक दिन की चिंता है। हमारी सरकार को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए बाहर जाने से पहले ही नियम बनाने चाहिए।
Pallavi Khandelwal
जून 19, 2024 AT 17:42इस आग में जो 40 भारतीय मरे... वो सिर्फ श्रमिक नहीं थे। वो बेटे थे, बाप थे, भाई थे। और उनकी मौत के बाद भी उनके नाम अखबारों में बस एक संख्या बन गए। ये दर्द किसी और का नहीं... ये हमारा दर्द है।
Mishal Dalal
जून 20, 2024 AT 11:43ये सब कुछ बस एक बार फिर दोहराया जा रहा है! क्या हम अभी तक नहीं समझ पाए कि ये आग बस आग नहीं है-ये एक व्यवस्थित हत्या है? जो लोग ये बिल्डिंग बनाते हैं, वो भी तो भारतीय हैं! ये जिम्मेदारी बाहर नहीं, हमारे घर में है!
Pradeep Talreja
जून 22, 2024 AT 04:31Rahul Kaper
जून 23, 2024 AT 20:38मैं भी एक भारतीय श्रमिक का बेटा हूँ। मेरे पिता भी कुवैत में काम करते थे। उन्होंने हमेशा कहा-'बेटा, जहाँ जाओ, अपने आप को सुरक्षित रखो।' अब जब ये हादसा हुआ है, तो हमें बस रोना नहीं, बल्कि बदलाव लाना होगा। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो इसे शेयर करें।
Manoranjan jha
जून 24, 2024 AT 04:26मैं भी कुवैत में रहता हूँ। ये आवासीय बिल्डिंग्स अक्सर अनुमति के बिना बनाई जाती हैं। मैंने अपने दोस्तों को बताया है कि अगर आप इन बिल्डिंग्स में रह रहे हैं, तो निकास रास्ते और आग बुझाने के उपकरण जाँच लें। बचने का एक रास्ता हो तो जान बच सकती है।
ayush kumar
जून 25, 2024 AT 05:00मैंने आज एक दोस्त को फोन किया जो कुवैत में है। उसने कहा-'हम सब डर रहे हैं। हम जानते हैं कि अगर आग लगी, तो हम बच नहीं पाएंगे।' ये बात सुनकर मेरा दिल टूट गया। हम अपने भाइयों को बचाने के लिए आवाज उठाएँ। ये बस एक घटना नहीं... ये एक आहट है।
Soham mane
जून 26, 2024 AT 09:21ये घटना बहुत दुखद है, लेकिन इसके बाद भी हम जीना जारी रखेंगे। अपने परिवार को समर्थन दें, अपने दोस्तों को सुनें, और अगले दिन के लिए तैयार रहें। ये आग ने जिंदगियाँ ले लीं, लेकिन इंसानियत अभी जीवित है।
Neev Shah
जून 27, 2024 AT 22:03ये सब तो एक निर्माण उद्योग के नियमों के अनुपालन की असफलता का परिणाम है-एक निर्माण विनियमन अंतराल जिसका अवलोकन न केवल कुवैत में, बल्कि भारतीय निर्माण निगमों द्वारा भी किया जा रहा है, जो लाभ के लिए विश्वसनीय निर्माण मानकों को उपेक्षित करते हैं। इस तरह की नियामक विफलताएँ अंततः मानवीय नुकसान के रूप में उभरती हैं।