इतालवी मुक्केबाज एंजेला कैरिनी ने पेरिस ओलंपिक्स में अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खलीफ के खिलाफ मुकाबले के दौरान संदेहास्पद नाक टूटने के कारण मुकाबला छोड़ा

इतालवी मुक्केबाज एंजेला कैरिनी ने पेरिस ओलंपिक्स में अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खलीफ के खिलाफ मुकाबले के दौरान संदेहास्पद नाक टूटने के कारण मुकाबला छोड़ा अग॰, 2 2024

इतालवी मुक्केबाज एंजेला कैरिनी ने पेरिस ओलंपिक्स में मुकाबला छोड़ा

इतालवी मुक्केबाज एंजेला कैरिनी ने पेरिस ओलंपिक्स में अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खलीफ के खिलाफ होने वाले मुकाबले के दौरान केवल 46 सेकंड बाद मुकाबला छोड़ दिया। कैरिनी का कहना है कि उन्हें अपनी नाक में अत्यधिक दर्द महसूस हुआ और उन्होंने समझदारी दिखाते हुए मुकाबला छोड़ने का निर्णय लिया।

मुकाबले की पृष्ठभूमि में विवाद

खलीफ, जिसने पिछले साल एक लिंग पात्रता जांच में असफलता पाई थी, की भागीदारी ने पहले से ही विवाद उत्पन्न कर दिया था। वह 2023 के विश्व चैंपियनशिप से भी अयोग्य घोषित हो चुकी हैं। इस पृष्ठभूमि में, उनका पेरिस ओलंपिक्स में शामिल होना किसी विवाद से कम नहीं था।

मुकाबले की स्थिति

मुकाबले के दौरान कैरिनी को खलीफ की कुछ पंच का सामना करना पड़ा जिससे उनकी नाक में अत्यधिक दर्द हुआ। इस दर्द के चलते उन्होंने मुकाबला छोड़ दिया। कैरिनी ने कहा, 'मैंने नाक में बहुत ज्यादा दर्द महसूस किया और एक मुक्केबाज की समझदारी दिखाते हुए मैंने मुकाबला छोड़ दिया।'

सामाजिक प्रतिक्रिया

कैरिनी का मुकाबला छोड़ने के बाद, उन्होंने खलीफ से हाथ मिलाने से भी इनकार कर दिया। इससे उनके फैसले की पुष्टता और भी बढ़ गई। मुकाबले के बाद, कैरिनी अत्यधिक भावुक हो गईं और रंगमंच पर घुटनों के बल बैठकर रूलाई में डूबी रहीं।

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'यह मुकाबला समान स्तर पर नहीं था। मैं IOC (अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति) से सहमत नहीं हूं। मुझे लगता है कि जिन एथलीटों के पुरुष जैविक गुण हैं उन्हें महिलाओं की प्रतिस्पर्धाओं में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।'

खेल जगत में उठते सवाल

इस विवाद ने खेल जगत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। महिला मुक्केबाजी में लिंग पात्रता से संबंधित मुद्दे पर गहन चर्चा हो रही है। खलीफ की भागीदारी ने लिंग समानता और निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए हैं।

भावी चुनौतियाँ

भावी चुनौतियाँ

यह घटना केवल पेरिस ओलंपिक्स तक सीमित नहीं है बल्कि यह आने वाले समय में सभी खेल आयोजनों के लिए महत्वपूर्ण सवाल खड़े करेगी। लिंग पात्रता के मानदंड और निष्पक्ष खेल सुनिश्चित करने के लिए संबंधित संघों को उचित और सख्त कदम उठाने होंगे।

इस तरह के मुद्दे केवल एक-दो एथलीटों या आयोजनों के लिए नहीं, बल्कि पूरे खेल जगत के लिए नीतिगत चुनौतियाँ बनते हैं। इसमें खिलाड़ियों की सुरक्षा, सम्मान और निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।

उम्मीद की जाती है कि संबंधित खेल संघ इस घटना से सीख लेकर ऐसे मुद्दों को रोकने के लिए समयबद्ध और निष्पक्ष नीतियाँ बनाएंगे ताकि भविष्य में खिलाड़ियों को इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना न करना पड़े।

16 टिप्पणि

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    Manoranjan jha

    अगस्त 3, 2024 AT 00:11
    इस घटना में नाक टूटना बस एक बाहरी लक्षण है। असली समस्या तो ये है कि खेल के नियम अभी भी अंधेरे में हैं। लिंग पात्रता का कोई स्पष्ट, वैज्ञानिक मानक नहीं है। एथलीट्स की जिंदगी इन ब्यूरोक्रैटिक फैसलों के आगे बेबस है।
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    ayush kumar

    अगस्त 4, 2024 AT 11:37
    मैं तो बस यही कहूंगा कि एंजेला की आँखों में आँसू देखकर मेरा दिल टूट गया। वो खेल रही थी, न कि एक विवाद का हिस्सा बनने के लिए। इमान भी अपनी जगह लड़ रही थी, लेकिन ये सब इतना भयानक क्यों हो गया?
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    Soham mane

    अगस्त 4, 2024 AT 20:21
    इतालवी टीम के साथ बात करने वाले लोगों ने कहा कि वो अपने खिलाड़ियों को अभी भी सुरक्षित रखने के लिए तैयार हैं। ये सिर्फ एक मुकाबला नहीं, ये एक नए युग की शुरुआत है।
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    Neev Shah

    अगस्त 6, 2024 AT 06:34
    लिंग पात्रता के मामले में, IOC का दृष्टिकोण बेहद अनौपचारिक और वैज्ञानिक रूप से अपर्याप्त है। एक एथलीट की टेस्टोस्टेरोन स्तर को एक अस्थायी मापदंड के रूप में रखना, जैसे कि ये कोई बाजार की भावना हो, ये न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। इसे एक न्यायिक प्रक्रिया के रूप में लेना चाहिए, न कि एक ट्विटर ट्रेंड के रूप में।
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    Chandni Yadav

    अगस्त 8, 2024 AT 03:26
    यह घटना एक स्पष्ट निष्कर्ष देती है: लिंग-आधारित श्रेणियों का अस्तित्व ही असंगठित है। जब जैविक लक्षणों को अनुमानित और अस्थिर मापदंडों से मापा जाता है, तो निष्पक्षता की अवधारणा ही अस्तित्वहीन हो जाती है। यह एक विश्वसनीय खेल नहीं, बल्कि एक नैतिक अस्थिरता का उदाहरण है।
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    Raaz Saini

    अगस्त 9, 2024 AT 03:48
    अगर इमान खलीफ को महिला श्रेणी में अनुमति दी गई, तो ये सिर्फ एक बड़ा धोखा है। एंजेला ने जो किया, वो अपनी जान बचाने के लिए था। इस तरह के फैसले से युवा लड़कियां डर जाएंगी कि वो कभी खेल नहीं पाएंगी। ये खेल नहीं, ये अपराध है।
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    Dinesh Bhat

    अगस्त 9, 2024 AT 22:21
    क्या कोई जानता है कि इमान खलीफ की लिंग पात्रता जांच के बाद क्या डेटा था? क्या उनकी टेस्टोस्टेरोन लेवल अस्थायी था? क्या उन्हें हार्मोनल थेरेपी दी गई थी? बिना इन डेटा के, हम सब अंधेरे में बातें कर रहे हैं।
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    Kamal Sharma

    अगस्त 10, 2024 AT 09:32
    भारत में भी हमारे खिलाड़ियों को ऐसी ही स्थिति में रखा गया है। जब एक खिलाड़ी को अपने शरीर के बारे में सवाल पूछे जाते हैं, तो वो अपनी पहचान खो देता है। खेल की जगह पर नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए, न कि जांच की जगह।
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    Himanshu Kaushik

    अगस्त 12, 2024 AT 04:33
    ये सब बहुत बड़ी बात है। लेकिन एंजेला ने जो किया, वो सही था। अगर दर्द हो रहा हो तो खेलना बंद कर देना चाहिए। खेल तो जीतने के लिए है, मरने के लिए नहीं।
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    Sri Satmotors

    अगस्त 13, 2024 AT 23:09
    हम सब एक दूसरे को बचाने की कोशिश करें। ये खेल है, युद्ध नहीं।
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    Sohan Chouhan

    अगस्त 14, 2024 AT 00:09
    IOC के लोग बस अपने नाम के लिए फिल्म बना रहे हैं। ये सब एक बड़ा नाटक है। इमान को निकाल देना चाहिए था। एंजेला को वो लोग बचा नहीं पाए। ये ओलंपिक्स अब एक ब्रांड है, खेल नहीं।
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    SHIKHAR SHRESTH

    अगस्त 14, 2024 AT 19:32
    मुकाबला छोड़ना कोई हार नहीं है। ये एक असली बहादुरी है। एंजेला ने अपने शरीर की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। इसके बाद की बातें तो बस ट्रोल्स की बातें हैं।
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    amit parandkar

    अगस्त 16, 2024 AT 09:35
    ये सब एक बड़ी चाल है। जानते हो क्या? इमान खलीफ को किसी बड़ी एजेंसी ने बनाया है। ये लिंग पात्रता का विवाद बस एक धोखा है। वास्तव में ये सब एक बड़े वित्तीय योजना का हिस्सा है। ओलंपिक्स के पीछे कौन खड़ा है? ये सब नियंत्रित है।
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    Annu Kumari

    अगस्त 16, 2024 AT 10:52
    मैं सोचती हूँ कि दोनों खिलाड़ियों को बहुत सम्मान देना चाहिए। एंजेला ने अपनी सुरक्षा के लिए खेल छोड़ा, और इमान ने अपने जीवन के लिए लड़ाई लड़ी। दोनों ही बहादुर हैं।
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    venkatesh nagarajan

    अगस्त 17, 2024 AT 11:35
    क्या खेल का अर्थ विजय है, या सहिष्णुता? जब हम एक एथलीट को दूसरे के खिलाफ लड़ाने के लिए बाध्य करते हैं, तो क्या हम उसके मानवीय अधिकारों को नहीं तोड़ रहे हैं? ये एक निष्क्रिय हिंसा है - जिसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं।
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    Drishti Sikdar

    अगस्त 18, 2024 AT 09:35
    इमान खलीफ के खिलाफ बहुत सारे लोग नफरत कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने कभी उनके बारे में उनकी खुद की आवाज़ से सुना है? उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। ये सिर्फ एक बाहरी चिह्न है।

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