हैदराबाद अब नहीं होगा संयुक्त राजधानी: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बदलाव
जून, 4 2024हैदराबाद अब केवल तेलंगाना की राजधानी
2 जून 2024 से, हैदराबाद अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी नहीं रहेगा। 2014 में पारित एपी पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, दोनों राज्यों के लिए हैदराबाद को एक अस्थायी संयुक्त राजधानी के रूप में 10 वर्षों तक निर्धारित किया गया था। इस अवधि के बाद, ऐसा निर्णय लिया गया कि हैदराबाद को केवल तेलंगाना की राजधानी बनाया जाएगा, और आंध्र प्रदेश के लिए एक नई स्थायी राजधानी स्थापित की जाएगी।
एपी पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, हैदराबाद में आंध्र प्रदेश का प्रशासनिक और विधान सभा कार्यवाही संचालित होती रहीं। आंध्र प्रदेश को हैदराबाद में एक भाग सेक्रेटेरियट परिसर और कुछ इमारतें अलॉट की गईं थीं ताकि वे अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ पूरी कर सकें।
अगस्त 2024 के बाद की स्थिति
जब यह अवधि खत्म होगी, तो हैदराबाद केवल तेलंगाना की राजधानी बन जाएगा। आंध्र प्रदेश के कलेक्टर और अन्य उच्चाधिकारियों ने हैदराबाद में कार्यवाही और प्रशासनिक कार्यों के लिए जिन परिसरों का उपयोग किया था, उन्हें वापस तेलंगाना सरकार को सौंप देना होगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित भी किया है।
आंध्र प्रदेश की नई राजधानी का विवाद
आंध्र प्रदेश अभी भी अपनी स्थायी राजधानी को लेकर असमंजस में है। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने विशाखापत्तनम (विजाग) को प्रशासनिक राजधानी, अमरावती को विधान सभा की राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी प्रस्तावित किया है। हालाँकि, इन तीन स्थानों को संयुक्त राजधानी बनाने के प्रस्ताव को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
वर्तमान में, इस विवाद के कारण आंध्र प्रदेश की स्थायी राजधानी का निर्णय टलते जा रहा है। राज्य के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार इस पर काम कर रही है और जल्द ही एक स्थायी समाधान आने की उम्मीद है।
तेलंगाना सरकार के नवीनतम कदम
साल 2024 के बाद, जब हैदराबाद पूरी तरह से तेलंगाना की राजधानी बन जाएगा, तो तेलंगाना सरकार ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने हैदराबाद की विकास योजनाओं की समीक्षा की और इसे पूरे राज्य का केंद्रीय प्रशासनिक केंद्र बनाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने हैदराबाद के विभिन्न क्षेत्रों के उन्नति और विकास के लिए एक व्यापक योजना बनाई है। इसमें नई सड़कें, मेट्रो विस्तार, आईटी हब और व्यापारिक केंद्रों का निर्माण शामिल है।
सरकार की दीर्घकालिक योजनाएं
तेलंगाना सरकार के दीर्घकालिक योजनाओं में हैदराबाद को वैश्विक व्यापार और पर्यटन का केंद्र बनाना शामिल है। प्रशासनिक परिसरों के अतिरिक्त, राज्य के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों का भी विशेष उन्नति पर ध्यान दिया गया है।
आंध्र प्रदेश के आवंटित परिसरों को भी तेलंगाना के विकास में नियोजित किया जाएगा, जिसमें नई तकनीकी इकाइयों और सरकारी कार्यालयों को स्थापित किया जाएगा।
आम जनता की प्रतिक्रिया
आम जनता के बीच इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखी जा रही हैं। जहां एक ओर तेलंगाना के लोग इसे अपने राज्य की जीत मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के लोग इस अस्थायी व्यवस्था के अंत को लेकर चिंतित हैं।
विशेष रूप से, वे लोग जो हैदराबाद में बसे हुए हैं या जिनके व्यापार और रोजगार हैदराबाद पर निर्भर हैं, वे इस बदलाव से प्रभावित होंगे। इस चिंताओं को दूर करने के लिए, दोनों राज्यों की सरकारें विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही हैं ताकि बदलाव सुगम और लाभकारी हो सके।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
आने वाले समय में, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों के सामने कई चुनौतियाँ और संभावनाएँ होंगी। जबकि तेलंगाना को अपनी नई राजधानी असमान्य रूप से विकसित करने की जिम्मेदारी होगी, वहीं आंध्र प्रदेश के लिए एक नई स्थायी राजधानी की खोज और विकास भी एक बड़ी चुनौती बनेगी।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासनों को मिलकर काम करना होगा ताकि दोनों राज्यों का भविष्य उज्ज्वल हो सके और नागरिकों को सर्वोत्तम सेवाएँ मिल सकें।