Bharti Airtel Q4: मुनाफे में जबरदस्त ग्रोथ, रेवेन्यू और EBITDA में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी

Bharti Airtel Q4: मुनाफे में जबरदस्त ग्रोथ, रेवेन्यू और EBITDA में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी मई, 14 2025

AirTel Q4 FY2025: तगड़ा मुनाफा और रेवेन्यू की चमक

भारती एयरटेल ने मार्च 2025 की तिमाही के नतीजों से बाजार में हलचल मचा दी है। कंपनी ने ₹11,022 करोड़ का नेट प्रॉफिट दिखाया है, जो बाजार के अनुमानों को पीछे छोड़ गया। पिछले तिमाही के मुकाबले इसमें 25% गिरावट आई है, लेकिन एनालिस्ट उम्मीद कर रहे थे कि और तेज गिरावट देखने को मिलेगी। तिमाही दर तिमाही गिरावट के बावजूद सालाना नजर डालें तो कंपनी का ऑपरेशनल प्रदर्शन काफी दमदार रहा।

कंपनी का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू इस तिमाही ₹47,876 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछली तिमाही से 6% ज्यादा है। वहीं EBITDA ₹27,009 करोड़ का रहा, जिसमें मार्जिन 56.4% तक पहुंच गए। भारत में एयरटेल की कमाई ₹36,735 करोड़ रही, जो साल दर साल 28.8% ज्यादा है। EBITDA भी 44% बढ़कर ₹22,024 करोड़ हो गया।

इधर, अफ्रिका ऑपरेशंस पर भी कंपनी ने फोकस बनाए रखा। वहां रेवेन्यू में 23.2% की ग्रोथ दिखी और EBITDA मार्जिन 47.5% तक बढ़ गया। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कंपनी इंडिया और अफ्रिका, दोनों बाजारों में मजबूती से उभर रही है।

ARPU स्थिर, बड़ा निवेश और Hexacom में खास उछाल

एयरटेल का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) ₹245 पर स्थिर रहा। पिछले कुछ तिमाही में लगातार ARPU में ग्रोथ देखने के बाद इस बार यह स्थिर बनना दिखाता है कि बाजार में प्राइसिंग पावर बनी हुई है। इंडिया में कस्टमर बेस 424 मिलियन तक पहुंच चुका है, वहीं अफ्रिका में 166 मिलियन यूजर्स हैं।

नेटवर्क और सर्विस क्वालिटी को सुधारने के लिए कंपनी ने तगड़ा कैपेक्स खर्च किया है। सिर्फ इंडिया में ₹12,553 करोड़ और अफ्रिका में ₹1,848 करोड़ निवेश हुआ। ये रकम बताती है कि एयरटेल फाइबर, 5G और डिजिटल नेटवर्क पर आक्रामक तरीके से निवेश कर रही है ताकि बाजार में अपनी बढ़त बनाए रख सके।

कंपनी की सब्सिडियरी Bharti Hexacom ने इस तिमाही 110.5% का ज़बरदस्त प्रॉफिट ग्रोथ दर्ज किया है, जिसका मुनाफा ₹468.4 करोड़ रहा। यहां टैक्स में फायदे के साथ-साथ यूजर ग्रोथ ने भी सपोर्ट किया। इसके अलावा, एयरटेल ने डिविडेंड का ऐलान किया है—हालांकि, अब तक इसकी डिटेल्स शेयर नहीं की गई हैं।

ब्रोकरेज हाउस, एयरटेल के EBITDA मार्जिन और मार्केट लीडरशिप को देखकर कंपनी के लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस को लेकर पॉजिटिव बने हुए हैं। मौसमी चुनौतियों और कॉम्पिटिशन के बावजूद कंपनी की ग्रोथ स्टोरी बरकरार है।

7 टिप्पणि

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    Himanshu Kaushik

    मई 16, 2025 AT 05:29
    ये एयरटेल वालों ने तो असली मजा कर लिया। अफ्रीका में भी इतना ग्रोथ? भारत में तो बस फाइबर और 5G के नाम पर पैसे उड़ा रहे हैं, पर ग्राहकों को अभी भी 4G के बारे में सोचना पड़ता है।
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    Sri Satmotors

    मई 17, 2025 AT 15:49
    अच्छा नतीजा है, ये तो अच्छी खबर है। 🙌
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    Sohan Chouhan

    मई 17, 2025 AT 22:32
    ARPU ₹245? ये तो बिल्कुल निराशाजनक है। तुम लोग बस इतना ही सोचते हो? जब तक तुम अपने यूजर्स को ₹500+ के प्लान पर भरोसा नहीं करवाओगे, तब तक तुम बस एक और टेलीकॉम कंपनी होगी। और हाँ, डिविडेंड का ऐलान किया है? क्या तुम्हारे CFO ने अभी तक बैंक से लोन नहीं लिया?
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    SHIKHAR SHRESTH

    मई 19, 2025 AT 12:45
    इंडिया में 424 मिलियन यूजर्स... और फिर भी कैपेक्स ₹12,553 करोड़? ये तो बहुत ही बुद्धिमानी से किया गया है। नेटवर्क क्वालिटी बढ़ाना, फाइबर को घर-घर ले जाना, ये सब करने का फैसला बहुत बड़ा है। अगर ये नहीं किया जाता, तो हम सब अभी भी 2G पर फंसे होते।
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    amit parandkar

    मई 21, 2025 AT 00:57
    अफ्रीका में EBITDA मार्जिन 47.5%? क्या ये सब डेटा फेक है? मैंने सुना है कि वहाँ टेलीकॉम कंपनियाँ डेटा छुपाती हैं, और बाजार में बैंकों को धोखा देती हैं। और डिविडेंड? बस शेयरहोल्डर्स को शांत करने के लिए... अगले क्वार्टर में देखो, बड़ी चाल चलेंगे।
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    Annu Kumari

    मई 21, 2025 AT 22:57
    मुझे लगता है कि एयरटेल ने अच्छा काम किया है... खासकर इतने बड़े निवेश के बावजूद भी मुनाफा बनाना। मैं बस उम्मीद करती हूँ कि ग्राहकों को भी इसका फायदा मिले। और हाँ, डिविडेंड की डिटेल्स जल्दी आएं, तो बहुत अच्छा होगा।
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    haridas hs

    मई 23, 2025 AT 18:04
    The Q4 performance metrics, while superficially robust, exhibit a structural dependency on capital expenditure-driven revenue inflation. The 25% YoY net profit decline, juxtaposed against a 6% revenue uplift, signals a misalignment between operational efficiency and top-line growth. The EBITDA margin of 56.4% is statistically anomalous for a telco in a saturated market, suggesting aggressive cost capitalization or deferred maintenance. Furthermore, the 110.5% profit surge in Hexacom-without disclosed tax restructuring details-raises material concerns regarding earnings quality. The absence of dividend specifics undermines investor confidence in governance transparency. In aggregate, this represents a narrative of financial engineering, not sustainable value creation.

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