अनंतनाग में 2000 साल पुराने शिवलिंग और मूर्तियाँ मिलीं, कश्मीर का प्राचीन हिन्दू इतिहास फिर चर्चा में

अनंतनाग में 2000 साल पुराने शिवलिंग और मूर्तियाँ मिलीं, कश्मीर का प्राचीन हिन्दू इतिहास फिर चर्चा में अग॰, 6 2025

अनंतनाग के कारकूट नाग में ऐतिहासिक खोज: तपोभूमि से निकले 2000 साल पुराने शिवलिंग

सोचिए, किसी सामान्य निर्माण कार्य के दौरान अचानक मिट्टी के नीचे से शिवलिंग और प्राचीन मूर्तियाँ निकल आएँ! जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की कारकूट नाग झील पर चल रहे सार्वजनिक निर्माण कार्य में कुछ ऐसा ही हुआ। वहां के पीडब्ल्यूडी विभाग ने जैसे ही खुदाई शुरू की, जमीन से 15 प्राचीन मूर्तियाँ और 11 शिवलिंग बाहर आ गए। इन सभी कलाकृतियों की खासियत यह है कि इतिहासकार इनकी उम्र करीब 2000 वर्ष आंकी जा रही है।

कारकूट नाग, अनंतनाग के ऐश्वर्युकाम के सालिया गाँव से 16 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां के स्थानीय कश्मीरी पंडितों के लिए यह स्थल बेहद महत्व रखता है, क्योंकि यह कश्मीर के कर्कूट वंश (625–855 ई.) के समय का बताया जाता है। यह खोज अपने आप में खास है—यह संकेत देती है कि कभी यहाँ प्राचीन शिव मंदिर रहा होगा, जहाँ कश्मीर का सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास गहराई से जुड़ा रहा है।

पुरातत्त्व विभाग में हलचल: मूर्तियाँ श्रीनगर भेजी जाएंगी, मंदिर निर्माण की मांग तेज

पुरातत्त्व विभाग में हलचल: मूर्तियाँ श्रीनगर भेजी जाएंगी, मंदिर निर्माण की मांग तेज

जैसे ही खबर फैली, जम्मू-कश्मीर के अभिलेखागार, पुरातत्त्व और संग्रहालय विभाग के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुँचे। विशेषज्ञ टीम ने खुदाई में मिली मूर्तियों की प्रारंभिक जांच की और अब ये सभी धरोहरें श्रीनगर स्थित श्री प्रताप सिंह म्यूजियम में भेजी जाएँगी। यहाँ मूर्तियों का मटेरियल टेस्ट होगा, उनकी डेटिंग की जाएगी और प्राचीन कलाकृतियों की तरह आगे शोध भी किया जाएगा।

मौके पर मौजूद एक कश्मीरी पंडित ने बयान में कहा कि इन शिवलिंगों और मूर्तियों की उपस्थिति इस ओर इशारा करती है कि इस जगह पर कभी भव्य मंदिर था। उनकी मांग है कि यहाँ फिर से मंदिर बनना चाहिए और इन मूर्तियों को वहीं स्थापित करना चाहिए, ताकि इस सांस्कृतिक विरासत की पहचान बनी रहे।

  • मिली मूर्तियों में 11 शिवलिंग सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।
  • एक मंदिर के खंभे का टूटा हुआ हिस्सा मिला है, जो प्राचीन वास्तुशिल्प का उदाहरण लगता है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थल कश्मीर की गहरी धार्मिक परंपराओं के प्रमाण देता है।
  • स्थानीय लोग चाहते हैं कि सरकार इस स्थल को पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से विकसित करे।

इस खोज के बाद फिर से कश्मीरी धार्मिक इतिहास पर चर्चा शुरू हो गई है। कारकूट वंश के समय कश्मीर में शिव भक्ति और हिंदू धर्म का कितना गहरा प्रभाव था, इसपर विशेषज्ञों की राय अब ज्यादा मजबूत हो गई है। इस जगह की खुदाई से जुड़े और भी राज़ सामने आ सकते हैं क्योंकि मिट्टी के नीचे अभी भी बहुत कुछ छुपा हो सकता है।

दूसरी ओर, पंडित समुदाय और स्थानीय निवासी चाहते हैं कि सरकार इस खोज को नजरअंदाज न करे और प्राचीन संस्कृति को फिर से जीवित करने के लिए जल्द कदम उठाए जाएँ।