आझाम ख़ान की जेल रिहाई के बाद बसपा में जुड़ने की अफवाहों पर खुलासा

आझाम ख़ान की जेल रिहाई के बाद बसपा में जुड़ने की अफवाहों पर खुलासा सित॰, 23 2025

आझाम ख़ान की रिहाई और सड़कों पर मिले आदर

उन्हें 23 महीने की सिटापुर जेल की सज़ा पूरी करने के बाद, 23 सितंबर 2025 को मुक्त किया गया। जेल के बाहर उनका इंतज़ार उनके परिवार के सदस्य, करीबी दोस्तों और कई पार्टी सहकर्मियों ने किया। विशेष रूप से उनके दोहरी भाषण शैली के कारण, उनके समर्थक अक्सर बसंती वस्त्र पहने हुए और हथौड़े‑हथेलियों की तालियों के साथ उनका स्वागत करते दिखे।

रिहाई के तुरंत बाद, एक छोटी सी घटना घटी जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। कुछ जड़ते हुए समर्थकों ने पुलिस के साथ नल-निवाल हो गए, लेकिन स्थिति जल्दी ही शांति से समाप्त हो गई। इस बीच, कई स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने इस घटना को बड़े पैमाने पर कवरेज किया, जिससे आझाम ख़ान की लोकप्रियता फिर से चर्चा में आ गई।

बसपा में शामिल होने के सवाल पर उनका जवाब

रिहाई के बाद, कई संकेतकों ने आझाम ख़ान को बसपा (बहुजन समाज पार्टी) में शामिल होने की संभावनाओं का संकेत दिया। बीजेपी‑समर्थक और कुछ राज्य पॉलिटिशियंस ने लगातार सवाल पूछे कि क्या वह अब दोबारा बसपा के साथ हाथ मिलाएंगे। उस दौरान, आझाम ख़ान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह किसी भी समय अपने मौजूदा पार्टी, अर्थात् भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ रहेंगे। उन्होंने कहा, "मेरी राजनीति का मूल सिद्धान्त सर्वसाधारण के लिये काम करना है, पार्टी परिवर्तन नहीं।"

उनकी इस बात ने बसपा के वरिष्ठ नेताओं को भी चौंका दिया। बसपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "आझाम साहब का निर्णय उनका निजी है, हम उनका सम्मान करेंगे, परन्तु हमारी पार्टी के लिए उनका कोई स्थान नहीं है जब तक वह स्पष्ट रूप से कमिटमेंट नहीं दिखाते।"

आझाम ख़ान ने अखिलेश यादव पर अपने विचार भी रखे। उन्होंने कहा कि यद्यपि दोनों ने एक ही वोटर बेस को टार्गेट किया है, परन्तु उनके एंकर पॉलिसी और दृष्टिकोण में अंतर है। उन्होंने यह भी कहा, "मैं हमेशा लोगों की भलाई के लिये काम किया हूँ, चाहे वह कोई भी पार्टी हो, परन्तु घोटालों और असंतुलित राजनीति से मैं दूरी बनाकर रखूँगा।" यह बयान कई राजनीतिक विश्लेषकों ने पार्टी के भीतर संभावित गठबंधन की संभावनाओं को कम करने वाला माना।

वित्तीय और सामाजिक मुद्दों पर उनका ब्योरा भी चर्चा में रहा। आझाम ख़ान ने जेल में बिताए समय को अपने समर्थनकर्ता के साथ मिलकर समुदाय विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने में प्रयोग करने का इरादा जताया। उन्होंने कहा कि अब उनके लिये सबसे बड़ा लक्ष्य असली काम करना है, न कि पार्टी की राजनीति।

रिहाई के बाद उनका पहला राजनीतिक बयान इस तरह से आया कि कई संदेहियों ने उन्हें दोबारा राजनीति में कदम रखने की अड़ताली कहानियों से दूर रहने का संकेत दिया। इन बयानों से यह स्पष्ट हुआ कि भविष्य में वह कांग्रेस के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीतिक भूमिका निभाने को तैयार हैं।