अग्निकुल कॉसमॉस ने लॉन्च किया भारत का दूसरा निजी निर्मित रॉकेट अग्निबान SOrTeD
मई, 31 2024अग्निकुल कॉसमॉस का ऐतिहासिक कदम
चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने पहले रॉकेट 'अग्निबान SOrTeD' को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला रॉकेट है जिसे एक निजी लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया है। इसके अलावा, यह पहला ऐसा रॉकेट है जो एकल-पीस 3D-प्रिंटेड इंजन के साथ डिजाइन और निर्मित किया गया है।
रॉकेट की विशेषताएँ और तकनीकी विस्तार
18-मीटर लंबा यह रॉकेट छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह 700 किलोमीटर की लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 300 किलो तक के पेलोड्स को ले जा सकता है। अग्निबान SOrTeD केवल तकनीकी प्रदर्शन के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन इसके सफल प्रक्षेपण ने भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण उड़ान डेटा और सिस्टम्स की अनुकूलता सुनिश्चित की है। इससे पता चलता है कि अग्निकुल का डिजाइन और निर्माण रास्ते पर सही है।
रॉकेट की एक और महत्वपूर्ण विशेषता इसका अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन है, जिसे 'अग्नलेट' कहा जाता है। यह इंजन पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है और इसे 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके एकल-पीस में बनाया गया है। इस प्रकार का डिजाइन अंतरिक्ष उद्योग में एक बड़ी तकनीकी उन्नति को दर्शाता है।
ISRO और अन्य संस्थाओं की सराहना
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अग्निकुल कॉसमॉस को इस उल्लेखनीय सफलता के लिए बधाई दी। ISRO के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने इस उपलब्धि को सराहा और कहा कि यह सफलता अन्य अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स को नवाचार और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करेगी। इसके अलावा, भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) ने अग्निकुल कॉसमॉस को इस ऐतिहासिक मील के पत्थर के लिए बधाई दी।
अग्निकुल कॉसमॉस की भविष्य की योजनाएँ
अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने पहले सफल कदम के साथ अब भविष्य की और ऊँचाईयों को छूने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह 2025 के वित्तीय वर्ष के अंत तक एक कक्षीय मिशन को पूरा करने की योजना बना रही है और 2025 के कैलेंडर वर्ष से नियमित उड़ानें शुरू करने का लक्ष्य रखती है।
यह स्टार्ट-अप 2017 में श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम, और सत्य चक्रवर्ती द्वारा स्थापित किया गया था और यह IN-SPACe पहल के तहत ISRO के साथ समझौता करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई। उनके इस प्रयास ने भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को नई दिशा में ले जाने का काम किया है और यह दिखाया है कि निजी कंपनियों के प्रयास से भी देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर ले जाया जा सकता है।
अग्निकुल कॉसमॉस का यह ऐतिहासिक कदम भारतीय अंतरिक्ष अभियान के लिए एक प्रमुख मोड़ है। यह न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और नवाचार में भी एक उदाहरण स्थापित करता है। इस सफलता के साथ, अग्निकुल ने दिखा दिया है कि भारतीय स्टार्ट-अप्स में न केवल क्षमता है बल्कि वाकई में बड़े सपने देखने की और उन्हें वास्तविकता में बदलने की शक्ति भी है। अत्याधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ, अग्निकुल कॉसमॉस भविष्य में और भी महत्वपूर्ण मील के पत्थर स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है।