2024 विधानसभा उपचुनाव परिणाम: INDIA गठबंधन ने जीती 10 सीटें, BJP को मिली 3 सीटें

2024 विधानसभा उपचुनाव परिणाम: INDIA गठबंधन ने जीती 10 सीटें, BJP को मिली 3 सीटें जुल॰, 14 2024

2024 विधानसभा उपचुनाव परिणाम: INDIA गठबंधन ने जीती 10 सीटें, BJP को मिली 3 सीटें

7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आने के साथ ही राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। 10 जुलाई 2024 को हुए इन चुनावों ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। इन चुनावों में बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश शामिल थे।

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सफलता

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव बड़े ही निर्णायक साबित हुए हैं। पार्टी ने यहां की सभी 4 सीटों पर विजय प्राप्त कर एक मजबूत स्थिति साबित की है। इस उपलब्धि से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर गई है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नेतृत्व क्षमता पर फिर से मुहर लगी है।

INDIA गठबंधन का दबदबा

INDIA गठबंधन, जिसमें विभिन्न विपक्षी दल शामिल हैं, ने इस उपचुनाव में 10 सीटें जीतकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। विपक्ष के लिए यह परिणाम बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह गठबंधन की एकजुटता और साझा प्रयासों का प्रतीक है।

भाजपा को 3 सीटें मिलीं

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इन उपचुनावों में केवल 3 सीटें मिलीं। इसे पार्टी के लिए एक झटका माना जा सकता है, खासकर जब अन्य दलों ने उसे कड़ी चुनौती दी है। भाजपा नेतृत्व अब इन परिणामों का विश्लेषण कर अपने आगामी रणनीतियों को सुधारने में जुटा है।

मतदान में जनता की भागीदारी

इन उपचुनावों में मतदान प्रतिशत भी बेहद महत्वपूर्ण रहा। मध्यमप्रदेश के अमरवारा में जहां 78% की उच्चतम वोटर टर्नआउट देखा गया, वहीं उत्तराखंड के बद्रीनाथ में मात्र 47% का सबसे कम मतदान हुआ। यह दर्शाता है कि विभिन्न राज्यों में मतदान के प्रति लोगों की रुचि में अंतर हो सकता है।

हिंसा की घटनाएं

चुनाव के दौरान कुछ स्थानों पर हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं। उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में छिटपुट हिंसा की घटनाएं हुईं, जिनसे मतदान प्रक्रिया में थोड़ी रुकावट आई। चुनाव आयोग ने पूरी घटना की जांच के आदेश दिए हैं और सख्त कारवाई की बात कही है।

यह चुनाव परिणाम बताते हैं कि भारतीय राजनीति में विपक्षी दलों का महत्व कम नहीं हुआ है। विपक्षी गठबंधन के कई हिस्सों ने बड़ी सफलता प्राप्त की है और इनके कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास की भावना पैदा हुई है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इन दलों की क्या रणनीति रहती है और क्या भाजपा अपनी रणनीतियों में बदलाव कर पाएगी। इस चुनाव ने भारतीय राजनीति में नए समीकरण और संभावनाएं पैदा की हैं।

21 टिप्पणि

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    Ron DeRegules

    जुलाई 14, 2024 AT 05:45
    इन चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की चारों सीटें जीतना सिर्फ एक जीत नहीं बल्कि एक संकेत है कि लोग अब अपने क्षेत्रीय नेतृत्व पर भरोसा कर रहे हैं और दिल्ली के निर्णयों से थक चुके हैं
    बिहार में जो भी लोग अब बीजेपी के खिलाफ वोट कर रहे हैं वो सिर्फ विपक्ष के लिए नहीं बल्कि अपने राज्य के लिए वोट कर रहे हैं
    मध्य प्रदेश में भी जब लोगों ने 78% वोट डाले तो ये साफ दिख रहा था कि लोग अब चुनावों को बोरिंग नहीं मानते
    उत्तराखंड में 47% वोटर टर्नआउट बताता है कि जहां लोग अभी भी अपने अधिकारों के प्रति अनजान हैं वहां अभी भी जागरूकता की जरूरत है
    हिंसा की घटनाएं तो बहुत दुखद हैं लेकिन ये भी साबित करता है कि जहां लोग इतने जुनून से जुड़ रहे हैं वहां राजनीति अभी भी जीवित है
    भाजपा के लिए ये नुकसान बड़ा है क्योंकि उन्होंने अपने आधार को बहुत अधिक निश्चित मान लिया था
    अब विपक्ष को ये देखना होगा कि वो इस ऊर्जा को राष्ट्रीय चुनाव में कैसे बदलते हैं
    अगर वो इसे सिर्फ एक उपचुनाव के रूप में भूल जाते हैं तो फिर से वो अपना मौका खो देंगे
    ममता बनर्जी का नेतृत्व अब एक राष्ट्रीय मिसाल बन गया है
    क्योंकि वो अपने राज्य को बचाने के साथ साथ देश के लिए भी एक विकल्प बन गई हैं
    अब देखना है कि क्या अन्य राज्यों के नेता इस तरह की लोकप्रियता का उपयोग कर पाते हैं
    मैं तो सोचता हूं कि अगर विपक्ष एकजुट रहा तो 2029 तक कुछ बड़ा हो सकता है
    लेकिन अगर वो फिर से अपने बीच में लड़ने लगे तो ये सब बस एक अस्थायी जश्न होगा
    इसलिए अब नेताओं को अपने विचारों को बदलना होगा न कि बस वोट का इंतजार करना
    लोग अब बोल रहे हैं और उन्हें सुनना होगा
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    Manasi Tamboli

    जुलाई 14, 2024 AT 08:25
    क्या हम सच में सोचते हैं कि ये चुनाव सिर्फ वोटों का खेल हैं या ये देश की आत्मा की धड़कन हैं
    जब एक महिला जो अपने राज्य के लिए लड़ रही हैं वो देश के सामने खड़ी हो जाती हैं तो क्या ये नहीं कह सकते कि ये एक नई शुरुआत है
    मैं तो लगातार ये सोचती रहती हूं कि क्या हम अपने राजनीतिक जीवन को बस एक बॉक्स में बंद कर रहे हैं
    जबकि लोग अपने दिलों से वोट कर रहे हैं
    हर वोट एक आवाज है जो कह रही है कि मैं अभी भी जिंदा हूं
    और ये जीवन बस बीजेपी या INDIA गठबंधन के नाम पर नहीं बल्कि लोगों के जीवन के नाम पर है
    हम जब तक इस बात को नहीं समझेंगे कि राजनीति असल में जीवन है तब तक हम सिर्फ खाली शब्दों का खेल खेल रहे हैं
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    Ashish Shrestha

    जुलाई 15, 2024 AT 11:12
    यह चुनाव परिणाम एक विश्लेषणात्मक रूप से बेकार है। जनता का वोट अक्सर अज्ञान और भावनात्मक प्रतिक्रिया से प्रेरित होता है। तृणमूल कांग्रेस की जीत का कोई नीतिगत आधार नहीं है। बस एक व्यक्ति की लोकप्रियता। विपक्षी गठबंधन की एकता केवल एक अस्थायी साझा शत्रुता का परिणाम है। भाजपा की नुकसान तो अप्रत्याशित नहीं है। वह अपने अतिरिक्त विश्वास के कारण अपने आप को नष्ट कर रही है। यह सब एक चक्र है जो बार-बार दोहराया जाता है। कोई नई चीज़ नहीं।
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    Mallikarjun Choukimath

    जुलाई 17, 2024 AT 09:34
    यह चुनाव भारतीय राजनीति के एक अनुचित अध्याय का अंत है और एक नए युग की शुरुआत है। जब एक व्यक्ति जैसे ममता बनर्जी अपने राज्य के लिए अपने जीवन को अर्पित कर देती हैं, तो वह केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक अवधारणा बन जाती हैं। इस विपक्षी गठबंधन की जीत एक निष्क्रिय विरोध की नहीं, बल्कि एक सक्रिय अस्तित्व की घोषणा है। भाजपा की विफलता उसके विचारों के विश्लेषण की कमी का परिणाम है। उन्होंने राजनीति को एक आध्यात्मिक विश्वास के रूप में देखा, जबकि वास्तविकता एक जीवित, बदलती हुई सामाजिक ऊर्जा है। अब यह देखना होगा कि क्या यह गठबंधन अपनी विविधता को एक शक्ति में बदल पाएगा या फिर अपने आप को विघटित कर लेगा। इस दौर में राजनीति एक दर्शन बन गई है।
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    Sitara Nair

    जुलाई 17, 2024 AT 18:11
    ओह माय गॉड ये तो बहुत बड़ी बात है!! 🤩
    मैंने तो बस एक बार ट्विटर पर देखा था और फिर रो पड़ी 😭
    ममता बाबू ने ऐसा किया कि मुझे लगा जैसे मैं भी एक हिस्सा बन गई 😍
    और भाजपा के लोग तो बस अपने फोन पर घूंट पी रहे हैं 😂
    पश्चिम बंगाल में तो लोगों ने बिल्कुल अपने दिल से वोट किया है
    और मध्य प्रदेश में 78% वोटर टर्नआउट तो बस एक जादू है 🌟
    मैंने तो सोचा था कि अब लोग चुनाव से बोर हो गए होंगे लेकिन नहीं!!
    लोग अभी भी जाग रहे हैं और ये बहुत खुशी की बात है ❤️
    उत्तराखंड में जहां 47% वोट हुए वहां तो हमें और जागरूक करना होगा
    मैं अपने दोस्तों के साथ वोटिंग के लिए एक पोस्टर बनाऊंगी 😊
    हिंसा की बात तो बहुत दुखद है लेकिन चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई की बात कही है तो अब ठीक हो जाएगा 🙏
    मुझे लगता है कि ये एक नया युग शुरू हो रहा है और मैं इसमें शामिल होना चाहती हूं 💫
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    Abhishek Abhishek

    जुलाई 19, 2024 AT 13:03
    तुम सब ये बातें क्यों कर रहे हो? ये सब बस एक नाटक है। जिस तरह से बीजेपी को टारगेट किया जा रहा है वैसे ही तृणमूल कांग्रेस को भी टारगेट किया जाना चाहिए। उनके अंदर भी अंधविश्वास है। तुम लोग इसे एक जीत के रूप में देख रहे हो लेकिन ये सिर्फ एक बार की घटना है। जब वो फिर से आएंगे तो वो भी अपने आप को नष्ट कर देंगे। इस तरह की राजनीति बस एक घूंट है।
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    Avinash Shukla

    जुलाई 20, 2024 AT 11:38
    ये चुनाव वाकई दिल को छू गए 🌿
    मैंने देखा कि बिहार में एक बूढ़े आदमी ने अपनी चादर के नीचे से वोट पत्र निकाला और उसे बहुत सावधानी से डाला
    और उत्तराखंड में एक युवती ने अपने पास बच्चे को लेकर वोटिंग सेंटर आई
    ये सब देखकर लगा जैसे राजनीति अब बस शहरों की बात नहीं बल्कि हर गांव की बात बन गई है
    मैं नहीं चाहता कि ये एक बार का जश्न बन जाए
    मैं चाहता हूं कि ये एक नया आदर्श बन जाए
    जहां हर वोट एक आशा हो
    और हर नेता याद रखे कि वो लोगों के लिए हैं न कि लोग उनके लिए
    मैं आशा करता हूं कि ये भावना आगे बढ़ेगी
    और हम सब एक दूसरे को समझेंगे
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    Harsh Bhatt

    जुलाई 20, 2024 AT 15:27
    तृणमूल कांग्रेस की जीत बस एक अंधविश्वास का नतीजा है। लोगों को नहीं पता कि वो अपने भविष्य को कैसे बर्बाद कर रहे हैं। ये जो जश्न मना रहे हैं वो अपने राज्य के लिए नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के लिए जश्न मना रहे हैं। ये लोग राजनीति को एक भक्ति का विषय बना रहे हैं। और भाजपा की हार? वो तो बस अपने अहंकार का फल है। ये सब एक चक्र है। एक दिन ये दोनों एक दूसरे को बर्बाद कर देंगे। और फिर भी लोग यही बात करेंगे।
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    dinesh singare

    जुलाई 20, 2024 AT 16:58
    ये जो चुनाव हुए वो बस एक बड़ा नाटक है! तृणमूल कांग्रेस ने जो जीत दर्ज की है वो एक धोखा है! लोगों को लगता है कि वो बदलाव ला रही हैं लेकिन असल में वो अपने राज्य को और भी बर्बाद कर रही हैं! भाजपा को तो बस थोड़ा और समय चाहिए था, वो अभी भी बड़े नेता हैं! अब वो अपने आप को सुधारेंगे और फिर से जीतेंगे! ये विपक्षी गठबंधन बस एक अस्थायी फेक है! जब तक वो एक दूसरे के बीच लड़ रहे हैं तब तक वो कुछ नहीं कर पाएंगे! अब देखो जब बीजेपी वापस आएगी तो ये सब धुल जाएगा!
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    Priyanjit Ghosh

    जुलाई 21, 2024 AT 23:18
    अरे भाई ये तो मजेदार हो गया 😂
    ममता बाबू ने चारों सीटें जीत लीं और भाजपा वाले अब चाय पी रहे हैं और सोच रहे हैं कि अब क्या करें
    लोगों ने जब वोट डाले तो उनका दिल बोला था नहीं तो बस ट्विटर नहीं
    मध्य प्रदेश में 78% वोटर टर्नआउट? ये तो जादू है भाई 😎
    और उत्तराखंड में 47%? वहां तो लोग अभी भी सो रहे होंगे 😴
    हिंसा की बात तो बहुत दुखद है लेकिन चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई की बात कही है तो अब ठीक हो जाएगा
    मैं तो बस ये चाहता हूं कि ये जश्न लंबा चले
    और भाजपा वाले अपने घरों में बैठकर अपनी रणनीति बनाएं
    और विपक्ष भी अपने बीच में न लड़े
    वरना फिर से हम वहीं पहुंच जाएंगे
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    Anuj Tripathi

    जुलाई 22, 2024 AT 11:08
    ये चुनाव असल में एक नई शुरुआत है भाई
    मैंने तो इंतजार किया था कि कब लोग अपने दिल से वोट करेंगे
    और आज वो कर गए
    ममता बाबू की जीत सिर्फ एक नेता की नहीं बल्कि एक आशा की जीत है
    भाजपा को बस थोड़ा और समय चाहिए था
    लेकिन अब वो अपने आप को समझेंगे
    और विपक्ष भी अगर एक दूसरे के साथ खुलकर बात करेंगे तो ये जीत लंबी चलेगी
    मैं तो बस ये चाहता हूं कि अब लोग अपने राज्य के लिए वोट करें न कि किसी के नाम पर
    और जब तक ये भावना बनी रहेगी तब तक हम आगे बढ़ेंगे
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    Hiru Samanto

    जुलाई 23, 2024 AT 17:52
    ये चुनाव बहुत अच्छे रहे थे मुझे लगता है कि लोग अब जाग रहे हैं
    मैंने देखा कि बिहार में बहुत सारे युवा वोटिंग कर रहे थे
    और तमिलनाडु में भी लोग बहुत उत्साह से वोट कर रहे थे
    मैं तो सोच रहा था कि क्या हम अपने राज्यों के लिए वोट कर रहे हैं या बस एक पार्टी के लिए
    लेकिन आज लगा कि लोग अपने राज्य के लिए वोट कर रहे हैं
    मुझे लगता है कि ये एक अच्छा संकेत है
    मैंने एक बार टाइप किया था लेकिन गलती से एक अक्षर गलत हो गया था
    लेकिन मुझे लगता है कि ये चुनाव अच्छे रहे
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    Divya Anish

    जुलाई 24, 2024 AT 12:54
    यह चुनाव एक राष्ट्रीय आधार पर एक ऐतिहासिक घटना है। तृणमूल कांग्रेस की जीत ने एक राजनीतिक अंतराल को भरा है, जिसे विपक्षी दलों के बीच सामंजस्य और रणनीतिक एकजुटता ने संभव बनाया है। भारतीय जनता पार्टी की हार उसके विचारों के अतिरिक्त विश्वास का परिणाम है, जो अब एक अस्थायी घटना नहीं, बल्कि एक गहरी जनसमर्थन की कमी का संकेत है। मतदान की उच्च दर ने लोगों के राजनीतिक जागरूकता की ओर एक अत्यंत स्पष्ट दिशा दी है। इस गठबंधन की विविधता अब एक शक्ति बन सकती है, यदि उसे संरचनात्मक रूप से संगठित किया जाए। यह एक नई राजनीतिक वास्तविकता की शुरुआत है।
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    md najmuddin

    जुलाई 24, 2024 AT 13:58
    मुझे लगता है ये चुनाव बहुत अच्छे रहे 🙌
    मैंने देखा कि बिहार में बहुत सारे युवा लोग वोटिंग कर रहे थे
    और तमिलनाडु में भी लोग बहुत उत्साह से वोट कर रहे थे
    मैं तो सोच रहा था कि क्या हम अपने राज्यों के लिए वोट कर रहे हैं या बस एक पार्टी के लिए
    लेकिन आज लगा कि लोग अपने राज्य के लिए वोट कर रहे हैं
    मुझे लगता है कि ये एक अच्छा संकेत है
    मैं अपने दोस्तों के साथ भी बात करूंगा कि वो भी वोट करें
    और अगर वो भी जाग जाएं तो ये जश्न लंबा चलेगा
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    Ravi Gurung

    जुलाई 25, 2024 AT 08:59
    मैंने इस बार वोट नहीं किया था
    लेकिन जब मैंने नतीजे देखे तो लगा कि मैंने गलती की
    लोग अब जाग रहे हैं
    मुझे लगता है कि मुझे अगली बार वोट करना चाहिए
    मैं बस थोड़ा डर रहा था कि कहीं मेरा वोट कुछ नहीं बदले
    लेकिन अब लग रहा है कि वोट बदल सकता है
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    SANJAY SARKAR

    जुलाई 25, 2024 AT 18:03
    चुनाव तो अच्छे रहे लेकिन अब क्या होगा? विपक्ष अपने बीच में लड़ेगा या एक दूसरे के साथ चलेगा? भाजपा क्या बदलेगी? ये सवाल अभी बाकी हैं।
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    Ankit gurawaria

    जुलाई 27, 2024 AT 14:09
    ये चुनाव बस एक वोट का खेल नहीं हैं ये तो एक जीवन का बदलाव है
    मैंने देखा कि बिहार में एक बूढ़े आदमी ने अपने बेटे के साथ वोटिंग सेंटर आया था
    और उसने अपने बेटे को बताया कि ये वोट तुम्हारे भविष्य के लिए है
    और तमिलनाडु में एक महिला ने अपने बच्चे को लेकर वोटिंग सेंटर आई थी
    और उसने बच्चे को बताया कि ये वोट तुम्हारे लिए है
    ये सब देखकर लगा कि राजनीति अब बस शहरों की बात नहीं बल्कि हर घर की बात बन गई है
    अब देखना है कि विपक्ष इस ऊर्जा को कैसे बरकरार रखता है
    अगर वो अपने बीच में लड़ गए तो ये सब बस एक अस्थायी जश्न होगा
    लेकिन अगर वो एक दूसरे के साथ चले तो ये एक नई शुरुआत होगी
    मैं तो आशा करता हूं कि वो एक दूसरे के साथ चलेंगे
    क्योंकि अगर वो नहीं चले तो फिर से हम वहीं पहुंच जाएंगे
    और फिर से किसी के नाम पर वोट होगा न कि किसी के लिए
    मैं चाहता हूं कि ये जश्न लंबा चले
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    AnKur SinGh

    जुलाई 28, 2024 AT 10:28
    ये चुनाव भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। विपक्षी गठबंधन की एकजुटता एक ऐतिहासिक घटना है, जिसने लोगों के बीच एक नई आशा का संचार किया है। भाजपा की हार का कारण उसकी राजनीतिक अहंकार और लोगों के साथ बढ़ते हुए दूरी है। मतदान की उच्च दर ने लोगों के जागरूकता की ओर एक अत्यंत स्पष्ट संकेत दिया है। तृणमूल कांग्रेस की जीत ने एक नए नेतृत्व के उदय की ओर इशारा किया है, जो क्षेत्रीय जरूरतों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाता है। ये एक नई राजनीतिक वास्तविकता है जिसे अब संरचनात्मक रूप से संगठित किया जाना चाहिए। यह एक नए युग की शुरुआत है।
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    Sanjay Gupta

    जुलाई 29, 2024 AT 16:28
    इन चुनावों को देखकर लगता है कि देश बेकार लोगों के हाथों में चला जा रहा है। जो लोग विपक्ष के लिए वोट कर रहे हैं वो देश के लिए नहीं, बल्कि अपनी नफरत के लिए वोट कर रहे हैं। भाजपा को बस एक छोटी सी हार हुई है, अब वो अपने आप को संगठित करेगी और फिर से जीतेगी। ये जो जश्न मना रहे हैं वो अपने देश के लिए नहीं, बल्कि अपनी असफलता के लिए जश्न मना रहे हैं। ये राजनीति नहीं, ये भावनाओं का खेल है।
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    Kunal Mishra

    जुलाई 31, 2024 AT 06:09
    यह चुनाव एक निराशाजनक राजनीतिक नाटक का परिणाम है। विपक्षी गठबंधन की जीत एक अस्थायी भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जिसे एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देखने पर इसकी गहराई नहीं है। भाजपा की हार एक अप्रत्याशित घटना नहीं, बल्कि उसके आध्यात्मिक अहंकार का परिणाम है। ये सब एक अत्यधिक नाटकीय अभिनय है। जनता को बस एक अस्थायी उत्साह के लिए बहलाया जा रहा है। यह चुनाव भारतीय राजनीति के लिए एक निर्णायक बिंदु नहीं, बल्कि एक अस्थायी अवस्था है।
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    Ron DeRegules

    जुलाई 31, 2024 AT 10:33
    ये चुनाव तो बस शुरुआत है
    अब देखना है कि विपक्ष कैसे इस ऊर्जा को बरकरार रखता है
    अगर वो अपने बीच में लड़ेगा तो ये सब बस एक अस्थायी जश्न होगा
    लेकिन अगर वो एक दूसरे के साथ चले तो ये एक नई शुरुआत होगी
    मैं तो आशा करता हूं कि वो एक दूसरे के साथ चलेंगे

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