
सिंधु-सरस्वती सभ्यता (Indus Valley Civilization) एक प्राचीन सभ्यता थी जो प्राचीन भारतीय सभ्यताओं में से एक थी, और यह विशेषकर पाकिस्तान और भारत के तटीय क्षेत्रों में स्थित थी। यह सभ्यता लगभग 3300 BCE से 1300 BCE के बीच विकसित हुई थी। सिंधु और सरस्वती नदियों के किनारे स्थित इस सभ्यता की महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:
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स्थान और प्रमुख स्थल:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता के प्रमुख स्थल हैं मोहेंजो-दाड़ो (Mohenjo-Daro), हड़प्पा (Harappa), लोथल (Lothal), और कालीबगन (Kalibangan)।
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नगर योजना:
- सभ्यता के नगरों की योजना बड़ी गणराज्यों की तरह होती थी, जिसमें सड़कें और घरों के गठरी बनाई जाती थी।
- नगरों में पुलिंग प्रवृत्ति के स्थल, सौंदर्यालय, और महसूलखोरों के कक्ष थे।
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व्यापार:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता व्यापार के लिए प्रसिद्ध थी।
- यह अनेक अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार करती थी, जैसे कि मेसोपोटामिया और मेसोपोटामिया क्षेत्र के शहरों से।
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भाषा:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता की भाषा का ज्ञात नहीं है, क्योंकि उनकी लिखित भाषा का शिलालेख अब तक न समझी गई है।
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सामाजिक व्यवस्था:
- समाज में वर्ण व्यवस्था प्रमुख थी, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र वर्ग थे।
- समाज में गरीब और धनी वर्ग भी थे।
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धार्मिक प्रथाएँ:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता में प्राचीन धर्म प्रथाएँ मिलती हैं, लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है।
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लिखित शिलालेख:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता के लिखित शिलालेखों का पता चला है, लेकिन उनकी भाषा और अर्थ अब भी विवादित हैं।
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सभ्यता का असमान्य समापन:
- सिंधु-सरस्वती सभ्यता का समापन कारणों के बावजूद एक रहस्य है। कुछ विद्वान इसे पानी की कमी और अर्थव्यवस्था के लुप्त होने के कारण मानते हैं।
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Indus Valley Civilization