
अपीलकर्ता ने दिव्यांगता प्रमाणपत्र की आपूर्ति के लिए एक आवेदन भी किया, जिसे इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है. इससे दुखी होकर उन्होंने 95 करोड़ के मुआवजे का दावा करते हुए NCDRC का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी गई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने खून चढ़ाने के दौरान वायु सेना अधिकारी के HIV संक्रमित होने के मामले में बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने 1.54 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. उच्चतम न्यायालय ने भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना को चिकित्सीय लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया और कोर्ट ने 6 सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि देने का निर्देश दिया.
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल कर्मियों के जीवन की रक्षा करना प्राधिकरण का कर्तव्य है. सशस्त्र बल में शामिल होने वाले सभी कर्मियों की अपेक्षा होती है कि उनके साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए
.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में न केवल विशिष्ट मामले को संबोधित किया, बल्कि एचआईवी अधिनियम, 2017 के ढांचे के तहत सरकार, अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए. धारा 34 एड्स से पीड़ित सभी व्यक्तियों के मामलों को प्राथमिकता देती है.
पीठ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग यानी NCDRC के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी. NCDRC ने प्रतिवादी की ओर से हुई चिकित्सा लापरवाही के कारण अपीलकर्ता द्वारा किए गए मुआवजे के दावे को नकार दिया था.
जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान का वाकया
दरअसल जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के तहत ड्यूटी के दौरान अपीलकर्ता अधिकारी बीमार पड़ गए और उन्हें जुलाई 2002 में 171 सैन्य अस्पताल, सांबा में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनके शरीर में एक यूनिट रक्त चढ़ाया गया. 2014 में वह फिर बीमार पड़ गए, तब पता चला कि वह HIV से पीड़ित हैं. उन्होंने जुलाई 2002 के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की व्यक्तिगत घटना रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी. उन्हें मेडिकल केस शीट प्रदान की गई.
इसके बाद, 2014 और 2015 में मेडिकल बोर्ड गठित किए गए. बोर्ड ने पाया कि जुलाई 2002 में एक यूनिट रक्त के संक्रमण के कारण वो एचआईवी संक्रमित हुए. इसके बाद अफसर के सेवा विस्तार को अस्वीकार करते हुए 31 मई, 2016 को सेवा से मुक्त कर दिया गया.
अपीलकर्ता ने दिव्यांगता प्रमाणपत्र की आपूर्ति के लिए एक आवेदन भी किया, जिसे इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है. इससे दुखी होकर उन्होंने 95 करोड़ के मुआवजे का दावा करते हुए NCDRC का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी गई
इस फैसले के खिलाफ सेवानिवृत वायुसेना अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बल कर्मियों की गरिमा और भलाई को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया. पीठ ने कहा कि लोग काफी उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं. इसमें अपने जीवन को दांव पर लगाने और अपने जीवन के बलिदान के लिए तैयार रहने का एक सचेत निर्णय भी शामिल है.