नई दिल्ली. भारतीय रेलवे 1 अक्टूबर से ट्रेनों की त्वरित सफाई के लिए ’14 मिनट के चमत्कार’ की अवधारणा के साथ बड़ा कदम रहा है. इस काम की शुरुआत देश भर में उनके संबंधित गंतव्य स्टेशनों पर 32 वंदे भारत ट्रेनों से होगी. इसकी औपचारिक शुरुआत रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन में करेंगे.
जापान की बुलेट ट्रेनों में देखी गई तीव्र सफाई व्यवस्था का अनुकरण करते हुए भारतीय रेलवे ने भी इसी तर्ज पर तैयारी की है. जापान में बुलेट ट्रेन को साफ करने में 7 मिनट का समय मिलता है. भारतीय रेलवे भी ट्रेन की सफाई के मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है. वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि वंदे भारत ट्रेनों को 14 मिनट के भीतर साफ कर दिया जाएगा ताकि उनकी समयबद्धता और टर्नअराउंड टाइम में सुधार किया जा सके.
वाराणसी, गांधीनगर, मैसूर और नागपुर स्टेशनों पर शुरुआत
मंत्री ने कहा, “यह एक अनोखी अवधारणा है और भारतीय रेलवे में पहली बार ऐसा हो रहा है.” मंत्री ने कहा कि इस गतिविधि में पहले से लगे फ्रंट-लाइन कार्यबल की संख्या में वृद्धि किए बिना सफाई कर्मियों की दक्षता, कौशल और कामकाजी रवैये को बढ़ाकर यह सेवा संभव हो गई है. दिल्ली कैंट के अलावा, कुछ अन्य रेलवे स्टेशन जहां इसे शुरू किया जाएगा, वे हैं वाराणसी, गांधीनगर, मैसूर और नागपुर, जो वंदे भारत ट्रेनों के संबंधित आगमन समय पर निर्भर करता है.
नई व्यवस्था लागू करने किया ड्राई-रन
इस व्यवस्था को लॉन्च करने से पहले, रेलवे ने कुछ ड्राई-रन किए, जहां परिचारकों ने पहले ट्रेन को लगभग 28 मिनट में साफ किया और फिर इसमें सुधार कर 18 मिनट तक लाया गया. मंत्री ने कहा, “अब इसमें बिना किसी नई तकनीक को शामिल किए केवल 14 मिनट लगेंगे. मंत्री ने कहा, “वंदे भारत से शुरू करके, हम धीरे-धीरे अन्य ट्रेनों में भी यही सफाई को लेकर यही व्यवस्था लागू करेंगे, जिसका उनकी समयपालनता में सुधार पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.”
अधिकारियों को दिलाई स्वच्छता की शपथ
भारतीय रेलवे ने सितंबर में एक पखवाड़े तक चलने वाला स्वच्छता अभियान को शुरू किया, जिसमें रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ ने नई दिल्ली में रेल भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रेलवे अधिकारियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई. रेलवे के अनुसार, एसएचएस अभियान के पहले 15 दिनों के दौरान, 2.19 लाख से अधिक लोगों ने 685,883 मानव-घंटे वाली लगभग 2050 गतिविधियों में भाग लिया.