
Unsolved Mysterious of India in Hindi
लोहे के स्तम्भ में जंग न लगना
दिल्ली केके पास नाम का एक प्राचीन लौह स्तम्भ मौजूद है जिसकी लम्बाई 21 फुट 8 इंच, चौड़ाई 16 इंच है और वजन 6 टन है। माना जाता है यह स्तम्भ लगभग 1600 साल पुराना है और इसका निर्माण 5वीं सदी में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने करवाया था जो के मंदिर के सामने हुआ करता था लेकिन 13वीं सदी में ने मंदिर को नष्ट करके का निर्माण करवाया लेकिन स्तम्भ को नष्ट नहीं किया। आज के समय में दिल्ली के इस लौह स्तम्भ के बनावट ने विशेषज्ञों को अभी तक हैरान करके रखा है क्यूंकि यह 1600 सालों से खुले आसमान में मौजूद है और इतने सालों से बारिश और नमी को झेलता आ रहा है लेकिन फिर भी इस स्तम्भ में थोड़ा भी जंग नहीं लगा है। विशेषज्ञ कई सालों से इस स्तम्भ में जंग ना लगने के कारण का पता लगाने की कोशिश करते आ रहे है ताकि भविष्य में ऐसा लोहा तैयार किया जा सके जिसमें जंग ना लगे लेकिन विशेषज्ञ इसमें आज तक सफल नहीं हो पाए है और इस लोहे के स्तम्भ में जंग न लगने का कारण अभी भी रहस्य ही बना हुआ है।
ताज महल का रहस्य
दुनिया के में से एक और भारत की सबसे बड़ी शान ताजमहल अपने अंदर बहुत से रहस्यों को लिये बैठा है जिनमें से एक रहस्य है ताजमहल के नीचे का कमरा। यह कमरा मुगलों के समय से बंद है और इसे ईंटो से चुनवा कर बंद कर दिया गया है। इसके पीछे भी बहुत सी कहानियां है जैसे कि कुछ लोगों का मानना है कि की सबसे मनपंसद पत्नी जब 14वें बच्चे को जन्म देने के दौरान मर गई थी तो उनकी कब्र को ताजमहल के नीचे ही दफना दिया गया था और उसके बाद उसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। और कुछ लोगों का मानना है कि ताजमहल असल मे मुस्लिमो का नहीं बल्कि हिंदुओं का मंदिर था और इसके नीचे भगवान का मंदिर मौजूद है। जबकि कुछ मानते है इसके नीचे खजाना है, लेकिन ये सभी सिर्फ अनुमान ही है असल मे किसी को नहीं पता कि ताजमहल के नीचे ऐसा क्या था कि इसे हमेशा के लिए बंद करना पड़ा।
UFO दिखने का रहस्य
जो लद्दाख में मौजूद है लेकिन चीन भी इस जगह पर हक जताता है और उनके अनुसार यह तिब्बत में मौजूद है, भारत चीन के इस विवाद के कारण इस जगह पर कोई भी नहीं जाता लेकिन दूर से दोनों देशों के सैनिक इस जगह पर नजर बनाये रखते है। का रहस्य यह है कि बहुत से स्थानीय लोगों और सैनिकों ने इस जगह पर कुछ रोशनी और अजीब चीज को उड़ते हुए देखा है जिसे कि एलियन का माना जाता है। कहा जाता है कि इस जगह पर किसी भी इंसान और जानवर के न जाने के कारण एलियन्स ने इस जगह को अपना Base बनाया है। इस जगह पर दिखने कि घटना को भारत और चीन दोनों देशों की सरकार भी मानती है और 2006 में गूगल अर्थ में भी इस जगह पर कुछ अजीब तरह की आकृतियाँ दिखी थी जिसके बाद गूगल मैप ने इस जगह को काली पट्टी से छिपा दिया है। पायलटस का भी कहना है कि वे विमान को Kongka La Pass के ऊपर से उडाने से बचते है क्यूंकि इसके ऊपर उनका Navigation भी अच्छे से काम नहीं करता। Kongka La Pass को भारत का भी कहा जाता है और यहाँ के का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही है।
गुरुत्वाकर्षण को न मानने वाला रहस्यमयी पत्थर
मे एक 200 टन वजनी 20 फुट ऊँची और 5 मीटर चौड़ी गोल चट्टान मौजूद है जो किसी दूसरे चट्टान पर 45° की ढलान पर टिका हुआ है। हैरान करने वाली बात ये है कि ऐसी ढलान पर मौजूद होने के कारण देखने में लगती है कि ये किसी भी समय नीचे खिसक सकती है लेकिन इतने सालों तक भूकंप और आंधी की मार पड़ने के बाद भी ये नीचे नहीं गिरी है। ऐसे में विज्ञान के सामने ये रहस्य बना हुआ है कि इतना बड़ा पत्थर यहाँ पर किसने लाकर रखा होगा और अगर यह खुद कहीं से लुढ़क कर यहाँ आया होगा तो ये ऐसी ढलान पर आकर कैसे रुक गया। कहानी है कि 1908 में ब्रिटिश राज में मद्रास के गवर्नर को डर था की यह पत्थर अचानक गिर कर किसी की जान न लेले इसीलिए उन्होंने 7 हाथी लगा कर इस पत्थर को गिराने की कोशिश की थी लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी वे इसे हिला नहीं पाये इसलिए उन्होंने इसे ऐसे ही छोड़ दिया। आज के समय में यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना हुआ है जहाँ हर साल बहुत से लोग घूमने आते है और इसके नीचे आराम करते है कोई इसे धक्का देने की कोशिश करता है लेकिन किसी पर कोई पाबंदी नहीं है और यह पत्थर आज भी वैसा ही बना हुआ है। इस पत्थर को आज Krishna’s Butterball नाम दिया गया है क्यूंकि लोगों का मानना है भगवान श्रीकृष्ण जिन्हें मक्खन बहुत पसंद था लेकिन एक बार माखन खाते हुए उनके हाथों से माखन इस जगह पर गिर गया और समय के साथ सुख कर चट्टान का रूप ले लिया।
कभी ना खुलने वाला गुप्त दरवाजा
पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु जी का मंदिर है जो कि में स्थित है। यह मंदिर 16वीं शताब्दी में त्रावणकोर के शाही परिवार ने बनाया था। इस मन्दिर की खास बात इसके 6 गुप्त दरवाजे है जो कि कई दशकों से बंद पड़े थे। पर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पाँच दरवाजों को खोल लिया गया जिनमें से 2 लाख करोड़ रुपये की सम्पति मिली थी जिनमे सोने और बाकि कीमती गहने शामिल थे इसके बाद सभी लोग छठे दरवाजे के अंदर का खजाना देखने के लिए बेताब थे क्यूंकि ये दरवाजा सबसे खास था जिसे सबसे खास तरीके से बंद किया गया था, लेकिन वे सब छठे दरवाजे को खोलने में कामयाब नहीं हो पाए क्योंकि इस दरवाजे में बाकी दरवाजों की तरह कोई ताला नहीं था पर सामने 2 बड़े कोबरा साँपो की आकृति बनी हुई है। इस दरवाजे के पीछे का राज अभी भी रहस्य बना हुआ है। इसे Bharatakkon Kallara (तहखाना B) नाम दिया गया है। इस तहखाने के दरवाजे को पवित्र माना जाता है और माना जाता है कि इसे किसी मंत्रो से बंद किया गया है और मंत्रो से ही अगर खोला भी जा सकता है, इसके बावजूद जिसने भी इस दरवाजे को जबरदस्ती खोलने की कोशिश की है उनके साथ बहुत बुरी घटनाएँ हुई है और किसी की तो मौत भी हो गयी है। इस दरवाजे के पीछे से पानी के लहरों की आवाज़ आती है और कहते है अगर ये दरवाजा खोल दिया तो बाढ़ या सुनामी जैसी बड़ी आपदा आ सकती है और कुछ कहते है कि इसमें ऐसे ऐसे ख़ज़ाने हो सकते हैं जो इंसानो ने देखे भी ना हो। हालांकि इस दरवाजे के साथ ऐसे बहुत से अलग अलग तथ्य जुड़े हैं पर असल मे इसके पीछे क्या है किसी को भी नहीं पता है। लेकिन इस दरवाजे को पवित्र और श्रपित माना जाता है जिसको खोलने के प्रयास में बहुत से लोगों के साथ बुरा हुआ है और इन्हीं सब घटनाओं की वजह से सरकार ने भी इस दरवाजे को खोलने की कोशिशों पर रोक लगा दी है।
गर्मियों में भी ठंडा रहने वाला शिव मंदिर
के Kumhada पहाड़ी में भगवान का रहस्यमयी मंदिर मौजूद है और इस मंदिर की खास बात यह है कि बाहर चाहे जितनी भी गर्मी हो यह मंदिर अंदर से हमेशा ठंडा ही रहता है। कहा जाता है बाहर तापमान जितना ज्यादा बढ़ता है मंदिर के अंदर का तापमान उतना ही कम होता जाता है। तितलागढ़ पहाड़ियों में बसे होने के कारण की सबसे गर्म जगह है जहाँ का तापमान 50°C तक चला जाता है लेकिन मंदिर के अंदर का तापमान 10°C तक ही रहता है और ज्यादा देर मंदिर के अंदर बैठने से ठंड की वजह से कंबल ओढ़ना पड़ता है। मंदिर के अंदर इतनी ठंड क्यों पड़ती है इसका साफ पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए है लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर में मौजूद की मूर्तियों से ठंडी हवा निकलती है जिससे पूरा मंदिर ठंडा रहता है।
40 सालों तक बिना खाना खाये जीवित रहना
भारत साधु संतो की भूमि है जहाँ पर बहुत से साधु संतो ने जन्म लिया है लेकिन ऐसे साधु थे जिन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खींचा था, इनका दावा था की इन्होने 40 सालों से कुछ भी खाया पिया नहीं है और वे माता अम्बा के भक्त है जो उन्हें बिना कुछ खाए पिए जिन्दा रहने की शक्ति देती है। उनके इस दावे ने बहुत से एक्सपर्टस और वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा और 2003 में और उनकी उनकी टीम ने Jani के दावे का पता लगाने के लिए 10 दिनों तक उनकी जांच की जिसमें Jani को एक बंद कमरे में CCTV की निगरानी में रखा गया जहाँ उन्हें खाना और पानी कुछ भी नहीं दिया जाता था और पानी का इस्तेमाल वे सिर्फ नहाने के समय ही करते थे। इन 10 दिनों में उन्होंने पेशाब व मल भी नहीं किया। 10 दिनों की जाँच पूरी होने के बाद डॉक्टर्स और एक्सपर्टस भी हैरान रह गए क्यूंकि Jani का सिर्फ हल्का सा वजन ही घटा था लेकिन उनका शरीर पूरी तरह स्वस्थ था। इस टेस्ट के बाद उनकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। 2006 में को देकर चले गए जिन्होंने डॉक्टर्स, वैज्ञानिकों और लोगों को हैरान कर दिया था और उनके इन रहस्ययों को कोई भी सुलझा नहीं पाया।
जिन्दा लाश
नाम के एक भिक्षु की मम्मी मौजूद है जो भारत का इकलौता प्राकृतिक मम्मी है, यानि इसे बाकि मम्मीयों की तरह मरने के बाद सुरक्षित नहीं किया गया बल्कि इसे मरने से पहले ही किसी लेप या बूटी की मदद से सुरक्षित कर लिया गया था। Sangha Tenzin की ध्यान करते हुए ही मौत हो गयी थी और यह बैठे हुए अवस्था में दुनिया की इकलौती मम्मी है। माना जाता है तेंज़िन की मौत 550 साल पहले हुई थी और उन्होंने मरने से पहले ही कुछ खास जड़ी खाकर या लेप लगाकर अपने शरीर को इस प्रकार का बना लिया था कि मरने के बाद भी उनका शरीर बिना किसी कब्र में डाले सुरक्षित रहे। इस मम्मी की खोज 1975 में हुई थी लेकिन भूकंप आने के बाद ये जमीन में खो गयी थी लेकिन 2004 में के सड़क निर्माण के खुदाई के दौरान इसे दोबारा से खोजा गया जो इतने सालों तक जमीन में दबे रहने के बावजूद भी बिल्कुल सुरक्षित था, इसके बाद इसे Gue गांव में ही शीशे के कब्र में सुरक्षित करके रखा गया है। माना जाता है खुदाई के दौरान तेंज़िन के सिर पर चोट लग गयी थी जिससे उनका खून भी निकला था जो मरे हुए इंसान में हो पाना नामुमकिन है और यह घाव आज भी उनके सिर में देखा जा सकता है। इससे भी हैरानी की बात यह है कि स्थानीय लोगों के अनुसार इस मम्मी के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है और इन्हीं सब चमत्कारों की वजह से लोग की पूजा करते है और बहुत से लोग इन चमत्कारों को देखने यहाँ आते है।
भारत एक धार्मिक देश है जहाँ बहुत से देवी देवताओं को पूजने के साथ ही बहुत से जानवरों और जीवों की भी पूजा की जाती है जिनमें से सांप भी एक मुख्य जीव है। साँप को पूरे भारत में पूजा जाता है और नाग पंचमी का त्यौहार ही साँपो की पूजा के लिए होता है, पर साँप ऐसा जीव है जिनकी पूजा की जाने के बावजूद भी लोग इनसे दुरी बनाये रखना ही पसंद करते है क्यूंकि ये एक जहरीला जीव है जिसके एक बार काटने से ही इंसान की मौत हो सकती है। लेकिन महाराष्ट्र में शेतफल नाम का एक गांव मौजूद है जहाँ के लोग साँपो से बिल्कुल नहीं डरते और साँपो को दूर भगाने के बजाय यहाँ के लोग घर बनवाते समय घर में एक सुराख़ रखते है जिससे साँप उनके घर के अंदर आ सके क्यूंकि यहाँ साँपो को पवित्र और शुभ माना जाता है। यहाँ के लोग साँपो के साथ रहना पसंद करते है और यहाँ जगह जगह कोबरा जैसे जहरीले साँप दिखना आम बात है लेकिन रहस्य वाली बात ये है कि 2600 से ज्यादा लोगों की जनसंख्या वाले इस गाँव में आज तक साँपो ने किसी को भी क्षति नहीं पहुंचाई है और यही बात वैज्ञानिको को भी हैरान करती है कि गांव में इतने सारे जहरीले साँप होने के बावजूद भी वे किसी भी गांव वाले को क्यों नहीं काटते।
जगह जहाँ बिच्छू भी डंक मारना भूल जाते है
साँपो वाले गांव के बारे में तो आपको पता चल गया जहाँ जहरीले साँप किसी को नहीं काटते लेकिन एक ऐसी जगह भी है जहाँ बिच्छू भी किसी को नहीं डंक नहीं मारते। उत्तरप्रदेश के का दरगाह मौजूद है, माना जाता है कि ये 13वीं सदी में इरान से यहाँ आकर बसे थे और तभी से इस दरगाह में चमत्कार होने लगे। आज के समय में भी दरगाह के परिसर में बहुत से बिच्छू पाए जाते है लेकिन लोगों के हाथ में लेने पर भी ये उन्हें काटते नहीं है। इस चमत्कार को सुन कर देश विदेश से बहुत से लोग अपने साथ जहरीले बिच्छू को बंद करके लाते है और दरगाह के अंदर आकर बिच्छू को हाथ में पकड़ते है लेकिन दरगाह में आते ही बिच्छू जैसे डंक मारना भूल जाते है। परिसर के अंदर मौजूद बिच्छूओं को लोग दरगाह के सूफ़ी संत की आज्ञा लेकर कुछ समय के लिए घर भी ले जा सकते है और इन दिनों तक बिच्छू भी उस आदमी को नहीं काटता है लेकिन तय समय पूरा होने के बाद भी अगर आदमी बिच्छू को परिसर में वापिस नहीं छोड़ता तो बिच्छू डंक मारने लगता है। इस दरगाह के परिसर के अंदर बिच्छू जैसे जहरीले और आक्रमक जीवों के डंक ना मारने के स्वभाव ने सभी लोगों को हैरान किया है।
चिड़ियों का झुंड में आत्महत्या करना
असम के नाम का एक छोटा सा गांव है जो बहुत ही खूबसूरत है लेकिन इस छोटे से गांव में एक ऐसा रहस्य छिपा है जिसने वैज्ञानिक को भी हैरान करके रखा है। मानसून के मौसम में ख़ासकर सितंबर और अक्टूबर के समय ज़ब बहुत सी प्रजातियों के पक्षी कर रहे होते है लेकिन इस गांव से गुजरते ही झुंड के बहुत से पक्षी यहाँ पर आकर पेड़, बिजली के खम्बो या घरों से टकरा कर मर जाते है। मरने वाले पक्षी सिर्फ एक ही प्रजाति के नहीं होते बल्कि प्रवास करने वाले लगभग सभी पक्षी यहाँ आकर अपनी जान गंवा बैठते है और इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात यह है की ये घटना शाम के 6 बजे से 9 बजे के बीच ही होती है। गांव के स्थानीय निवासी इस घटना के पीछे का कारण भूत प्रेतों को मानते है जबकि वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं का मानना है कि इन घटनाओं के पीछे का कारण मानसून मे होने वाला कोहरा और चिड़ियों को आकर्षित करने वाली रोशनी है जिससे कोहरे में उन्हें अच्छे से दिखाई नहीं देता और वे खम्बो या पेड़ों से टकरा कर मर जाते है। लेकिन वैज्ञानिकों के इस तर्क को भी सच नहीं माना जाता क्यूंकि प्रवासी पक्षी बहुत अच्छे नविगेटर होते है जिन्हें अपने रास्तों का अच्छे से पता होता है और पेड़ व लाइट के खम्बे तो हर जगह होते है फिर भी इसी जगह पर आकर सभी पक्षी क्यों मरते है। गांव में पक्षीयों का इस तरह से झुंड में मरना अभी तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।