बहुत सारे नोट छापकर सरकार क्यों नही बना सकती सबको अमीर ? जाने इसके कारण

Why Rbi not Print More Money Hindi – आपके मन में एक सवाल जरूर आता होगा कि जब भारतीय नोट भारत सरकार को ही छापने है तो बहुत सारे नोट छापकर सभी लोगों को अमीर क्यों नही बना देती है। जिससे देश के सभी लोग अमीर हो जाएंगे और देश का कोई भी व्यक्ति गरीब नही रहेगा।

यह सवाल लगभग हर व्यक्ति ने एक बार तो जरूर सोचा होगा। लेकिन इस बारे में शायद ही किसी को सही जानकारी पता हो इसीलिए आज की इस पोस्ट में हम आपको बता रहे है कि भारत सरकार बहुत सारे नोट छापकर सभी लोगों को अमीर क्यों नही बना सकती है ?

सबसे पहले में आपको बताना चाहता हूं की जो देश की करेंसी होती है उसकी वैल्यू तभी है जब उसके बदले में हम कोई समान खरीद सकते है। अगर हम पैसों के बदले में कुछ खरीद ही नही पाएंगे तो उसकी वैल्यू कुछ भी नही है।

पहले क्या होता था की सामान का एक्सचेंज होता था जैसे मान लो किसी के पास चावल है और किसी दूसरे के पास दूध है तो वह लोग आपस में थोड़ा थोड़ा सामान एक्सचेंज कर लेते थे लेकिन बाद में यह करेंसी बनाई गई और उसकी वैल्यू बनाई गई।

हम आपको बता दे की देश में नोट छापने के कुछ नियम कानून बने हुए है जिनको ध्यान में रखते हुए सरकार नोट छापती है। यदि सरकार बहुत सारे नोट छापकर लोगों में बांट दे तो सभी लोग अमीर हो जाएंगे और वो लोग आवश्यकता से अधिक सामान खरीदेंगे जिससे महगांई बहुत अधिक बढ़ जाएगी।

भारतीय सरकार क्यों ज्यादा नोट नही छापती है – Why Rbi not Print More Money Hindi

ऐसा ही हुआ था जिम्बाब्वे में वर्ष 2001 में, उनकी सरकार ने सोचा क्यों न हम बहुत सारे नोट छापकर सभी लोगों को बांट दे जिससे कि सभी लोग अमीर बन जाए। तो उन्होंने ऐसा ही किया और इतने नोट छापे की लोगों के पास नोट ही नोट हो गए उसके बाद हुआ ये की अगर किसी को ब्रेड भी चाहिए तो उनको भर भर के नोटों की गड्डियां ले के जानी पड़ती थी।

ऐसा इसलिए होता है कि बाजार में सामान की सप्लाई कम हो जाती है और डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। और अगर सबके पास पैसा है तो कोई काम क्यों करेगा। सभी लोग घर पर आराम करेंगे और काम करने कोई नही जाएगा जिससे सामान की Manufacturing कम हो जाएगी इस कारण सामान की सप्लाई कम होने से मंहगाई अपने आप बढ़ जाएगी।

इसको एक उदाहरण से समझते है मान लो पूरे भारत में सिर्फ 2 kg चावल है और एक किलो चावल की कीमत दस रूपए है और भारत में दो लोग है और दोनों के पास सिर्फ दस दस रूपए है तो वह लोगों एक एक किलो चावल खरीद लेंगे।

अगर मान लो दोनों के पास पैसे डबल हो जाए तो चावल की कीमत भी डबल हो जाएगी। यानी आप चाहे पैसा कितना भी दो लेकिन चावल आपको एक किलो ही मिलेगा। इससे हमको कोई फायदा नही होता है।

भारतीय सरकार को कितने नोट छापने है यह तय करने के लिए जीडीपी, देश की विकास दर और राजकोषीय घाटा आदि को ध्यान में रखते है। हमारे देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तय करता है कि कब और कितने नोट छापने है।

Why Rbi not Print More Money Hindi

दोस्तों पैसा छापना और उन्हें गरीबों में बांटना यह गरीबी मिटाने का सॉल्यूशन नही है गरीबी तो तब मिटेगी जब वो लोगों अपना दिमाग लगाकर कुछ काम करें जिससे उनको कुछ रोजगार मिले और पैसा मिले।

आप खुद सोचो की जितने लोगों आज काम कर रहे है वह रुपयों के लिए काम कर रहे है अगर उनके पास पैसे होगे तो वह काम क्यों करेंगे।

इसलिए पैसा उतना ही छापा जाता है जितना गुड्स एंड सर्विसेज मार्केट में है जो कि लोग खरीद सके उससे ज्यादा नोट छापते है तो महगांई Automatic बढ़ जाएगी क्योंकि जो सप्लाई है वो कम है और जो डिमांड है वह बहुत ज्यादा है।

दोस्तों में आपको सिंपल भाषा में बताता हूं कि अगर सरकार बहुत ज्यादा नोट छाप देती है और उन्हें लोगों में बांट देती है तो इससे क्या होगा कि लोगों के पास पैसे बहुत हो जाएंगे और वो आवश्यकता से अधिक समान खरीदेंगे लेकिन सामान जरूरत के हिसाब से बनता है इससे लोग समान पाने के लिए बहुत ज्यादा पैसों की बोली लगाएंगे जिससे सामान की कीमत बढ़ जाती है। इसीलिए सरकार बहुत ज्यादा नोट नही छाप सकती है।

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