पाकिस्तान के कवर फायर के बावजूद बीएसएफ से बच नहीं सके आतंकी, पढ़ें कीर्ति चक्र विजेता शहीद गुइटे की कहानी

आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए शुरू हुई एक बड़ी कार्रवाई में पाओटिनसैट गुइटे शहीद हो गए थे। उन्होंने अपनी सूझबूझ से जानमाल के एक बड़े नुकसान को टाल दिया था। गुइटे की अतुलनीय बहादुरी पर उन्हें कीर्ति चक्र प्रदान किया गया था। उस कार्रवाई में बीएसएफ टीम ने हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकवादी मार गिराए थे…

जम्मू कश्मीर में एक दिसंबर 2020 को पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ का प्रयास किया गया। यह कोई सामान्य घुसपैठ नहीं थी। इस घुसपैठ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को वहां पर तैनात पाकिस्तानी चौकियों से भरपूर मदद मिली। बॉर्डर के इस पार बीएसएफ की एक छोटी सी टीम, जिसमें एक एसओ और सात अन्य रैंक वाले जवान थे। उन्हें आतंकियों की घुसपैठ के प्रत्याशित प्रवेश मार्ग पर तैनात किया गया था। इस टीम का नेतृत्व सब-इंस्पेक्टर (जीडी) पाओटिनसैट गुइटे कर रहे थे। जब फायरिंग शुरू हुई, तो मालूम पड़ा कि दहशतगर्दों को पाकिस्तानी चौकियों से मदद मिल रही है। वहां से उन्हें इसलिए कवर फायर मिल रहा था, ताकि वे भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सकें। मतलब, बीएसएफ की टीम को दुश्मनों की डबल टीम से मुकाबला करना था। इसके बावजूद बीएसएफ के जांबाजों ने तीन आतंकियों को खत्म कर दिया। पाओटिनसैट गुइटे ने घायल होने के बावजूद आतंकियों को भागने का मौका नहीं दिया। इस मुठभेड़ में वे शहीद हो गए। उन्हें कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।

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