इंटरनेट की खोज किसने की

लोगों के मन में अक्सर इन्टरनेट को लेकर काफ़ी सारे सवाल उठते है. इसलिए पहले उन सवालों के जवाब जान लीजिए. जानना जरूरी है कि, Internet कोई Web नहीं हैं. न ही इंटरनेट एक cloud है. वहीं इन्टरनेट, एक चमत्कार भी बिलकुल नहीं है.

तो फिर क्या है ये बवाल इन्टरनेट?

 

तकनीकी युग में हर कोई इंटरनेट का आदि हो चुका है, इसलिए शायद हमने इसे ज़्यादा महत्व कभी नहीं दिया. लेकिन आपको यह बता दें कि, इंटरनेट पीछे काफ़ी सारी प्रक्रिया चलती है, कहीं तभी जाकर हमने इन्टरनेट की सेवा प्राप्त होती है.

तो चलिए आसान शब्दों में समझते हैं, इन्टरनेट आख़िर है क्या.

 

इन्टरनेट असल में एक तार या wire होता है. सच बताऊँ तो बहुत सारे तारें जो की दुनियभर के कम्प्यूटर से जुड़ी हुई होती हैं.

Internet को आप एक आधारिक संरचना या infrastructure मान सकते हैं. यह एक global network है interconnected computers का जो की एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं और साथ में communicate भी कर रहे होते हैं, वो भी एक standardised तरीक़े से कुछ set protocols के हिसाब से.

 

इंटरनेट की खोज कब हुई थी?

इन्टरनेट एक ऐसी नायाब तकनीक है जो की इतनी ज़्यादा क़ीमती और हमेशा बदलने वाली तकनीक है, की इसे किसी एक इंसान के द्वारा खोज पाना या आविष्कार करना संभव नहीं. इन्टरनेट की खोज में कई लोगों का हाथ है, सभी ने अपना श्रम और समय इसमें लगाया हुआ है.

इसलिए इतने समय के बाद में आज जो इन्टरनेट की सेवा हमें मिल रही है, वो क़रीब ४० से भी ज़्यादा वर्षों की मेहनत है. इस तकनीक के तरक़्क़ी में कई वैज्ञानिकों और एंजिनीर का हाथ रहा है. साथ में चूँकि यह हमेशा बदलता रहता है, इसलिए इसमें अभी भी लोग बेहतर बनाने में और नए फ़ीचर लाने में जुटे हुए हैं.

आज हम जिस इंटरनेट को जानते हैं और उसका उपयोग करते हैं, वह एक प्रयोग का परिणाम था, ARPANET, इंटरनेट का अग्रदूत नेटवर्क.

और यह सब एक समस्या के कारण शुरू हुआ.

इन्टरनेट का आविष्कार किसने की और कब?

इसका जवाब इतना आसान नहीं है, क्योंकि इन्टरनेट कोई छोटी चीज़ नहीं बनाने के लिए या आविष्कार करने के लिए. ये बात भी सही है की मिलिटेरी ने बहुत से शुरूवती computer tech अपने लिए बना लिया था और साथ में उन्होंने पहली कनेक्शन के लिए काफ़ी फ़ंडिंग भी की हुई था बड़े बड़े और विशालकाय कम्प्यूटर के बीच में, वैसे ये बात क़रीब सन 1960 की है.

लेकिन अगर आप असली आविष्कारों के बारे में जानना चाहें तब ये हैं Kahn और Cerf, जिन्होंने इन्टरनेट की उन frameworks का आविष्कार किया, जिसका उपयोग आज के समय में भी किया जा रहा है. उन्होंने नियम निर्धारित किए और अदृश्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू किया जिस पर हम सभी भरोसा करते हैं.

वहीं सन 1989 में, Berners-Lee ने World Wide Web की खोज की. ये वहीं प्लाट्फ़ोर्म है,  जिसका इस्तमाल आज हम कर रहे हैं इन्टरनेट का इस्तमाल करने के लिए. लेकिन एक बात तो आपको मानना ही पड़ेगा की बिना ARPANET और Vinton Cerf जैसे लोगों के, आज के समय का इन्टरनेट वो नहीं होता जो वो है.

इसलिए किसी एक को इंटरनेट के आविष्कार का पूरा श्रेय देना ठीक नहीं होगा, बल्कि हम सभी को उनके कार्यों का उचित दर्जा देना चाहिए. आज इंटरनेट जैसा भी है वो सभी इन महान लोगों की कड़ी मेहनत की बदौलत संभव हो पाया है.

Vint Cerf और Bob Kahn ने एक सपना देखा था Global Decentralized Internet का 

उनका मानना था की, “जानकारी हमेशा से मुफ़्त होनी चाहिए सभी लोगों के लिए ”, और इंटरनेट के इस्तेमाल से वो पूरी दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाना चाहते थे. वो किसी एक सरकार या देश को इन्टरनेट का स्वामित्व प्रदान करने के ख़िलाफ़ थे, वो चाहते थे की पूरी दुनिया में सभी लोगों के पास इस बेहतरीन तकनीक के इस्तेमाल करने की सुविधा हो, सभी इससे लाभान्वित होना चाहिए.

भारत में इंटरनेट की शुरुआत कब हुई थी?

इंटरनेट सेवाओं का भारत में 15 अगस्त, 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए थे

भारत में इंटरनेट की शुरुआत कहाँ हुई थी?

भारत में इंटरनेट की शुरुआत कोलकाता में हुई थी. यहाँ पर सबसे पहले इंटरनेट का आम इस्तेमाल किया गया.

भारत में इंटरनेट का इस्तमाल कब आरम्भ किया गया था?

15 अगस्त 1995 में देश में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ था.

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